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आखिर क्यों जीफ जस्टिस के खिलाफ मीडिया के सामने आये सुप्रीम कोर्ट के चार जज

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नयी दिल्ली । आज का दिन भारतीय न्यायापालिका के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जज मीडिया के सामने आये हैं और उन्होंने जीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार जज में शामिल हैं जस्टिस चेलामेश्वर,जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इन्होंने कहा कि हमने जीफ जस्टिस को समझाने की कोशिश की, लेकिन हम सफल नहीं हो पाये और मजबूर होकर हमने मीडिया के सामने आने का फैसला किया. जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, हमपर देश का जो कर्ज है, उसके निर्वहन के लिए हम यहां आये हैं. जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा निष्पक्ष न्यायपालिका के बिना लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता, गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पिछले कुछ समय से जीफ जस्टिस और कुछ जजों के बीच विवाद चल रहा था. यह विवाद तब शुरू हुआ जब न्यायिक पदों की उम्मीदवारी को अदालत ने खारिज कर दिया था और खारिज करने के कारणों को सार्वजनिक कर दिया था. जिसके बाद जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन लोकुर ने जीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था,इनका कहना था कि उम्मीदवारों का चयन न करने के कारणों का खुलासा उनके मानवाधिकार, गोपनीयता और गरिमा का उल्लंघन कर सकता है. अक्तूबर माह में सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने एक आदेश पारित किया कि न्यायिक पदों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए नियुक्ति खारिज करने के कारणों को उजागर किया जाये. इस आदेश से उन लोगों को काफी शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा जो प्रमोशन नहीं पा सके थे. मीडिया के सामने आये जज का कहना है कि पारदर्शिता से किसी को इनकार नहीं है, लेकिन गोपनीयता और पारदर्शिता के बीच संतुलन जरूरी है,ऐसी जानकारी भी मिली है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से यह चारों जज इसलिए भी नाखुश हैं, क्योंकि कुछ केसों की सुनवाई को लेकर भी इनके बीच अधिकारों की जंग चल रही थी. आरोप है कि जीफ जस्टिस ने इन जजों के पास से कुछ केस अपने पास ट्रांसफर करा लिये थे.

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जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस से मोदी सरकार में मचा हड़कंप
भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों ने कोर्ट के संचालन में मनमानी करने के गंभीर आरोप लगाये हैं. इसे देश के इतिहास का अभूतपूर्व घटनाक्रम माना जा रहा है. चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने कहा कि वह 2 बजे खुली अदालत में इस मामले की सुनवाई कर सकते हैं. हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने सामान्य दिनों की तरह मुकदमों की सुनवाई की. इससे पहले उन्होंने अटॉर्नी जनरल और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों से बात की. सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी मामला बताते हुए इस मुद्दे से पल्ला झाड़ लिया, तो कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया. इस बीच, खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वोच्च अदालत के सुप्रीम संकट पर कानून मंत्री रविशंकर से बातचीत की है. वहीं, न्यूज चैनलों की मानें, तो सरकार ने चीफ जस्टिस से इस मुद्दे पर बातचीत की है. दूसरी तरफ, सीपीआई नेता डी राजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चेलामेश्वर से मुलाकात की. सुप्रीम कोर्ट के इन चार जजों ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि देश के कानून के इतिहास के लिए यह बहुत बड़ा दिन है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्राशासनिक कार्य ठीक से नहीं हो रहा है. जस्टिस जे चेलामेश्वर ने कहा, ‘हम चारों के लिए यह बहुत तकलीफ से भरा समय है और यह संवाददाता सम्मेलन करने में कोई खुशी नहीं हो रही. हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि चारों वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने अपनी आत्मा बेच दी थी.’ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपनी बात रखते हुए जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब देश तय करे कि चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग चले या नहीं. जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा, ‘हम चार लोग (जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र को लगातार कहते रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट की खातिर अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लायें. पिछले कुछ महीनों में हमने कुछ गड़बड़ियां देखीं. हमने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन उसे महत्व नहीं दिया गया. हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी.’ जस्टिस चेलामेश्वर की अगुवाई में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने जस्टिस चेलामेश्वर के आवास पर मीडिया को संबोधित किया. ये सभी जज भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अगुवाई में बने कोलेजियम के सदस्य हैं. जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, ‘हमने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन में कुछ ऐसी चीजें हो रही हैं, जो ठीक नहीं हैं. दुर्भाग्य से हमारी कोशशें बेकार गयीं. इसलिए हमें राष्ट्र के सामने आकर ये बातें कहनीं पड़ रही हैं.’

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चारों जजों को घर भेज देना चाहिए: आर एस सोढ़ी
रिटायर जस्टिस आर एस सोढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस करने को गलत करार दिया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है चारों जजों पर महाभियोग चलाया जाना चाहिए। इनके पास बैठकर बयानबाजी के अलावा कोई काम नहीं बचा। लोकतंत्र खतरे में है तो संसद है, पुलिस प्रशासन है। यह उनका काम नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इन चारों जजों को अब वहां बैठने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं यह सब देखकर काफी दुखी हूं। हमारे बीच कई बार मतभेद हुए, लेकिन यह प्रेस के बीच कभी नहीं आया। यह भयावह है।

सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर वरिष्ठ वकील बोले- यह कदम उठाना जरूरी था
नई दिल्ली देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस जस्टिस जे.चेलमेश्वर के घर में आयोजित की गई। उनके साथ अन्य तीन जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरिन जोसेफ मौजूद थे। वहीं जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सीनियर वकीलों की तरफ से इस पर टिप्पणी आई है।ये बड़ी दुखद बात है कि मीडिया में आकर सुप्रीम कोर्ट के जज चीफ जस्टिस के खिलाफ खुलेआम बोल रहे हैं। ये शर्मनाक बात है इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।

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उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री को अपने संज्ञान में इस बात को लेना चाहिए। यह न्यायपालिका का काला दिन है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के खराब नतीजे सामने आएंगे. अब से हर आम आदमी न्यायपालिका के हर फैसले को संदेह की नजरों से देखेगा. हर फैसले पर सवाल उठाए जाएंगे। ये दुखद दिन है। यह सुप्रीम कोर्ट का मामला है, जहां लोगों के विश्वास से जुड़ा हुआ है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जो इल्जाम लगाए हैं, उसकी जांच होनी चाहिए। ताकि देश और लोगों का विश्वास बना रहे।

मीडिया के सामने आए सुप्रीम कोर्ट के 4 जज, मोदी ने कानून मंत्री को किया तलब

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नई दिल्ली देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने आज मीडिया को संबोधित किया। जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सरकार में हड़कंप मच गया। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और राज्य मंत्री पीपी चैधरी को तलब किया। सूत्रों के मुताबिक पीएम इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहते हैं और इसी के चलते कानून मंत्री को बुलाकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर सकते हैं। यह पहला ऐसा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने मीडिया के सामने अपनी परेशानियों को जाहिर किया और कोर्ट प्रशासन के कामकाज पर भी सवाल उठाया। चारों जजों ने आरपो लगाया कि कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक खतरे में है। जजों ने यह भी बताया कि इस संबंधी वे पहले चीफ जस्टिस को खत लिख चुके हैं जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो आज सामने आए। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि हम पर कोई आरोप लगाए कि हमने अच्छे से काम नहीं किया। हम तो बस देश के प्रति अपना कर्ज अदा कर रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे।

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