मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर 13 किलो सोने के बिस्किटों के साथ तस्कर ने पुलिस के सामने जो खुलासा किया उससे पुलिस सहित विभिन्न एजेंसियों के कान खड़े हो गये हैं।
सूत्रों की माने तो पकड़ा गया तस्कर महेन्द्र कुमार बाजपेई कानपुर निवासी व एक ज्वेलरी शो रूम के मालिक के लिए यह तस्करी का कार्य करता है। इसके पूर्व वह उनके साथ ही बंगाल से बड़ी मात्रा में सोने के बिस्किट कानपुर ले जा चुका है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ में महेंद्र ने बताया कि सोने के बिस्कुट की एक खेप पहुंचाने के लिए उसके आका ट्रेन में एसी बोगी से आने जाने का टिकट सहित रास्ते का खर्च देते थे। कार्य पूरा हो जाने पर एक ट्रिप के लिए छह हजार रुपये अलग से दिए जाते हैं।
तस्कर ने बताया कि कुछ महीने पहले वह कानपुर निवासी एक सर्राफ के साथ सोने के बिस्कुट लेने के लिए हावड़ा गया था। जहां सोनापट्टी नामक स्थान से सोने के बिस्किट मिले थे।
जीआरपी भले ही मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर सोने के बिस्किट बरामद कर इसे डीआरआई (डायरेक्टरेट आफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) व कस्टम विभाग को सौंप दें लेकिन स्मगलिंग के कार्य को रोकने में लगी दोनों संस्थाओं की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
हर बार एक बात सामान्य तौर सामने आई है कि तस्करी की शुरुआत बंगाल के निर्धारित क्षेत्रों से ही होती है। इतनी सूचनाओं के बाद भी इस खेल का बदस्तूर जारी रहना कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है।
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