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कहां लगेंगी ये गोपनीय ढंग से तैयार हो रही भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण मूर्तियां, जानिये

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लखनऊ। हाल ही में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी सरकार ने अयोध्या में 100 मीटर ऊंची भगवान राम की मूर्ति लगवाने का प्रस्ताव राज्यपाल राम नाईक को सौंपा था। फिलहाल इस परियोजना के शुरू होने की तिथी तय नहीं हुई है। लेकिन ये साफ हो चुका है कि धर्म को ढाल बना कर अयोध्या के राम की काट के तौर पर सफाई में कृष्ण तैयार हैं। राम के नाम पर राजनीति करने का आरोप भारतीय जनता पार्टी पर लगाने वाली समाजवादी पार्टी भी उसी अनदाज में रंग चुकी है। समाजवादी पार्टी के गढ़ सैफई में कांसे की बनी भगवान कृष्ण की 50 फुट ऊंची प्रतिमा लगाई गई है। हालांकि इस मूर्ती को यादव बहूल क्षेत्र में लगाने का आईडिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का था लेकिन ये ऐसे समय होने जा रहा है जब वर्त्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान राम की 100 मीटर ऊँची मूर्ती अयोध्या में लगवाने का प्रस्ताव राज्यपाल रामनाईक को सौंपा है। गोपनीय ढंग से तैयार हो रही मूर्ती भगवान कृष्ण की प्रतिमा बनकर लगभग तैयार है। योजना के अनुसार अखिलेश यादव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले लालू यादव समेत अन्य विपक्षी नेताओं को एक जुट कर इसका अनावरण करेंगे। दरअसल भगवान कृष्णा की मूर्ती यादव समाज और अन्य ओबीसी जातियों को लुभाने के लिए है। भगवान कृष्ण को रथ का पहिया उठाए दिखाया गया है जिसके पीछे राजनीतिक संदेश देने की मंशा है। दरअसल पूरी महाभारत के दौरान सिर्फ एक बार ही कृष्णा ने रथ का पहिया शस्त्र के तौर पर उठाया था। लोकसभा से पहले एक तरह से अखिलेश सभी विपक्षी नेताओं को एक जुट कर ये सन्देश देने का प्रयास करेंगे।
खास बात ये है कि इस मूर्ती का निर्माण बेहद ही गोपनीय ढंग से पिछले छह महीने से किया जा रहा है। इस मूर्ती निर्माण के लिए पैसा सैफई महोत्सव का आयोजन करने वाली सैफई महोत्सव कमिटी ने दिया है। इस कमेटी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं और अखिलेश यादव सदस्य हैं। क्या होगा विशेषजानकारों की माने तो मूर्ती 50 फुट की है और इसका वजन करीब 60 टन होगा। इसके निर्माण के लिए जापानी स्टेनलेस स्टील और पीतल का प्रयोग किया गया है। इसकी व्लडिंग के लिए भी खास तौर से एयरोप्लेन में वेल्डिंग करने वाली टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है। ये मूर्ती उस दृश्य की है जब भगवान कृष्णा को रथांग पाणी (महाभारत के दौरान शस्त्र के तौर पर पहली बार उठाया रथ का पहिया) नाम से जाना गया।

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