क्या राम-कृष्ण के वंशज हैं मेव मुसलमान?
मेवात में इन दिनों एक बहस छिड़ी हुई है. बहस ये है कि क्या मेव
राम और कृष्ण के वंशज हैं?
मेवात के पूर्व खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी लियाकत अली का दावा है कि “मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज हैं और छिरकलोत गोत्र के लोग यदुवंशी.”
लेकिन मेवात के एक इतिहासकार ने इस दावे को खारिज कर दिया. फिर क्या था, मेवात का मुसलमान वैचारिक रूप से दो धड़ों में बंट गया. लियाकत अली का कहना है कि वे मुसलमान हैं इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन उनके वंशज और पूर्वज नहीं बदल सकते.
लियाकत अली कहते हैं कि मेव राजस्थान तक फैले हैं. चित्तौड़गढ़ जिले में भी हमारे 85 गांव हैं. हमारी यहां शादियों में गाना होता है, जिसके बोल हैं “गढ़ घासेड़ों गांव पाल कौ बड़ो भरोसो. दादा रामचंद्र औतार राज रावण को खोसौ.” वह कहते हैं कि मेवात के 360 गांवों की दहंगल खाप राम के वंशज हैं.
क्यों अलग हैं मेवात के मुसलमान?
मुसलमानों में दूध का रिश्ता छोड़कर और कहीं भी शादी हो जाती है. लेकिन मेवात के मुसलमान ऐसा नहीं करते. वह हिंदुओं की तरह गोत्र और पाल को देखकर शादी करते हैं. लियाकत अली कहते हैं कि मेव निकाह तो करवाते हैं लेकिन लड़का-लड़की खोजने में हिंदुओं की तरह गोत्र का फार्मूला जरूर लागू करते हैं. जहां लड़की देते हैं वहां से लेते नहीं हैं. यानी मेव गोत्र के हिसाब से शादी करते हैं. शादी में बेटी को गाय भी दान देने की परंपरा है. कई लोगों के नाम भी हिंदुओं से मिलते-जुलते हैं.
कन्वर्टेड हैं यहां के मुस्लिम
मेवात के इतिहासकार सिद्दीक अहमद मेव कहते हैं कि मेवात में क्षत्रियों को कन्वर्ट करके मुसलमान बनाया गया था. पहला कन्वर्जन मोहम्मद बिन कासिम के वक्त सन् 712 में हुआ. दूसरा कन्वर्जन 1053 में सैय्यद सालार मसूद गाजी (महमूद गजनवी के भांजे) के वक्त और तीसरा वर्ष 1192-93 में हुआ. अहमद बताते हैं कि 1358 में फिरोजशाह तुगलक के शासन में भी यहां एक कन्वर्जन हुआ था.
मुगलों के खिलाफ लड़ा युद्ध
मेवात के राजा हसन खान मेवाती ने मुगल शासक बाबर से युद्ध लड़ा था. उन्होंने पहली लड़ाई अप्रैल 1526 में इब्राहीम लोधी के साथ पानीपत में लड़ी. उसके बाद मार्च 1527 में वह राणा सांगा के साथ खानवा के युद्ध में बाबर से लड़े और शहीद हो गए.
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