गुजरात चुनाव 2017: सीडी की राजनीति और लोकतंत्र
उसके बाद कुछ लोगों के साथ शराब का गिलास थामे कथित रूप में हार्दिक की सीडी भी नमूदार हो गई है. हार्दिक इसे सरासर बीजेपी की गटर राजनीति बता रहे हैं जबकि बीजेपी सीडी पॉलिटिक्स से अपना पल्ला झाड़ रही है. हार्दिक ने ऐसी और कई सीडी बाजार में दर्शकों के मनोरंजन के लिए आने के प्रति फिर आगाह किया है.
बिलो द बेल्ट अटैक करने वाली इन सीडियों और इलेक्ट्रॉनिक स्टिंग ऑपरेशन ने अनेक नेताओं की राजनीतिक कमाई को विमुद्रीकरण की तरह रातोंरात जीरो किया है. ऐसे नेताओं में बीजेपी के ही गुजरात प्रभारी संजय जोशी, बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष रहे बंगारू लक्ष्मण, समता पार्टी की अध्यक्ष जया जेटली, रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज, सांसद और छत्तीसगढ़ बीजेपी के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जुदेव, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी दिग्गज अजीत जोगी और प्रश्न कांड तथा नारद कांड में नोट लेते स्टिंग का दंश झेल रहे सांसद एवं अन्य नेता हैं.
इन सबसे भी पहले अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन 1980 के दशक में स्टिंग के दंश से अपना पद गंवा चुके हैं. उत्तराखंड के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री हरीश रावत का विधायकों का समर्थन पाने की सौदेबाजी का स्टिंग, समाजवादी के पूर्व महासचिव अमर सिंह, क्रिकेट मैच फिक्सिंग, हार्दिक के साथी नरेंदर पटेल की बीजेपी कद्दावर द्वारा उन्हें कथित रूप में खरीदने संबंधी बातचीत का सीडी और नकदी आदि मामले भी स्टिंग की बदौलत ही उजागर हुए हैं. जेसिका लाल और प्रियदर्शिनी मट्टू के जघन्य हत्याकांडों में स्टिंग ऑपरेशन की बदौलत ही दोषियों को लंबी सजा हो पाई है.इस लिहाज से देखें तो इलेक्ट्रॉनिक स्टिंग आपरेशनों के जरिए जहां भारतीय राजनीति की सफाई से लोकतंत्र का भविष्य उज्जवल तथा कभी-कभी नेताओं का चरित्रहनन भी हो रहा है. वहीं लैंगिक न्याय और मानवाधिकारों की भी रक्षा हो रही है.
बहरहाल हार्दिक का दावा है कि यह उनके ही किसी पुराने साथी की हिमाकत है जो दिल्ली जाकर बीजेपी में शामिल हुआ है. वैसे सीडी की इस टुटपुंजिया राजनीति को उन्होंने गुजरात की स्त्रियों का अपमान बताकर खुद भी राजनीतिक रंग दे दिया है.
अन्य ट्वीट में वे साफ कह रहे हैं कि उन्होंने अभी शादी तो नहीं की मगर वे नपुंसक नहीं हैं. हार्दिक ने मुनासिब समय पर इन सीडियों के फर्जी होने और किसी अन्य के चौखटे पर उनका चेहरा चस्पां करने की साजिश का सबूत देने का भी दावा किया है.
पाटीदार अनामत आंदोलन के मुख्य चेहरे हार्दिक की उम्र अभी महज चौबीस साल है और कथित कमराबंदी सीडी के जरिए दूसरी बार उनका चरित्र हनन किया गया है. इससे पहले 2015 में जब पाटीदार आंदोलन उफान पर था तक भी कथित रूप में उनकी ऐसी ही सीडी बाजार में आई थी. उसके बावजूद हार्दिक न सिर्फ जमे हुए हैं बल्कि बीजेपी नेतृत्व को उन्होंने दर-दर वोट मांगने पर मजबूर कर दिया है.
उत्तरी गुजरात की 53 सीटों पर उलटफेर में समर्थ पाटीदारों के नेता हार्दिक कोई बीजेपी के संजय जोशी तो हैं नहीं कि सीडी के ब्रह्मास्त्र से धराशाई होकर गुजरात ही छोड़ने पर मजबूर हो जाएं. संजय जोशी को सीडी की यह कुत्सित राजनीति इतनी भारी पड़ी कि उनका गुजरात ही नहीं बल्कि राजनीति से भी सफाया हो गया.
सीडी युद्ध में खेत रहे संजय जोशी अकेले नेता नहीं हैं. उन्हीं की पार्टी बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष रहे बंगारू लक्ष्मण भी ऐसे ही इलेक्ट्रॉनिक स्टिंग में हाथ जलने पर बड़े बेआबरू होकर पद से हटे थे. उन्हें तहलका डॉट कॉम वेबसाइट पर रक्षा सौदों को प्रभावित करने के लिए एक लाख रुपए जितने नोटों की गड्डियां थामते पूरी दुनिया ने देखा था.
