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आईटीआई के छात्रावास में जान हथेली पर लेकर रहते हैं छात्र

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रिपोर्ट अजय कुमार

(डेहरी ऑन सोन ) औधोगिक प्रशिक्षण केंद्र डिहरी के छात्रावास में रहने वाले सैकड़ों छात्र अपनी जान हथेली पर रखकर निवास करते हैं। शाम को छात्र जब केंद्र से शिक्षा ग्रहण कर छात्रावास में आते हैं तो भवन के प्रवेश द्वार से पहले चौखट पर माथा टेक देवी देवताओं का बंदन करते हैं । जब प्रातः काल सकुशल जगते हैं तो अपने अपने हाथ जोड़ कर उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं। डेहरी क यह आईटीआई बिहार का प्रथम आईटी केंद्र है। जिसकी स्थापना ब्रिटिश सरकार के द्वारा किया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राज्य सरकार इसका अधिग्रहण कर भवन एवं कार्यशाला का निर्माण कराया था।

हॉस्टल का भवन पुराना होने के कारण जर्जर अवस्था में पहुंच गया है और भवन की सूरत खंडहर में तब्दील हो गया है। भवन का छत टूट टूट कर गिर रहा है। अब तक दर्जनभर से अधिक छात्र इसके चपेट में आने के कारण घायल हो गए हैं। जर्जर भवन किसी भी ध्वस्त हो सकता है और एक साथ कई घरों के चिराग बुझाएंगे। आईटीआई प्रबंधन के द्वारा हॉस्टल में रहने वाले छात्रों से 1800 प्रति महा राशि किराए के रूप में लिया जाता है। हॉस्टल के दो भवन है पूर्वी एवं पश्चिमी। पूर्वी भवन का शौचालय कई वर्षों से जर्जर हो कर ध्वस्त हो गया है। शौच के लिए छात्रों को पश्चिमी भवन में स्थित शौचालय में जाने के लिए कतार लगानी पड़ती है अन्यथा मजबूरी में खुले में शौच करना पड़ता है। पेयजल बिजली के संकट का मार भी छात्रों को सहन करना पड़ता है। छात्र रवि रंजन कुमार अमरजीत कुमार विकास कुमार ने बताया कि प्राचार्य से कई बार शौचालय निर्माण जर्जर छात्रावास की मरम्मत कराने की किया गया है परंतु अभी तक मारम्मति के कार्य को नहीं कराया गया है। छात्रावास में रात्रि प्रहरी नहीं होने का कारण छात्र अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।

हॉस्टल की सफाई कार्य छात्र आपस में चंदा कर कराते हैं। पूर्वी भवन में 16 कमरे हैं पश्चिमी भवन में 12 कमरे हैं प्रत्येक कमरे में चार-चार छात्र संयुक्त रूप से रहते हैं। औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य सुरेश कुमार सिंह ने बताया की छात्रावास के जर्जर भवन की जीर्णोद्धार एवं शौचालय का निर्माण प्रशासनिक भवन कर्मशाला की मरम्मती के लिए कुल ₹8800000 की राशि आवंटन सरकार के द्वारा किया गया है। जिसकी निविदा के पश्चात कार्य शुरू कराया जाएगा।

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