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Vladimir Putin से पहले PM Modi ने जर्मनी की चांसलर Angela Merkel के साथ फोन पर बातचीत की

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के बीच मंगलवार को लंबी बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने तकरीबन 45 मिनट तक अफगानिस्तान के हालात (Afghanistan Crisis) पर चर्चा की. पीएम मोदी और पुतिन के बीच ये बातचीत ऐसे समय में हुई जब जी-7 के नेता काबुल में तालिबान के शासन (Taliban rule in Kabul) पर आज वर्चुअली मीटिंग करने जा रहे हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल (Angela Merkel) के साथ फोन पर बातचीत की थी, और अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात पर चर्चा की थी.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति और क्षेत्र तथा दुनिया पर इसके प्रभाव पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने शांति और सुरक्षा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं ने माना कि सबसे जरूरी प्राथमिकता अफगानिस्तान में फंसे हुए लोगों की स्वदेश वापसी है. उन्होंने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें कोविड-19 टीकों में सहयोग, जलवायु और ऊर्जा पर ध्यान देने के साथ विकास सहयोग, व्यापार एवं आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना शामिल है.

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘आज शाम चांसलर मर्केल से बातचीत की और द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ ही अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर चर्चा की. भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दोहराया.’’ पीएमओ के बयान में कहा गया है, ‘‘नेताओं ने अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति और क्षेत्र तथा दुनिया पर इसके प्रभाव पर चर्चा की. उन्होंने शांति और सुरक्षा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें सबसे जरूरी प्राथमिकता फंसे हुए लोगों की वापसी है.’’

अफगानिस्तान पर जी-7 देशों की बैठक
दूसरी ओर अफगानिस्तान पर जी-7 देशों (G-7 Leaders meeting) के नेताओं की मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. इस बैठक में काबुल में तालिबान के शासन को आधिकारिक तौर पर मान्यता देना है या प्रतिबंध लगाना है, इस बात पर फैसला हो सकता है. मीटिंग का आयोजन वर्चुअली होगा. अगस्त की 15 तारीख को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका के सहयोगी देश वॉशिंगटन की ओर देख रहे हैं, वहीं विदेशी राजनयिकों को कहना है कि अफगानिस्तान के मसले पर जी-7 देशों की बैठक (G-7 Meeting) में आपसी सहयोग पर भी चर्चा हो सकती है.

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