हाईकोर्ट ने पूछा- बिंदी, काजल पर GST नहीं तो सैनिटरी नैपकिन पर क्यों?
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि सैनिटरी नैपकिन एक जरूरत है और उन पर कर लगाने एवं अन्य वस्तुओं को जरूरी चीजों की श्रेणी में लाकर उन्हें कर के दायरे से बाहर करने का कोई स्पष्टीकरण नहीं हो सकता.
पीठ ने कहा, ‘आप बिंदी, काजल और सिंदूर को छूट देते हैं. लेकिन आप सैनिटरी नैपकिन पर कर लगा देते हैं. यह तो जरूरी चीज है. क्या इसका कोई स्पष्टीकरण है.’ 31 सदस्यीय जीएसटी परिषद में एक भी महिला सदस्य के नहीं होने पर भी अदालत ने नाखुशी जाहिर की.
पीठ ने कहा, ‘ऐसा करने से पहले क्या आपने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से इस पर चर्चा की या आपने सिर्फ आयात एवं निर्यात शुल्क ही देखा? व्यापक चिंता को ध्यान में रखते हुए इसे करना है.’ इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.अदालत जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अफ्रीकी अध्ययन की शोधार्थी जरमीना इसरार खान की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जरमीना ने सैनिटरी नैपकिनों पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को चुनौती दी है. याचिका में इस फैसले को गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक करार दिया गया है.
ये भी पढ़ें-
12% जीएसटी के विरोध में पीएम मोदी को भेजा सैनेटरी नैपकिन
सैनिटरी पैड पर GST: बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।