Home राष्ट्रीय जॉब छोड़कर एमबीए पास लड़की रोड पर लगाती हैं फूड स्टॉल

जॉब छोड़कर एमबीए पास लड़की रोड पर लगाती हैं फूड स्टॉल

42
0

नई दिल्लीं। राधिका अरोड़ा ने एमबीए की पढ़ाई करने के बाद एचआर प्रोफेशनल की नौकरी छोड़ ठेले पर खाना खिलाने का काम शुरू किया और आज अपने इस फैसले से संतुष्ट होने के साथ-साथ वो गर्व भी महसूस करती हैं। राधिका का खाना इतना स्वादिष्ट होता है कि शुरुआती दिनों में खाना कुछ घंटों में ही खत्म हो जाया करता था। शुरू में वह रोजाना सिर्फ 70 प्लेट खाना तैयार करती थीं लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई। अपनी पहली सफलता से बेहद खुश राधिका ने कहा कि अब वह इवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में भी हाथ आजमाना चाहती हैं। इसके लिए वे पूरी तैयारी से लग गई हैं। चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेज से एमबीए करने के बाद नौकरी के सिलसिले में राधिका को चंडीगढ़ में रहना पड़ता था। वह पीजी में रहा करती थीं। लेकिन उन्हें वहां का खाना पसंद नहीं आता था। इस वजह से वह या तो बाहर का खाना खाती थीं या फिर कहीं से टिफिन मंगवाती थीं। राधिका बताती हैं, ‘जब मैं यहां काम कर रही थी तो मैं घर में मां के हाथ से बने खाने को काफी मिस किया करती थी। इसी मुश्किल से मुझे खाने की शॉप खोलने का ख्याल आया।’ राधिका ने हिम्मत करके नौकरी छोड़ दी और मोहाली के फेज-8 इंडस्ट्रियल एरिया में एक छोटे से ठेले से अपनी दुकान की शुरुआत कर दी। उन्होंने इसका नाम रखा – मां का प्यार।
राधिका का खाना इतना स्वादिष्ट होता है कि कुछ घंटों में ही खाना खत्म हो जाया करता था। वह शुरू में रोजाना 70 प्लेट खाना तैयार करती थीं, लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई। वह कहती हैं कि मुझे दूसरों के लिए घर जैसा खाना खिलाने में काफी खुशी मिलती है। राधिका के इस वेंचर की सफलता का राज यही है कि वह घर जैसा खाना बनाती हैं और किसी भी तरह से समझौता नहीं करतीं। उनके ठेले पर राजमा-चावल, कढ़ी, चना, भिंडी जैसी डिशेज रहती हैं।

इसके लिए उन्होंने बकायदा कुक रखा है जो सभी के लिए खाना तैयार करता है। लेकिन राधिका की शुरुआत इतनी आसान भी नहीं थी। उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेने से लेकर सड़क पर पहले से ठेला लगाने वालें से उन्हें संघर्ष करना पड़ा। लेकिन राधिका कहती हैं कि उन्होंने यह सारा काम बड़े धैर्यपूर्वक किया। राधिका ने 1 लाख रुपए से अपने बिजनेस की शुरुआत की थी। उनके पैरेंट्स भी राधिका के इस फैसले से चिंतित थे। उन्हें लगता था कि एमबीए की पढ़ाई करने के बाद उनकी लड़की ठेला कैसे लगा सकती है। खैर, राधिका के अंदर खुद का काम शुरू करने का जुनून था इसलिए उन्होंने किसी की बात नहीं मानी और खुद पर यकीन करते हुए पूरी शिद्दत के साथ लगी रहीं। घरवालों का कहना था कि अच्छी खासी पढ़ी-लिखी लड़की ऐसा काम कैसे कर सकती है। उन्हें लगा कि सर्दी, गर्मी बरसात किसी भी मौसम में सड़क पर खड़े होकर काम करना पड़ेगा। लेकिन जब कुछ दिनों तक उनके इस फूड स्टाल से ठीक-ठाक पैसे आने लगे तो उनके घरवालों को भी लगा कि उनकी बेटी ने शायद सही फैसला किया है। यही वजह है कि एक बार सफलता का स्वाद चख लेने के बाद राधिका के परिवार वालों को आज उन पर गर्व होता है। आज राधिका के दो स्टॉल हैं। पहला इंडस्ट्रियल एरिया मोहाली में और दूसरा वीआईपी रोड जीरकपुर में। उनका खाना इतना स्वादिष्ट होता है कि जो भी खाने के लिए आता है वह बिना तारीफ किए नहीं जाता। उनकी टीम में कुल पांच लोग हैं जो पूरे काम को हैंडल करते हैं।

यह भी पढ़ेे:   यह भी पढ़ेे:क्या राम-कृष्ण के वंशज हैं मेव मुसलमान?

Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।