Home राष्ट्रीय BS-6 के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहेंगे

BS-6 के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहेंगे

33
0

BS-6 के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहेंगे

 

 

देशभर में रजिस्‍टर्ड वाहनों की संख्‍या करीब 20 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है. देशभर में प्रदूषण फैलाने में इन वाहनों की बड़ी हिस्‍सेदारी है. ऐसे में केंद्र सरकार ने अप्रैल 2018 से बीएस-6 ग्रेड फ्यूल नॉर्म्‍स लागू करने का फैसला किया है. ताकि प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सके.

अभी तक भारत में बीएस-4 नॉर्म्‍स लागू थे. असल में किसी देश की सरकार जब  इन मानकों को अपनाने का फैसला करती है तो ऑटोमोबाइल क्षेत्र में एक बड़ा फेरबदल होता है.

आपकी चिंताओं के समाधान के साथ बीएस-6 के बारे में बता रहे हैं ऑटोमाेबाइल इंडस्‍ट्री के जाने-माने विशेषज्ञ टूटू धवन.  (नीचे देखें सवाल-जवाब ) 

यह है बीएस-6बीएस-4 या बीएस-6 जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि बीएस क्‍या है ? दरअसल बीएस यानि भारत स्‍टेज इमिशन स्‍टैंडर्ड (Bharat stage emission standards) को सन 2000 में भारत में लाया गया था. यह वाहनों के इंजन से होने वाले उत्‍सर्जन या निकलने वाले प्रदूषित कण्‍ाों का मानक है. इसकी अलग-अलग श्रेणियां हैं, जैसे बीएस-1, बीएस-2, बीएस-4, बीएस-6 आदि.

[object Promise]

बीएस-6 मानक है. इसके अनुसार ऑटोमोबाइल कंपनियों को वाहनों के इंजन बनाने होंगे, जो कम से कम उत्‍सर्जन करेंगे.

भारत स्‍टेज दरअसल यूरोपियन नियमों या यूरो नॉर्म्‍स से प्रभावित है. जो कि यूरोप में वाहनों से होने वाले उत्‍सर्जन के मानकों के तौर पर प्रचलित हैं. यूरो-।, यूरो-4 की तरह ही भारत स्‍टेज यानि बीएस की भी श्रेणी हैं. इन मानकों का अर्थ है कि कोई भी वाहन एक सीमा तक ही प्रदूषित कण छोड़ सकता है, अगर उससे ज्‍यादा छोड़ता है तो वह इन मानकों का उल्‍लंघन कर रहा है.

बीएस-4 और बीएस-6 में अंतर
बीएस-6 नियमों वाले इंजन की तकनीक काफी उन्‍नत है. यह बीएस-4 से काफी बेहतर है. यह प्रदूषण को ज्‍यादा हद तक नियंत्रित करती है. बीएस-6 इंजन वाले वाहनों के लिए ईंधन या फ्यूल भी ज्‍यादा रिफाइंड या उन्‍नत ही चाहिए होता है. यूरोप, अमेरिका सहित कई देशों में यूरो-6 तकनीक के वाहन चल रहे हैं.

आखिर बीएस-6 की चिंता क्‍यों करनी चाहिए? आपके सवाल, एक्‍सपर्ट के जवाब

सवाल. क्‍या इससे गाडि़यां महंगी हो जाएंगी? 

जवाब. हां निश्चित रूप से महंगी होंगी.

सवाल. कितना असर पड़ेगा?

[object Promise]

demo pic.

जवाब. 5 लाख रुपये तक की गाड़ी पर 50 हजार रुपये, 6-12 लाख रुपये तक की गाड़ी पर 80 हजार रुपये तक, वहीं इससे ऊपर की गाडि़यों पर 1 लाख रुपये तक महंगाई बढ़ेगी.

सवाल. क्‍या पुरानी गाडि़यां इस ईंधन के हिसाब से अपडेट करानी होंगी? या पुरानी गाडि़यां बेकार हो जाएंगी ?

जवाब. पुरानी गाडि़यां अपडेट नहीं हो पाएंगी. उनमें बीएस-4 मानकों का ही इंजन है और ऑयल कंपनियां भी बीएस-4 मानकों का ही फ्यूल उपलब्‍ध करा रही हैं. ऐसे में इन गाडि़याें में बीएस-6 मानकों का ईंधन डालने के बाद ये कम प्रदूषण फैलाएंगी. हालांकि ये प्रतिशत 10 से 15 फीसदी ही होगा. बहुत ज्‍यादा फर्क नहीं पड़ेगा.

सवाल. बीएस-6 इंजन के हिसाब से मिलने वाला ईंधन पुराने बीएस-4 मानकों के ईंधन से महंगा होगा?

जवाब. हां महंगा होगा. हालांकि कीमतें केंद्र सरकार अपने हिसाब से तय करेगी. लेकिन अनुमान है कि पुराने ईंधन के मुकाबले यह 2-5 रुपये महंगा होगा.

सवाल. क्‍या इस ईंधन की गाडि़यों की उम्र ज्‍यादा होगी?

जवाब. लॉजिक तो यही कहता है कि जो गाड़ी आज 15 साल में रिटायर हो रही है, वह बीएस-6 आने के बाद ज्‍यादा चले, लेकिन बीएस-6 तकनीक भी बहुत ज्‍यादा दिन नहीं चलेगी, जल्‍द ही बदलाव होगा और इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस होगा.

सवाल. नई तकनीक से कितना प्रदूषण कम होगा ?

[object Promise]

दिल्‍ली में प्रदूषण.

जवाब. इतना ही असर पड़ेगा जितना पेट्रोल की गाड़ी के मुकाबले सीएनजी की गाडि़यों से कम प्रदूषण्‍ा फैलता है. उदाहरण के लिए बीएस-4 को पेट्रोल या डीजल की गाड़ी मान सकते हैं बीएस-6 को सीएनजी गाड़ी मान सकते हैं.

सवाल. किन देशों में बीएस-6 या इससे अच्‍छा ग्रेड का ईंधन इस्‍तेमाल हो रहा है?

जवाब. यूरो-6 अमेरिका, यूरोप सहित कई देश्‍ाों में चल रहा है. वहां पहले ही यूरो-4 बंद हो चुका है.

सवाल. किसी कंपनी की गाडि़यां अपडेटेड हैं और दोनों फ्यूल पर चल सकती हैं ?

जवाब. भारत में अभी तक ऐसी कोई कंपनी नहीं है जो बीएस-6 मानकों के वाहन बना रही है.

सवाल. पूरे देश में इन मानकों के अनुसार काम होने में कितना वक्‍त लगेगा?

[object Promise]

demo pic.

जवाब. कम से कम पांच साल.

बीएस-6 लागू होने के बाद यह होगा
भारत में बीएस-6 लागू होने के बाद अभी तक बाजार में आ रहीं बीएस-4 क्षमता के इंजन वाली गाडि़यां बनना बंद हो जाएंगी, वहीं ऑटोमोबाइल कंपनियों को अपनी तकनीक में सुधार कर बीएस-6 इंजन वाले वाहन बाजार में उतारने होंगे.

इसके अलावा ऑयल कंपनियों को वर्तमान में मिल रहे ईंधन के बजाय बीएस-6 इंजन में चलने वाला ज्‍यादा रिफाइंड ऑयल या फ्यूल लाना होगा. ताकि कार्बन डाई ऑक्‍साइड, हाईड्रोकार्बन, नाइट्रोजन  ऑक्‍साइड, पार्टिकुलेट मैटर आदि का कम से कम उत्‍सर्जन हो.

Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।