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जहरीला धुएं में डूबी रही दिल्‍ली, सरकार के पास पड़े रहे 1500 करोड़

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जहरीला धुएं में डूबी रही दिल्‍ली, सरकार के पास पड़े रहे 1500 करोड़

 

 

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए हरित कोष के तौर पर दिल्ली में अथॉरिटी के पास 1,500 करोड़ रुपये से अधिक राशि इस्तेमाल नहीं होने के कारण पड़ी हुई है जबकि दिल्ली जहरीली धुंध से राहत पाने के लिए मशक्कत कर रही है. इस रकम का बड़ा हिस्सा और 1,003 करोड़ रुपया पर्यावरण मुआवजा शुल्क (ईसीसी) से आया, जिसे उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले ट्रकों पर 2015 में लगाया था वहीं, बाकी राशि प्रति लीटर डीजल बिक्री पर लगाए गए उपकर से मिला है.

यह उपकर 2008 से प्रभावी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली – एनसीआर में 2000 सीसी और इससे अधिक की क्षमता वाले इंजन के साथ डीजल कार बेचने वाले डीलरों से इकट्ठा किए एक फीसदी उपकर से 62 करोड़ रुपये जमा किए. यह कदम पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के बाद उठाया गया था.

सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट (सीएसई) में शोधार्थी उस्मान नसीम ने बताया कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम ईसीसी एकत्र करता है और यह रकम शहर के परिवहन विभाग को हर शुक्रवार को जमा करता है.

डीजल पर उपकर की घोषणा शीला दीक्षित सरकार ने दिसंबर 2007 में कही थी. इसने वाहनों से होने वाले प्रदूषण के मद्देनजर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिश के तहत यह कदम उठाई थी.नसीम ने बताया कि ‘एयर एंबीयेंस फंड’ का रखरखाव दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) करती है. इसके पास फिलहाल करीब 500 करोड़ से अधिक की राशि है.

संपर्क किए जाने पर दिल्ली परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए इस कोष का इस्तेमाल करने का फैसला कल लिया गया. ‘‘हम इलेक्ट्रिक बसों के लिए इस कोष का उपयोग करेंगे. ’’ हालांकि, फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि कितनी संख्या में ई-बसें खरीदने की सरकार की योजना है और इसके लिए कितनी राशि की जरूरत है.

उच्चतम न्यायालय के साल 2016 के आदेश के मुताबिक ईसीसी से करीब 120 करोड़ रुपये का इस्तेमाल ट्रकों पर ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटीफिकेशन डिवाइस’ लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा ताकि प्रभावी और विश्वसनीय ‘लेवी’ वसूल हो सके.

वहीं, सीपीसीबी की योजना हरित कोष का इस्तेमाल क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में बेहतरी और प्रबंधन को लेकर अध्ययन पर खर्च करने की है.

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