भारत-कजाकिस्तान सेना का संयुक्त सैन्य अभ्यास समाप्त
प्रबल दोस्तीक (मजबूत दोस्ती) का प्रथम संस्करण कजाकिस्तान में आयोजित किया गया था, जो मध्य एशिया का बड़ा देश है और भारत का बड़ा वाणिज्य सहयोगी है. अभ्यास में भारतीय पक्ष के कमांडर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि पखवाड़े भर चले अभ्यास का लक्ष्य दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाना और दोनों बलों को संयुक्त राष्ट्र के शासनादेश के मुताबिक घुसपैठ निरोधक और आतंकवाद निरोधक अभियानों के दौरान एक-दूसरे के अभियान की प्रक्रिया से परिचित कराना था.
अभ्यास में भारतीय सेना के 11 गोरखा राइफल्स की तीसरी बटालियन के एक प्लाटून ने हिस्सा लिया और कजाकिस्तान की सेना से भी इतनी ही संख्या में सैनिकों ने इसमें हिस्सेदारी की. अभ्यास हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के कैंट इलाके बकलोह में हुआ. बकलोह एक पर्यटक केंद्र है जो समुद्र तल से 4584 फुट की ऊंचाई पर स्थित है.
दोनों देशों के सैनिकों का दो हफ्ते तक कड़ा अभ्यास हुआ. दोनों पक्षों ने आतंकवाद निरोधक अभियानों और परस्पर सहयोग बढ़ाने में कौशल हासिल करने पर संतोष जताया. कजाकिस्तान की सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल जी बी कैसीम्बेकोव ने बताया कि भारत में ये 14 दिन काफी अच्छे रहे जहां हमें आतंकवाद निरोधक अभियानों के बारे में सार्थक अनुभव हासिल करने का मौका मिला. यह अभ्यास हमारी दोस्ती एवं संयुक्त कार्य को आगे ले जाने में सहयोगी साबित होगा.उन्होंने कहा कि सैन्य कौशल के अलावा उनकी सेना को भारतीय संस्कृति को अनुभव करने का मौका मिला और सशस्त्र बलों में उन्होंने अपने दोस्त बनाए. रक्षा और राजनीति के क्षेत्र में सहयोग का भारत और कजाकिस्तान का लंबा इतिहास रहा है. भारत उन पहले देशों में शामिल है जिसने कजाकिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंध फरवरी 1992 में बने थे.
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