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कुशीनगर मे योगी सरकार को दी खुली चुनौती करोडो रुपये के नगरपालिका पडरौना के सरकारी जमीन पर धनपशु ने किया अवैध कब्जा

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उपेन्द्र कुशवाहा :

पडरौना,कुशीनगर। एक तरफ सूबे के मुखिया एंटी-भू- माफिया के तहत भू-माफियाओ पर नकेल कसने का दावा कर रहे है वही दुसरी तरफ नगर का एक धनबली दबंग नगर पालिका व पीडब्लूडी की करोडो रूपये की सरकारी जमीन को अबैध तरीके से कब्जा कर खुलेआम योगी सरकार को चुनौती दे रहा है। मजे की बात यह है कि शहर के इस धनबली भूमाफिया के आगे सरकारी तंत्र और जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह नतमस्तक है। चर्चा -ए-सरेआम है कि करोडो के इस जमीन पर अबैध कब्जा करने के लिए दबंग धनपशु द्वारा सरकारी मशीनरी को मैनेज करने के लिए लाखो रूपये खर्च किए गए है। अब देखना यह है एंटी भूमाफिया   का दंम भरने वाली योगी सरकार धनबली भू माफिया की चुनौती को किस अंदाज मे लेती है।

गौरतलब है कि नगर का सुभाष चौक पडरौना की धडकन के रूप मे जाना जाता है मौजुदा हालात पर गौर करे तो दो हजार रूपये प्रति फीट जमीन इस चौक- चौराहे के अगल-बगल मिलना  मुश्किल है। कहना न होगा कि नगर के सुभाष चौक से तकरीबन सौ मीटर आगे कसया जाने वाली मार्ग एनएच 28 से सटे व नगर पालिका नाले के पीछे शहर के रईशजादे अशोक केडिया का पुश्तैनी जमीन है जहा भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा स्थित है। बैंक के सामने श्री केडिया की तकरीबन दो हजार फीट जमीन वर्षों से खाली पडी थी जिसका उपयोग बैंक अपने सहन और ग्राहकों के वाहन पार्किंग के रूप मे करता था। बीते माह भूमि स्वामी अशोक केडिया ने स्टेट बैंक के आगे व नगर पालिका के नाली के समीप तक खाली पडी अपनी जमीन पर काम्पलैक्स बनवाने की गरज से निर्माण कार्य शुरु करवाया था ।

इस दौरान सब कुछ ठीक ठीक चल रहा था कि एकाएक श्री केडिया ने नगर पालिका के वर्षों पूर्व निर्माण कराये गए नाले का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म कर लागभग आठ फीट आगे नाला निमार्ण कराकर औसतन आठ गुणे तीन सौ फीट सरकारी जमीन को एक ही झटके मे  कब्जा कर लिया। श्री केडिया के इस अवैध कृत का नगर की जनता-जनार्दन और कुछ सभासदों ने खुला विरोध करते हुए जब धरना प्रर्दशन किया तो योगी सरकार के कानून के रखवालो ने प्रर्दशनकारियो पर लाठी बरसाकर उनके खिलाफ बलबा व अपराधिक धाराओ मे मुकदमा दर्ज करके भेज दिया। चर्चा जोरो पर है कि कोतवाली पुलिस के इस अमानवीय व अन्याय पूर्ण कार्रवाई के पीछे रईशजादे की कीमती उपहारों की पेशकश सबसे बडी वजह है।

कहना न होगा कि एनएच28 से सटे तकरीन ढाई हजार फीट सरकारी जमीन पर श्री केडिया की गिद्ध दृष्टि वर्षों से थी। इस सरकारी जमीन को हथियाने के लिए रईशजादे द्वारा काफी दिनो से प्रयास किया जा रहा था। हर अस्त्र अपनाने बाद भी जब रईशजादे अपने मकसद मे सफल नही हुए तो अपनी राह मे रोडा बन रहे नगरपालिका के खिलाफ न्यायालय मे पहुच गए किन्तु अफसोस वहा भी अन्याय पर न्याय भारी पडा और धनबली को मुंहखानी पडी।

बताया जाता है कि हर जतन करने के बावजूद हजारो फीट सरकारी जमीन कब्जा करने मे नाकाम रहे शहर के इस रईशजादे ने नगरपालिका के खिलाफ याचिका दाखिल किया था। ऐसी चर्चा है कि काफी दिनो तक चले मुकदमे मे साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने नगरपालिका परिषद पडरौना के पक्ष मे फैसला सुनाया और श्री केडिया का यह आखिरी अस्त्र भी  असफल हो गया।

