जयपुर । राजस्थान में गहलोत सरकार पर राजनीतिक संकट खड़ा होने के साथ रीजनल मीडिया और नेशनल मीडिया की भूमिका को लेकर बाड़ेबंदी में ठहरे कांग्रेसी विधायकों के बीच यह चर्चा पकड़ रही है कि कौन सा मीडिया किस गुट के साथ है। कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रीजनल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर यह अहसान जता चुके है, पत्रकारों की सैलरी में कोई दिक्कत नहीं हो, इसलिए विज्ञापन के जरिये वह कोशिश कर रहे है। लेकिन फिर भी उनके खिलाफ कुछ भी चल जाता है। वहीं सचिन पायलट अपने राष्ट्रीय मीडिया के दिग्गजों के जरिये इंटरव्यू देने और खबरें देने में आगे है। लेकिन रीजनल मीडिया को करोड़ों रुपये के विज्ञापन मिलने के बावजूद कांग्रेस विधायक यह सोचकर परेशान है कि आखिर गहलोत सरकार से कहां चूक रही है।
कांग्रेसी विधायकों का मानना है कि राष्ट्रीय मीडिया तो इस संपूर्ण मामले में एकतरफा चला क्योंकि दिल्ली से भाजपा और सचिन पायलट उसे मैनेज कर रहे थे लेकिन राजस्थान का प्रादेशिक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सरकार द्वारा प्रतिमाह करोड़ों रुपए के विज्ञापन दिए जाने के बाद भी जानबूझकर तथा सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस के खिलाफ बोलता नजर आया। इन विधायकों का मानना है वर्ष 2020 में एक राज्य के 9 प्रादेशिक टीवी चैनल को लगभग 50 करोड़ का विज्ञापन दिया गया जबकि राज्य की माली हालत खस्ता है । कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण सरकार का राजस्व चौपट हो गया है सरकार ने सारे विकास कार्य बंद कर दिए हैं वेतन भत्ते समय पर नहीं जा रहै है लेकिन विज्ञापन वक्त पर काम नहीं आ रहे है ।
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