Home राष्ट्रीय जजों के नाम पर घूस लेने के आरोप ‘बेहद गंभीर’: सुप्रीम कोर्ट

जजों के नाम पर घूस लेने के आरोप ‘बेहद गंभीर’: सुप्रीम कोर्ट

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जजों के नाम पर घूस लेने के आरोप ‘बेहद गंभीर’: सुप्रीम कोर्ट

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों के नाम पर घूस लेने के आरोपों को ‘बेहद गंभीर’ बताया और जोर देकर कहा कि किसी को भी ‘न्याय के प्रवाह को अशुद्ध’ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जो भी हों, कितने भी शक्तिशाली हों, कानून से नहीं बच सकते हैं और न्याय होगा.

न्यायमूर्ति ए के सीकरी और अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि कोई भी इस मामले के महत्व को कम नहीं कर सकता क्योंकि आरोप बेहद गंभीर हैं, इन पर विचार करने की जरूरत है. पीठ ने कहा,  ‘सीबीआई ने छापे मारे हैं और मामला दर्ज हो चुका है. कोई भी इस मामले के महत्व को कम नहीं कर सकता. यह बेहद गंभीर मामला है. हमारा प्रयास है कि कोई भी न्याय के प्रवाह को अशुद्ध न करे. वह जो भी हो, कितना भी शक्तिशाली हो, कानून से नहीं बच सकता. न्याय देने की जरूरत है.’

याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण से पीठ ने कहा कि जिस तरह से ‘मामले को उसके समक्ष सूचीबद्ध किया गया वह पीड़ादायी है.’ न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, ‘जब आठ नवंबर को इस मामले का जिक्र हो चुका था और इसे उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जा चुका था, तब अदालत संख्या 2 में कल दूसरी याचिका लगाए जाने की क्या आवश्यकता थी. आप मुझे बता सकते थे और अगर संभव होता तो मैं इससे खुद को अलग कर लेता. आप मुझे जानते हैं.’

भूषण ने कहा कि उन्हें अधिक दुख हुआ क्योंकि आठ नवंबर को रजिस्ट्री ने उन्हें सूचित किया था कि जिस मामले को अदालत संख्या 2 में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया था, उसे एक दूसरी पीठ को सौंप दिया गया है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश ने इस बाबत पहले ही आदेश दिया था.पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश यह फैसला करते हैं कि किस पीठ के समक्ष कोई मामला सूचीबद्ध किया जाएगा. पीठ ने कहा, ‘इस मामले की व्यापक और समुचित जांच होनी चाहिए. इस बात की पड़ताल किए जाने की जरूरत है कि सीबीआई को जांच जारी रखने की इजाजत दी जाए या जैसा कि आपने अनुरोध किया है एसआईटी को इजाजत दी जाए.’

भूषण ने कहा कि अदालत ने एक संविधान पीठ से सुनवाई का आदेश दिया है, इसलिए ‘और क्या मांगा जा सकता है. आप (न्यायमूर्ति सीकरी) उस पीठ का हिस्सा हो सकते हैं.’

न्यायमूर्ति सीकरी ने इस पर कहा, ‘मेरी इसमें रुचि नहीं है. अगर आप कहें तो मैं उस पीठ से खुद को अलग कर सकता हूं.’

इस बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस सूरी तथा सचिव गौरव भाटिया ने कहा कि एसोसिएशन इस मामले में पक्ष बनना चाहती है.

भूषण ने कहा कि वह एससीबीए की अर्जी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इस बाबत उचित आवेदन दायर किया जाना चाहिए. पीठ ने हालांकि सूरी और भाटिया के मौखिक अनुरोध पर एसोसिएशन को एक पक्ष मान लिया और मामले को पहले की याचिकाओं के साथ जोड़ दिया. इन याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ सुनवाई करेगी.

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