विश्वस्त सूत्रो की माने तो सरकारी जमीन को हथियाने की गरज से नगर पालिका के खिलाफ मुकदमा करने वाले श्री केडिया जब नगर पालिका से मुकदमा हार गए तो तत्कालिन नगर पालिका अध्यक्ष शिवकुमारी देवी से संपर्क साधे और मामलें को किसी भी स्तर से मैनेज करने की गुहार लगाई। सूत्र बताते है कि इस मामले को मैनेज कराने के लिए इस धनबली के साथ शहर के कुछ  अन्य धनबलियो ने भी  तत्कालिन नगर पालिका अध्यक्ष पर दबाब बनाकर मामले को मैनेज कराने का प्रयास किया था। सूत्र तो यहा तक कहते है कि उस समय इस मामले को मैनेज करने के लिए रईशजादे की तरफ से पच्चीस लाख रुपये का आफर दिया गया था किन्तु पूर्व अध्यक्ष शिवकुमारी देवी ने दोटूक मे इस आफर को ठुकराते हुए अनलिगल कार्य करने से मना कर दिया था।

सरकारी जमीन को रईशजादे भू-माफिया के चंगुल से छुड़ाने की गरज से नगर के गाधी पार्क के बगल मे धरना- प्रदर्शन कर रही जनता-जनार्दन और सभासदो पर भू माफिया की रईशी भारी पडा।  सूत्रो की माने तो सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे भू माफिया के धनबल के प्रभाव का ही नतीजा है कि जनहित के मद्दे को लेकर शान्ति पूर्ण ढंग धरना प्रर्दशन कर रहे सभासदों और आम जनमानस पर कोतवाली पुलिस ने लाठी चार्ज कर न सिर्फ उनके आन्दोलन को कुचलने का प्रयास की बल्कि आन्दोलनकारियों पर बलवा और अपराधिक धाराओ मे मुकदमा दर्ज कर जेल भेजकर उनके हौसले दबाने की भरपूर कोशिश भी  कोतवाली पुलिस द्वारा किया गया।

ऐसी चर्चा है कि नगर पालिका की तकरीबन  आठ गुणे तीन सौ फीट जमीन अवैध तरीके से कब्जा करने के पीछे श्री केडिया की दूरगामी सोच है जिससे उन्हें पाच करोड़ रूपये से अधिक का मुनाफा होगा। चर्चाओं और सुनी-सुनायी बातों पर यकीन किया जाए तो श्री केडिया के भविष्य का प्लानिंग यह है कि अवैध कब्जा किए गये  जमीन पर  लागभग डेड दर्जन दूकान बनवाकर जरूरतमंद व्यापारियो के हाथों प्रति दूकान पैतीस से चालीस लाख रूपये मे बेचकर सरकारी जमीन से पाच करोड़ रूपये से अधिक कमाने की योजना है।

एंटी भू-माफिया के तहत सूबे की योगी सरकार प्रदेश के सभी  जनपदो से सरकारी व गैर सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करने वाले भू-माफियाओ को चिन्हित कर कार्रवाई करने मे जुटी है। बावजूद इसके कुशीनगर का जिला प्रशासन धृतराष्ट्र बना बैठा है। आश्चर्य इस बात की है कि आन्दोलनकारियों पर लाठी चार्ज के बाद मौके पर पहुचे जिला प्रशासन के जिम्मेदार लोगों  ने मौके का निरीक्षण कर नाला निर्माण का कार्य रोकने का आदेश दिया । इस दौरान मौके पर मीडया द्वारा पूछे जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों ने तमाम तरह की कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया। बावजूद इसके अब कोई कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया  जाता है कि  मामला धनबली का है इस लिए मैनेज होते देर नही लगी।

चर्चाओं की बाजार मे इस बात की चर्चा जोरों  पर है कि नगर पालिका के करोडो की जमीन पर शहर के एक रईशजादे भू-माफिया द्वारा अवैध तरीके  से कब्जा करने के मामले मे नगर पालिका प्रशासन खमोश क्यों है ?  इतना नहीं सवाल तो यह भी  उठता है कि जब नगर पालिका के खिलाफ याचिका दाखिल कर मुकदमा हारने के बाद भू-माफिया द्वारा नगर पालिका की वर्षों पुरानी नाली का अस्तित्व समाप्त कर नगर पालिका के भूमि पर अवैध कब्जा किया  गया तो नगर पालिका प्रशासन ने कार्रवाई क्यों  नहीं किया ? नगर पालिका के खामोशी के पीछे उसकी मंशा क्या  है? कही इस खामोशी के पीछे मामला मैनेज तो नहीं हो गया है ?

नगर पालिका के जमीन पर शहर के रईशजादे द्वारा अवैध कब्जा  करने के विरोध बीते दिनो नगरवासियों के साथ मिलकर सभासदों ने धरना-प्रर्दशन किया था। इस दौरान कोतवाली पुलिस द्वारा प्रर्दशनकारियो पर लाठी चटकाने के बाद मौके पर पहुचे जिला प्रशासन के जिम्मेदार लोगों  ने अवैध तरीके  से निर्माण कराये  जा रहे नाले निमार्ण का कार्य रोकवा दिया था। सूत्रो की माने तो इधर सभासदों की गिरफ्तारी के बाद श्री केडिया ने उसी दिन देर रात को दर्जनों मजदूर रखकर अवैध नाले का निर्माण कार्य पूर्ण करा लिया और जिला प्रशासन व नगर पालिका सूरदास बने रहे।

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