हरिद्वार । यह कहानी भगवान भोलेनाथ की नगरी हरिद्वार के एक आश्रम और उसमें रहने वाले तीन साधुओं की है। इन साधुओं में से एक की मौत हो गई है, एक लापता है और एक साधु पिछले 141 दिनों से महज नींबू पानी, नमक और शहद पर जिंदा है। इन साधुओं का एकमात्र लक्ष्य खनन, पेड़ों की अवैध कटाई और अंधाधुंध बन रही पनबिजली परियोजनाओं से गंगा को बचाना है। इसी उद्देश्य के लिए ये साधु लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
यही नहीं यह कहानी स्वामी शिवानंद द्वारा वर्ष 1997 में स्थापित आश्रम मैत्री सदन की भी है जिससे तमाम घटनाएं जुड़ी हुई हैं। सबसे पहले बात मैत्री सदन में रहने वाले 26 वर्षीय ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की जो पिछले 141 दिनों से अनशन कर रहे हैं। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद मां गंगा की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाने को भी तैयार हैं। उन्होंने 24 अक्टूबर को गंगा की रक्षा की दिशा में ‘सरकारी निष्क्रियता’ के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू किया था।
‘सरकार गंगा को मरने दे रही है’
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताजा सर्वे के मुताबिक करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी देश के 39 स्थानों में से मात्र एक जगह पर गंगा का पानी साफ हुआ है। आत्मबोधानंद कहते हैं, ‘सरकार गंगा को मरने दे रही है। मैं एक संन्यासी हूं। मैं रैलियों में विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकता हूं या धरना नहीं दे सकता हूं। मेरी भूख हड़ताल लोगों को जगाने के लिए है, उन्हें यह अहसास दिलाने के लिए है कि वे विकास के नाम पर अन्याय कर रहे हैं।’
ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद इसे अपने भाग्य का हिस्सा मानते हैं। पांच साल पहले तक वह केरल के अलप्पुझा के एक कॉलेज में वह औसत दर्जे के छात्र थे और धर्म के प्रति उनका कोई झुकाव नहीं था। कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के तीसरे साल में उन्हें प्रॉजेक्ट तैयार करने के लिए एक महीने का समय मिला। उनका इरादा पढ़ाई पूरी करके नौकरी करने का था लेकिन एक महीने के फ्री टाइम ने उन्हें एक अलग ही क्षेत्र में भेज दिया।
स्वामी ज्ञान स्वरूप साणंद की हार्ट अटैक से मौत
गत 11 अक्टूबर को स्वामी ज्ञान स्वरूप साणंद की हार्ट अटैक से मौत हो गई। स्वामी साणंद 111 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे थे। आत्मबोधानंद ने आरोप लगाया कि स्वामी साणंद जबरन एम्स ऋषिकेश ले जाए जाने से पहले ठीक थे। साणंद की मौत के ठीक बाद 6 दिसंबर को 39 वर्षीय संत गोपाल दास लापता हो गए। संत गोपाल दास भूख हड़ताल पर थे और उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था।
आत्मबोधानंद का आरोप है कि संत गोपाल दास का अपहरण किया गया और उन्हें 29 नवंबर को एम्स ऋषिकेश ले जाया गया। डॉक्टरों ने दावा किया कि संत गोपाल दास को डेंगू है लेकिन जब उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया तो तीन दिन बाद उन्हें एम्स से छुट्टी दे दी गई। उधर, मैत्री सदन में रहने वाले लोगों का मानना है कि प्रशासन की ओर से यह साजिश रची गई है कि हरेक साधु को धीरे-धीरे मार दो। उनका डॉक्टरों पर भरोसा नहीं है।
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