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इलाहाबाद कुंभ 2019 : इतिहास बदलेगा दलित महिलाओं और पुरुषों को संत की उपाधी और दीक्षा देकर

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जूना अखाड़ा 2019 में होने वाले इलाहाबाद कुंभ को देखते हुए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. इस बार अखाड़ा एक ऐसा कार्य करने जा रहा है जिससे इतिहास बदलेगा भी और एक नया इतिहास बनेगा भी.  नागा साधुओं के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में से एक जूना अखाड़ा 221 दलित महिलाओं को संत की दीक्षा देना जा रहा है. जूना अखाड़ा दलित महिलाओं को ही नहीं दलित पुरषों को भी संत की दीक्षा देने जा रहा है. जूना अखाड़ा 221 दलित महिलाओं के साथ करीब 300 दलित और महादलित पुरुषों को भी संत की उपाधी देने जा रहा है.

जूना अखाड़े के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब जूना अखाड़ा इतनी बड़ी संख्या में दलित महिलाओं और पुरुषों को संत की उपाधी और दीक्षा दे रहा है. दीक्षा देने के साथ ही जूना अखाड़ा 221 दलित महिला संतों में से 5 महिला संतों को महामंडलेश्वर की भी उपाधी देगा.  जूना अखाडा के देश भर में कई लाख संत हैं. जो देश भर में फैले हुए हैं.  ज्यादातर यह संत कुंभ मेलों में ही दुनिया के सामने आते है. देश में नागा अखाड़ो की बात की जाए तो देश भर में 13 अखाड़े प्रमुख है. इनमें से नागा अखाड़ा एक महत्वपूर्ण अखाड़ा है. नागा अखाड़े का यह फैसला समाज में समरसता का संदेश जरुर देगा.

जाने नागा साधुओं का इतिहास- नागा साधुओं का इतिहास आदि शंकराचार्य के समय से है. आदि शंकराचार्य के समय में भारत के मंदिरों,मठों पर हमले होते रहते थे. इसको देखते हुए आदि शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिए सशस्त्र शाखाओं के रुप में अखाड़ों की स्थापना की थी. जिसका एक रूप नागा साधुओं के रूप में है. नागा साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए कई लड़ाईया लड़ी हैं. विदेशी हमलों के दौरान भी नागा साधु राजा महाराजाओं की मदद किया करते थे. इतिहास में ऐसी कई लड़ाईया दर्ज है जिसमें नागा साधुओं ने धर्म और समाज की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी.

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