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UN में कश्मीर पर भारत की शिकायत संबंधी रिकॉर्ड गोपनीय: CIC

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UN में कश्मीर पर भारत की शिकायत संबंधी रिकॉर्ड गोपनीय: CIC

 

 

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि पाकिस्तान के कबायली लोगों के जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के मुद्दे पर 69 वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की शिकायत की मौजूदा स्थिति का खुलासा करना राष्ट्रीय सुरक्षा को चोट पहुंचाना होगा.

सीआईसी ने वर्ष 1948 में यूएनएससी में भारत की शिकायत के आधार पर पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर को आज़ाद कराने की कोशिशों समेत जम्मू- कश्मीर के मुद्दे से संबंधित रिकॉर्डों का खुलासा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. एक आरटीआई के ज़रिए प्रधानमंत्री कार्यालय से ये सूचना मांगी गई थी.

आरटीआई आवेदक ओमप्रकाश काशीराम ने पीएमओ से ये जानकारी मांगी थी कि भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में दर्ज़ कराई शिकायत के आधार पर पाकिस्तान से पीओके को वापस पाने के लिए वर्ष 1948 से 2016 तक क्या कदम उठाए.

उन्होंने कबाली (पाकिस्तान के कबायली लोग) आतंकवादियों से जुड़े मुद्दों से संबंधित अन्य जानकारियां मांगी. कबाली आतंकवादी और पाकिस्तानी सेना वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर में घुसी थी.पीएमओ ने ये आरटीआई अर्ज़ी गृह मंत्रालय को भेज दी और इसके बाद इसे विदेश मंत्रालय भेजा गया. विदेश मंत्रालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने कहा कि सूचना का खुलासा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर ने अपने आदेश में कहा, ‘सीपीआईओ ने कहा कि वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र में दर्ज़ कराई गई शिकायत अब भी संवेदनशील है.’ विडंबना ये है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को एक जनवरी 1948 को दी भारत की शिकायत सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इसकी जानकारी उसकी वेबसाइट से आसानी से हासिल की जा सकती है.

विदेश मंत्रालय ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा 8 (1)(ए) के तहत दी गई छूट का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी का खुलासा ना करने की अनुमति है.

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