तहलका कांड के नाम से मशहूर उस स्टिंग में रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज और उनकी हमसफर और समता पार्टी की अध्यक्ष जया जेटली को भी अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा था.
जॉर्ज फर्नांडीज के लिए यह झटका बेहद मर्मांतक इसलिए था कि वे तो भ्रष्टाचार से लड़ने में हमेशा आगे रहे थे. चाहे आपातकाल में सर्वसत्तात्मक इंदिरा गांधी हों या बोफोर्स तोप सौदे में कथित दलाली में बदनाम हुए राजीव गांधी, उन्होंने डटकर उनका विरोध किया था.
तहलका स्टिंग ऑपरेशन रक्षा सौदों और भारतीय राजनीति में पैसे के अवैध लेनदेन पर इतना बड़ा खुलासा था कि प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के चेहरे का रंग कई दिन तक उड़ा रहा था. वाजपेयी की अगुआई में बीजेपी ने कांग्रेस के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ दशकों लंबे संघर्ष के बाद सत्ता हासिल की थी. सबको वाजपेयी और बीजेपी के इकबाल पर बड़ा नाज था मगर एक ही स्टिंग का दंश इतना गहरा लगा कि उसकी छवि पल भर में किरचे-किरचे हो गई.
हार्दिक की सीडी से ऐन पहले दिल्ली में पत्रकार विनोद वर्मा को छत्तीसगढ़ के बड़े नेता की अश्लील सीडी रखने और उसे ब्लैकमेल करने के आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके हैं. हालांकि छत्तीसगढ़ के मंत्री राजेश मूणत ने ऐसी किसी सीडी या ब्लैकमेलिंग की कोशिश की जानकारी से इंकार किया तो भी विनोद को अभी तक जमानत नहीं मिली.
सीडी की टुटपुंजिया राजनीति ने ही साल 2003 में छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद दिलीप सिंह जूदेव के नीचे से मुख्यमंत्री की कुर्सी आते-आते खिसकवा दी थी. पूरी दुनिया ने जूदेव को नोटों की गड्डी माथे पर लगाते और यह डायलॉग बोलते सुना, ‘पैसा, खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं.’ इसी के साथ जूदेव की तकदीर में बट्टा लग गया और बीजेपी के स्टार कैंपेनर से मुख्यमंत्री बनते-बनते वे कोने में बैठा दिए गए.
छत्तीसगढ़ से ही पूरे देश ने 2003 में खुली आंखें टीवी पर कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजित जोगी की बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायकों की सौदेबाजी करती आवाज सुनी थी. राज्य में कांग्रेस के चुनाव हारने पर बीजेपी विधायक दल ने रमन सिंह को अपना नेता चुन लिया था. अजित जोगी तब भी बस्तर के सांसद बलिराम कश्यप से बीजेपी विधायकों को खरीदने की सौदेबाजी कर रहे थे.
पूरी बात बीजेपी नेताओं ने सीडी में रिकॉर्ड कर ली. उसी रात अरुण जेटली से रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस करवा के बीजेपी ने नोटों से भरा बोरा और वो सीडी जारी करवा दी. फिर बीजेपी की रमन सिंह सरकार ने उस कांड की जांच सीबीआई को सौंप दी जिसका आजतक कोई नतीजा नहीं निकला.
इलेक्ट्रॉनिक स्टिंग ऑपरेशन ने ही सिनेमा उद्योग में शक्ति कपूर और अमन वर्मा जैसे लोगों को कास्टिंग काउच यानी काम की तलाश में भटकती लड़कियों का शोषण करते पकड़ा.
स्टिंग से भष्टाचार विरोधी मुहिम ऐसी छिड़ी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो लोगों से रिश्वत मांगने वाले अफसरों और नेताओं का स्टिंग करके सीडी उन्हें भेज देने की अपील कर डाली. यह बात दीगर है कि उन्हीं के दो मंत्री अब तक स्टिंग में दुराचार और भ्रष्टाचार के आरोप में पद से हटाए जा चुके हैं.
बाजार में जासूसी उपकरण अब बहुतायत में उपलब्ध हैं. ऊपर से स्मार्टफोन में भी अब हाथोंहाथ वीडियो बनाकर वायरल करने की सुविधा के चलते बड़े-बड़ों के होश ठिकाने लगा दिए हैं. कुल मिलाकर सीडी की कमरतोड़ राजनीति पर कवियत्री संध्या सिंह की यह उक्ति सही सिद्ध हो रही है,‘राजनीति के खेल में धर्म सीढ़ी है और सीढ़ी निन्यानबे से एकदम नौ पर ला पटकती है.’
फर्स्टपोस्ट हिंदी के लिए अनंत मित्तल
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