New Delhi . घाटी में आतंकवादियों के साथ टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में कथित तौर पर शामिल अलगाववादी नेताओं की अब खैर नहीं है। जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार अब इन अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसने की तैयारी में जुट गई है। राज्यपाल शासन लागू होने के बाद केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में इस पर एक एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। एनआइए और ईडी मिलकर इस काम काे अंजाम देंगे।
घाटी में अलगाववादियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी नीति का विस्तार किया है। इसके लिए अब सरकार ने अपनी 4D नीति तैयार की है। इसके पहले 2D डिफेंड और डिस्ट्रॉय की नीति को आगे बढ़ाते हुए अब केंद्र ने तीसरे D यानि डिफीट और चौथा D डीनाई के तहत पाकिस्तान से फंडिंग पूरी तरह से बंद करने के लिए और सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। इसके पीछे सरकार की मंशा हुर्रियत नेताओं की अलगावादी सोच को युवाओं तक पहुंचने से पहले ही पस्त करने की है।
इस प्लान के तहत अब हुर्रियत के बड़े नेताओं से न सिर्फ पूछताछ होगी, बल्कि पुख्ता सबूतों के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और विदेशी मुद्रा क़ानून के उल्लंघन के तहत मुकदमा चला कर हुर्रियत नेताओं को जेल की हवा खिलाने की तैयारी कर रही है। आपको बता दें कि घाटी में कथित तौर पर टेरर फंडिंग के एक मामले में एनआइए ने पहले ही दिल्ली की एक अदालत में 26/11 का मास्टरमाइंड्स हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन समेत 10 कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।
अंतिम रिपोर्ट में हुर्रियत लीडर सैयद शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह, गिलानी के निजी सहायक बशीर अहमद, आफताब अहमद शाह, नईम अहमद खान और फारूक अहमद डार आदि के नाम शामिल हैं।
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