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कश्मीर: सुरक्षाबलों का आतंकियों को संदेश- सरेंडर करो, सेफ रहोगे

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कश्मीर: सुरक्षाबलों का आतंकियों को संदेश- सरेंडर करो, सेफ रहोगे

 

 

लंबे समय से कश्मीर में सुरक्षा बलों ने ‘टेक नो प्रिजनर’ नीति लागू कर रही है. आतंकवादियों की मौत के बाद सुरक्षा बलों ने घाटी में विद्रोह के नए चेहरे को खत्म करने के लिए एक बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है जिससे बदलाव दिख रहा है.

आतंकियों को अपने परिवारों में फिर से शामिल होने को प्रेरित करने के लिए पुलिस सुरक्षा और पुनर्वास की बेहतर नीति को अपना रही है.

बुधवार को सुरक्षा बल द्वारा तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था और गुरुवार सुबह श्रीनगर में मीडिया के सामने पेश किया गया था.

भारतीय सेना के अधिकारियों और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के मुताबिक, कश्मीर पुलिस प्रमुख मुनीर खान ने कहा कि एक आतंकवादी गंभीर रूप से लड़ाई में घायल हो गया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया और उनकी जिंदगी बचा ली.खान ने कहा, ‘पुलिस को उम्मीद है कि इससे दूसरे आतंकवादियों पर असर पड़ेगा. और जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं उनके परिवार को भी पुलिस के आश्वासन पर भरोसा होगा. उन्होंने कहा, ‘हम जिंदगी बचाने के लिए हैं.’

खान ने श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि यह अभियान 14 नवंबर को शुरू हुआ. उन्होंने गिरफ्तार आतंकियों की पहचान अत्ता मोहम्मद मलिक, शम्स उल विक़ार और बिलाल शेख के रूप में की. उन्होंने कहा कि मलिक घायल थे, और अभी अस्पताल में हैं.

हालांकि सेना के कमांडर ने जोर देकर कहा कि अगर ये ऑपरेशन जारी रहेगा तो ऐसा लग रहा था कि आतंकवादियों की भर्ती को रोकने के लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के दबाव में थे. ये गिरफ्तारी उस दिशा में पहला कदम पहला कदम दिख रहा है.

खान ने आगे कहा, ‘हम चाहते हैं कि स्थानीय आतंकी, जैसे फुटबॉल खिलाड़ी माजिद खान, जिनके हाल ही में आतंकी समूह में शामिल होने की खबर आई है, उन्हें अपने परिवार में वापस आ जाना चाहिए. हम उन्हें हर तरह की मदद देने की कोशिश करेंगे.’

खान ने कहा कि दक्षिण कश्मीर में आतंक समूह में भारी संख्या में लोग भर्ती हो रहे थे क्योंकि इस इलाके में अधिक स्थानीय आतंकवादी थे और उन्होंने बहुत प्रभाव डाला था.

हालांकि खान ने आगे कहा, हम उम्मीद करते हैं आतंकियों से परिवार और रिश्तेदार इस गिरफ्तारी की खबर को पढेंगे और वे समझेंगे कि हम पूरी इमानदारी से उनकी जिंदगी बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

पुलिस भी सतर्क थी. मीडिया को सख्त चेतावनी दी  गयी थी कि बुधवार को आतंकियों के आत्मसमर्पण के साथ गिरफ्तारी की खबर को लेकर लोगों को भ्रमित न करें.

खान ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड इलाके के कुलगांव जिले में हालन-कुंड में हुए मुठभेड़ में गिरफ्तार किए गए मलिक सहित दूसरे आतंकवादियों ने सोशल मीडिया तस्वीरें पोस्ट की थीं और सेना को चैलेंज किया था.

खान ने कहा कि राज्य सरकार इस नई सरेंडर पॉलिसी के लिए उत्साहित थी जो प्रभावी होगी. उन्होंने सुझाव भी मांगे थे.

खान ने कहा, ‘यह न केवल सीमा रेखा को पार करने वाले आतंकवादियों के बारे में है, बल्कि जो यहां हैं और अपने परिवारों में लौटना चाहते हैं उनके लिए भी है. हम अपनी सिफारिशों को राज्य सरकार के सामने भेजेंगे और जल्द ही, एक आत्मसमर्पण नीति लागू की जाएगी.’

इससे पहले, जम्मू-कश्मीर सरकार ने पूर्व आतंकवादियों के लिए पुनर्वास की दो नीतियों की घोषणा की थी.

2004 में शुरू की गयी पहली पुनर्वास नीति, जो जम्मू-कश्मीर में रहने वाले आतंकियों के लिए थी, जबकि दूसरा, जो 2010 में शुरू किया गया था, कश्मीर के पूर्व आतंकवादियों के लिए जो पाकिस्तान में रह रहे थे और वे घाटी में वापस आना चाहते थे. शायद यही वजह है कि इन दिनों बहुत कम आतंकवादी आत्मसमर्पण करते हैं.

सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार तीसरी नीति पर विचार कर रही है. उनके लिए जो हाल ही में आतंकवाद में शामिल हो गए हैं और जो अपने परिवार में लौटना चाहते हैं साथ ही मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं.

गृह मंत्रालय ने एक समिति गठित की जो इसकी जांच कर रही है कि किसी आतंकवादी ने आत्मसमर्पण कर दिया हो फिर भी उन्हें समाज से बाहर रखा गया हो, या विदेश जाने के लिए पासपोर्ट, सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने जैसी हर सुविधा से रोका जा रहा हो.

समीर यासिर की रिपोर्ट

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