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फर्जी कंपनियों पर सरकार की टेढ़ी नजर, खातों से लेनदेन पर रोक

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फर्जी कंपनियों पर सरकार की टेढ़ी नजर, खातों से लेनदेन पर रोक

 

 

नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में फर्जी कंपनियां कालेधन को सफेद करने के गोरखधंधे में लिप्त हो गई थी. ऐसी कंपनियों के खिलाफ विभिन्न सरकारी एजेंसियां जांच कर रही हैं. सरकार ने अब ऐसी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है.

कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक, पिछले दो साल या उससे अधिक समय से 2.24 लाख कंपनियों की पहचान की गई है. इन कंपनियों के खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी गई है. कई कंपनियों के खातों की जांच की जा रही है.

अभी तक कि शुरुआती जांच में ये भी पता चला है कि 8 नवंबर 2016 के बाद 36 हजार कंपनियों के 58 हजार खातों में से 17 हजार करोड़ का लेन-देन किया गया है. इन सभी की जांच की जा रही है.

सूत्रों के मुताबिक, एक कंपनी का 8 नवंबर 2016 को नेगेटिव बैलेंस था, लेकिन 8 नवंबर के के बाद उस खाते से 2484 करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया. यानी इतनी रकम इस खाते में से जमा और निकाली गई. एक ऐसी कंपनी का भी पता चला है, जिसके 2314 बैंक खाते थे.सरकार को शक है कि इनमें से कई कंपनियां फर्जी थी, जिनके खाते नोटबंदी के बाद अचानक से सक्रिय हो गए. इन खातों के जरिए बड़े पैमाने पर काले धन को बैंक में जमा किया गया और निकाला भी गया.

सरकार के मुताबिक. इन सभी की जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवेन्यू और कॉरपोरेट अफेयर्स सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई है, जो इन सभी की जांच कर रही है. अभी तक एसआईटी की पांच बैठक हो चुकी है. दोषी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है.

सरकार को ये भी संदेह है कि प्रोफेशनल सेवाओं में बेईमानी करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट, चार्टर्ड सेक्रेटरी और कॉस्ट अकाउंटेंट्स की भी भूमिका की जांच जरूरी है. अगर किसी ने गलत काम किया है, तो उनकी भी पहचान की जा रही है.

सरकार एक स्वायत्त संस्था नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टर्स अथॉरिटी नेफ्रा (NFRA) बनाने पर भी विचार कर रही है, जो गलत प्रोफेशनल कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स के खिलाफ कार्रवाई कर सके.

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