जरा सोचिए, अगर देश में इस तरह से जजों की नियुक्ति की जाती रही तो यहां की न्याय व्यवस्था की क्या स्थिति होगी। करोड़ों में बिक रहे पेपर खरीदकर जज बनने वाले लोग फरियादियों के साथ कैसा न्याय करेंगे, यह बड़ा सवाल उठता है ?
(हरियाणा ब्यूरो )
नई दिल्ली। देश में जजों की भर्ती कराने में बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है। इस रैकेट का संचालन परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी उठाने वाले रजिस्ट्रार ही जब करने लगें तो फिर इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा। एचसीएस जैसी बड़ी परीक्षा में भी रैकेट की सेंधमारी का बड़ा खुलासा हुआ है। सिविल सर्विसेस ज्यूडिशियल ब्रांच पेपर लीक मामले में पुलिस ने टॉपर रही सुनीता को दिल्ली के नजफगढ़ से अरेस्ट कर लिया। कोर्ट ने उसे 3 दिन की रिमांड पर भेजा है। आरोप है कि रैकेट ने पेपर लीक किया, फिर उसे डेढ़-डेढ़ करोड़ में अभ्यर्थियों को बेचा। सुनीता को पहले ही प्रश्नपत्र मिल गया तो अच्छे से तैयारी कर वह टॉपर बन गईं। कुछ अभ्यर्थियों की शिकायत पर संदेह के घेरे में आई इस परीक्षा को पहले ही हरियाणा हाईकोर्ट रद्द कर चुका है।
परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक करने में रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर शर्मा की भूमिका सामने आ रही है। पुलिस जांच में पता चला कि रजिस्ट्रार से सुनीता का 760 बार संपर्क हुआ। अब पुलिस सुबूत के तौर पर सुनीता के मोबाइल फोन और हार्ड डिस्क रिकवर करने की कोशिश में जुटी है। पुलिस ने कोर्ट में बताया कि सुनीता को क्वेश्चन पेपर पहले ही मिल गया था, इसलिए वह टॉप कर पाई।
हाईकोर्ट तक पहुंची शिकायत पर पेपर लीक का खुलासा हुआ। पिंजौर की वकील सुमन ने हाईकोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा था कि परीक्षा का पेपर डेढ़ करोड़ में बिका। उसे भी गिरोह ने पेशकश की थी। सुमन के मुताबिक उसने परीक्षा में बैठने वाली सुशीला नाम की एक लड़की से लेक्चर की ऑडियो क्लिप मंगाई थी। लेकिन सुशीला ने गलती से सुनीता से अपनी बातचीत की ऑडियो क्लिप सेंड कर दी। जिसमें पेपर में आने वाले प्रश्नों पर हुई बातचीत रिकॉर्ड थी। सुशीला वही लड़की है, जिसने जज एग्जाम में रिजर्व कैटेगरी में टॉप किया। पिटीशन पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने लेवल पर जांच शुरू की, जिसमें सामने आया कि हाईकोर्ट के ही रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर शर्मा के मोबाइल फोन से सुनीता के फोन पर सालभर में 760 बार कॉन्टैक्ट हुआ था। बाद में सुनीता ही एक्जाम में टॉपर रही।
पुलिस ने सुनीता को कोर्ट में पेश किया। यहां सुनीता ने बिना किसी वकील के खुद जिरह की। पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद सुनीता की पेशी की तो बात कही तो उसने कहा-पुलिस झूठ बोल रही है। फर्जी ढंग से मेडिकल कराकर उसे कोर्ट में पेश किया गया। सुनीता ने कहा कि मेरी पीठ की हड्डी में प्रॉब्लम है। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा था, लेकिन इस मामले की वजह से मैं अपना ऑपरेशन भी नहीं करवा पाई।
मैं तीन-चार घंटे से ज्यादा बैठ या खड़ी नहीं रह सकती। मैं अकेली रहती हूं। पुलिस ने कोर्ट से रिमांड मांगा। कोर्ट ने कहा-रिमांड क्यों चाहिए। पुलिस ने कहा-ताकि मोबाइल और हार्ड डिस्क बरामद हो सके। इस पर सुनीता ने कहा कि- मैं तो काफी समय पहले ही मोबाइल फोन नष्ट कर चुकी हूं। मुझे गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद जज ने तीन दिन की पुलिस रिमांड देते हुए कहा, ‘अगर सुनीता को इलाज की जरूरत हो तो उसे तुरंत मुहैया कराया जाए। ऑर्थोपेडिक के बड़े डॉक्टरों से भी बात की जाए।’
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