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Kedarnath से PM मोदी बोले – अब पहाड़ के काम आएगी पानी और जवानी, PM ने गिनाए सरकार के काम

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दिवाली के अगले ही दिन बाबा केदार के दर्शन करने और आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने लंबे भाषण में एक तरफ उत्तराखंड के विकास का जिक्र किया तो वहीं तीर्थ स्थानों के पुनरुद्धार की बात कर हिंदुत्व के तार भी जोड़े।  इसके साथ ही उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। पीएम मोदी ने 2013 में केदारनाथ में आई बाढ़ की तबाही को याद करते हुए कहा कि किसी ने नहीं सोचा था कि केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा, लेकिन ईश्वर की कृपा से ऐसा दोबारा संभव हो गया। प्रधानमंत्री ने आने वाले दशक को उत्तराखंड का दशक करार दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन से पहले 130 करोड़ रुपए की पुनर्विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इनमें सरस्वती रिटेनिंग वॉल आस्थापथ और घाट, मंदाकिनी रिटेनिंग वॉल आस्थापथ, मंदाकिनी नदी पर गरुणचट्टी पुल शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “2013 में जब केदारनाथ में प्राकृतिक तबाही आई थी तो किसी ने भी नहीं सोचा रहा होगा कि एक दिन केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा। उस दौरान मैं गुजरात का सीएम था और मेरे मन में ये था। इसीलिए मैं अपने आपको रोक नहीं सका और यहाँ पहुँच गया। मैंने अपनी आँखों से उस तबाही को देखा और दर्द को सहा है।”

पीएम ने कहा, “कहा जाता है कि पानी और पहाड़ की जवानी उसके काम कभी नहीं आती। मैंने यह तय किया कि यहाँ का पानी और जवानी दोनों पहाड़ के काम आएगी।” प्रधानमंत्री ने राज्य से होने वाले पलायन पर चिंता व्यक्त की और उसे रोकने की बात कही। आगामी दशक को उत्तराखंड का दशक बताते हुए पीएम ने कहा कि यहाँ पर्यटन तेजी से बढ़ने वाला है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि उत्तराखंड में चारधाम को जोड़ने वाली सड़कें और हेमकुंड साहिब के पास रोप-वे समेत कई आधारभूत योजनाएँ हैं।

पीएम मोदी ने आदिगुरु शंकराचार्य के सिद्धांतों को वर्तमान जीवन में अधिक प्रासंगिक बताया और कहा कि देश में तीर्थाटन को जीवन का एक अंग माना गया है। हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में एक बार चारधाम की यात्रा करना चाहता है। इसके अलावा पीएम ने कहा कि सदियों के बाद अब अयोध्या को भी उसका गौरव वापस मिल रहा है। काशी का भी कायाकल्प हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजा के दौरान बाबा केदारनाथ को बाँघांबर वस्त्र चढ़ाया।

केदारनाथ के अपने अनुभवों को पीएम मोदी ने रामचरितमानस की चौपाई के जरिए व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में कहा गया है- ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’। मतलब कुछ अनुभव इतने अलौकिक और अनंत होते हैं, जिन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। इसके अलावा उन्होंने शंकर शब्द का अर्थ भी समझाया। पीएम ने कहा कि “शं करोति सः शंकरः’ अर्थात जो कल्याण करे, वही शंकर है। 

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