हम सभी ने स्कूल में शुरू से पढ़ा है कि भारत लोकतांत्रिक देश है. लेकिन छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल इससे सहमत नहीं है. दरअसल उनका मानना है कि भारत लोकतांत्रिक देश नहीं बल्कि अलोकतांत्रिक देश है.
इस बारे में उस समय मालूम चला जब ओपन स्कूल की परीक्षा में दसवीं बोर्ड के छात्रों से सवाल किया गया था कि भारत लोकतांत्रिक देश है या फिर अलोकतांत्रिक. कमाल की बात ये है कि जिन छात्रों ने भारत कोे ‘लोकतांत्रिक’ देश बताया उन्हें जीरो नंबर दिए गए वहीं जिन छात्रों ने भारत को ‘अलोकतांत्रिक’ कहा उन्हें पूरे 2 नंबर दिए गए.
वहीं इस मामले के खुलासे के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल की दलील है कि मॉडल आंसर सीट में गलतियों की वजह से ऐसा हुआ है. इसके बाद शिक्षा मंडल ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. उसने यह भी कहा है कि पेपर सेटर और सुपरवाइजर के खिलाफ कार्रवाई होगी.
कैसे मालूम चला
बता दें, परीक्षा में फेल होने और कम नंबर हासिल होने पर कुछ छात्रों ने रिवेल्युशन कराया और अपनी कापियां देखी तब यह गोलमाल सामने आया. सामाजिक विज्ञान विषय के सेट – C पर्चे में ऑब्जेक्टिव पैटर्न सवालों में इसे शामिल किया गया था. छात्रों के मुताबिक जब उन्होंने आंसर सीट देखी और अलोकतांत्रिक देश बताए जाने वाले विकल्पों पर उनकी नजर गई, तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई. उन्होंने तुरंत इसकी शिकायत ओपन स्कूल परीक्षा के इंचार्ज और गोपनीय शाखा के अधिकारीयों से की.
आपको बता दें, साल 2017-18 की दसवीं बोर्ड की राज्य ओपन स्कूल परीक्षा में कुल 93426 छात्र शामिल हुए थे. इनमे से 93132 छात्रों के परिणाम घोषित किए गए. इसमें से 49813 छात्र फेल हुए हैं, जबकि पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत 46.82 रहा है. मामले के खुलासे के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल ने जांच के निर्देश दिए हैं. उसकी दलील है कि मॉडल आंसर सीट में गलत विकल्प चिह्न होने के चलते इतनी बड़ी गलती हुई है.
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव व्ही.के. गोयल के मुताबिक इस मामले में किस स्तर में गलती हुई है उसको खोजा जा रहा है, जिसने मॉडल उत्तर बनाया है उससे गलती हुई है या किसी और से. उनका कहना है भविष्य में ऐसी गलती ना हो इसक हम इसका प्रयास कर रहे हैं.
जानें- कौन करता है प्रश्न-पत्र सेट
दसवीं बोर्ड की परीक्षाओं के पेपर सेट करने की जिम्मेदारी संबधित विषय के तीन विशेषज्ञों की होती है. इन्हें हफ्तेभर तक विशेष प्रशिक्षण देने के बाद पेपर सेट करवाया जाता है. फिर विशेषज्ञों की यही टीम मॉडल आंसर सीट तैयार करती है. मॉडल आंसर सीट के आधार पर ही उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाता है. इतनी प्रक्रियाओं की औचारिकता पूर्ण करने के बाद भी भारत को अलोकतांत्रिक देश की श्रेणी में डालकर उसे सही विकल्प के तौर पर देखा जाना न तो छात्रों के गले उतर रहा है और न ही अध्यापकों के.
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