इंटरव्यू: जिग्नेश ने कहा- भारत डिजिटल नहीं सामंतवादी हो रहा
सीएनएन-न्यूज 18 से बातचीत में उन्होंने खुलकर बताया कि वह क्यों नरेंद्र मोदी से नाराज हैं और क्यों वह फिलहाल राजनीति से दूर हैं.
आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्यों नाराज हैं?
जिग्नेश- यहां कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दो या ढाई साल पहले मुझे मेरी मां के सामने सिर पकड़ कर घसीटा गया था. और, यह सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं मां के लिए बीपीएल कार्ड मांगने गया था.यदि एक पार्टी दलित संगठनों से बात करने से इनकार कर दे. सामाजिक संस्थाओं से बात करने से इनकार कर दे. आप क्या कहेंगे? अगर एक सत्ताधारी पार्टी इस तरह का घमंड दिखाए तो मेरे जैसे कब तक अपना गुस्सा नहीं दिखाएंगे?
मैं एक दलित नौजवान हूं. नरेंद्र मोदी ने चुनावी वादा किया था कि वह युवाओं के लिए हर साल दो करोड़ नौकरी की व्यवस्था करेंगे. नौकरियां कहां हैं? उन्होंने गुजरात और देश की जनता को ठगा है. जिस तानाशाही के साथ हमें निपटना पड़ा है और जिस घमंड को हमें सहना पड़ रहा है उसे चुनौती दी जानी चाहिए. गुजरात के दलितों ने तय कर लिया है. समय आ गया है कि बीजेपी को गद्दी से उखाड़ फेंकना चाहिए. उनके पास ऊना के पीड़ितों को देने के लिए पांच एकड़ जमीन नहीं है, लेकिन कॉरपोरेट्स को देने के लिए हजारों एकड़ जमीन है.
हम क्या पूछ रहे हैं? सिर्फ सामाजिक न्याय. गुजरात के 18000 गांवों में 12000 में दलित रहते हैं. सरकार ऐसी चुनौती क्यों नहीं लेती है कि कम से कम एक को छुआछूत से दूर कर देंगे? मुझे पता है कि यह एक रात में नहीं होता है. लेकिन सरकार को कम से कम इरादा तो दिखाना चाहिए.
मोदी गुजरात में बहुत लोकप्रिय मुख्यमंत्री थे. फिर इस समय ऐसी बात क्यों हो रही है कि गुजरात में दलितों को कुछ नहीं मिला?
जिग्नेश- विकास का गुबाड़ा साल 2002 में पहली बार सामने आया. फिर साल 2007 और 2012 में इस प्रचारित किया गया. लेकिन इस बात पर आपको विश्वास करना पड़ेगा कि कुछ भी नहीं हुआ. हमारी जिंदगी नहीं बदली. इसका अहसास दलित, ओबीसी और पटेलों को हो गया है. बीजेपी हमें कांग्रेस का राजनैतिक एजेंट बताते हुए खारिज करती है. फिर ठीक है. जिग्नेश गलत है. अल्पेश गलत है. हार्दिग गलत है. लेकिन हजारों उन लोगों के बारे में क्या कहना है जो बीजेपी के खिलाफ सड़क पर उतरे.
क्या सभी गलत हैं? अगर हमें जीना है तो सैद्धांतिक दुश्मनों को मारना होगा. आशा वर्कर्स और आंगनबाड़ी वर्कर्स को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रही है. यदि गुजरात वाइब्रेंट है तो सरकारी कर्मचारियों को 4000 की जगह 45000 रुपये क्यों नहीं भुगतान करतें.
हार्दिक, अप्लेश और आपका मूवमेंट सामान्य तौर पर विरोधाभासी और अलग है. कैसे हम आशा करें कि आप साथ काम करेंगे?
जिग्नेश- हमारी सैद्धांतिक दुश्मनी बीजेपी से है. हां, ओबीसी, दलित और पटेल में कुछ मतभेद हैं. भविष्य में ये सामने आ सकते हैं. लेकिन पहले हमें बीजेपी से संघर्ष करना है. ‘हम सब गुजरात मॉडल, सब का विकास’ के पीड़ित हैं. किसका विकास? वे इस पर बात बात भी नहीं करना चाहते. बीजेपी महान है. वे पेड़ हिलाते हैं, कुछ पत्तियों को बिखेरते हैं और फिर हेमा मालिनी, सलमान खान और अमिताभ बच्चन को बुलाकर छाड़ू लगाते हुए फोटो क्लिक कराते हैं.
गुजरात में करीब एक लाख सेनिटेशन कार्यकर्ताओं को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती है. बीजेपी को देश भक्ति के बारे में बात करना अच्छा लगता है और वह इसका सर्टिफिकेट भी बांटती है. गुजरात का एक जवान किशोर वाल्मी बॉर्डर पर शहीद हो जाता है. मुख्यमंत्री विजय रुपाणी उसके परिजनों को 4 लाख रुपये देने का वादा करते हैं. उन्हें अब तक एक रुपये नहीं दिया गया है. वे कॉर्पोरेट्स को 30 हजार करोड़ की सब्सिडी दे सकते हैं. ऐसे में वे खुद को देशभक्त कहते हैं.
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के आप क्यों आलोचक हैं?
जिग्नेश- सीएम हमें जो तर्क देते हैं उसे आपने सुना है? वे कहते हैं रामजी का बाण इसरो से ज्यादा शक्तिशाली होता है. वह व्राइट ब्रदर्स की विरासत को पुष्पक विमान से तुलना करते हैं. क्या भारत ऐसे डिजिटल बनेगा? ऐसे ही भारत सामंतवादी बने जाएगा. हम 22वीं शताब्दी में जाने की जगह 17वीं में जा रहे हैं.
आप क्यों नहीं चुनाव लड़ रहे हैं?
जिग्नेश- हमें चुनावी राजनीति के लिए एक सामाजिक आंदोलन को क्यों कम करना चाहिए? चुनाव लड़ने से मुझे कोई एलर्जी नहीं है. आज सड़क में हैं कल संसद में होंगे. लेकिन मैं इसके लिए उतावला नहीं हूं.
क्या आप सोचते हैं कि भारत पहले से ज्यादा असहिष्णु हो गया है?
जिग्नेश- लव जिहाद, घर वापसी और और गौ माता के नाम पर किसी को भी किसी की हत्या करने का अधिकार नहीं है. अगर बीजेपी कहती है लव जिहाद तो हम कहते हैं कि प्यार इश्क मोहब्बत जिंदाबाद. हम अंबेडकर की जयंती मनाते हैं और वेलेंटाइन डे भी.
श्रेया धौंधियाल न्यूज 18
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