Home राष्ट्रीय मौत का औजार बनती जा रही हैं ये लोकल ट्रेनें !

मौत का औजार बनती जा रही हैं ये लोकल ट्रेनें !

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मुंबई की जीवन रेखा कहे जाने वाली उपनगरीय रेल सेवा (लोकल ट्रेन) लोगों के लिए काल साबित हो रही हैं। लोकल ट्रेनों का टैक (पटरियां) मौत का रास्ता बनता जा रहा है। पिछले एक साल में विभिन्न दुर्घटनाओं में तीन हजार से ज्यादा लोग काल का ग्रास बने। आंकड़ों पर नजर डालें तो रोजाना नौ लोग सफर के दौरान जान गंवाते हैं।’

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Ride on the Mumbai Local Train

सूचना अधिकार कानून के तहत दाखिल एक अर्जी के जवाब में यह जानकारी सामने आई है।  राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़े के मुताबिक, महानगर में पश्चिमी, मध्य और हार्बर लाइन पर पिछले साल हुए विभिन्न हादसों में 3014 लोगों की मौत हुई।

शहर के सूचना अधिकार कार्यकर्ता समीर जावेरी ने आरटीआइ अर्जी दाखिल कर पिछले साल हुए ट्रेन हादसों और उसमें लोगों की मौत के बारे में जानकारी मांगी थी। सरकार की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 में उपनगरीय ट्रेन सेवा की तीनों लाइनों पर ट्रैक पार करते समय 1651 (1467 पुरुष और 184 महिलाएं) लोग काल का ग्रास बने। इसी प्रकार चलती ट्रेन से गिरने के कारण 58 महिलाओं समेत 654 लोगों की मौतें हुईं। आंकड़ों को देखें तो सेंट्रल लाइन के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसएमटी), दादर और भायकुला रेलवे स्टेशन के बीच 1534 लोगों की मौत हुई।

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Ride on the Mumbai Local Train

वेस्टर्न लाइन पर 1540, सेंट्रल लाइन पर 1435 और हार्बर लाइन पर 370 लोग विभिन्न घटनाओं में जख्मी भी हुए हैं। पुलिस की ओर से कहा गया है कि इस प्रकार की घटनाओं के मुख्य रूप से तीन कारण (आत्महत्या, ट्रेन से गिरने और अवैध रूप से रेलवे ट्रैक को पार करना) हैं।

मध्य रेलवे जीआरपी के उपायुक्त एम.चह्वान ने कहा कि हम लोग (पुलिस) ट्रेन से गिरने और अवैध रूप से ट्रैक पार करने की घटनाओं से होने वाले हादसों को टाल सकते हैं,लेकिन आत्महत्या की घटनाओं पर अंकुश लगा पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, एक ट्रेन से उतर कर दूसरी गाड़ी पकड़ने के चक्कर में अक्सर लोग अवैध रूप से रेलवे ट्रैक पार करते हैं और इसी दौरान हादसे का शिकार होते हैं।

हाल ही में मराठी कलाकार प्रफुल्ल भालेराव ऐसी ही कोशिश में काल का ग्रास बने। चह्वान ने कहा, लोगों को ऐसा करने से बचना चाहिए। मुसाफिरों को जागरूक करने के लिए विभाग प्रयासरत है। स्टीकर और पोस्टर लगाने के साथ साथ विभिन्न स्थानों पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं।

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