दिल्ली। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को बनाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के परियोजना निदेशक आरपी सिंह के मुताबिक 82 किमी लंबी इस परियोजना पर अभी केवल 31 प्रतिशत काम हुआ है। उन्होंने बताया, ‘परियोजना का पहला चरण पूरा हो गया है। दूसरा चरण 15 प्रतिशत पूरा है। जबकि तीसरे चरण का 60 प्रतिशत और चौथे चरण का तीन प्रतिशत काम हुआ है।’
यानी कि कुल नियोजित एक्सप्रेसवे का केवल 25.57 किमी या 31 प्रतिशत काम पूरा हुआ है जब मोदी ने इस एक्सप्रेसवे को देश को समर्पित किया। यानी अभी लगभग 69 प्रतिशत काम पूरा होना बाकी है। बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर रोड शो किया। उनका यह रोड शो दिल्ली के निजामुद्दीन ब्रिज से शुरू होकर छह किलोमीटर तक चला।
इस दौरान प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए मिलेनियम पार्क से लेकर गाजीपुर तक के बीच छह किलोमीटर लंबी मानव शृंखला बनाई गई। कई समाचार चैनलों और मीडिया के दूसरे माध्यमों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस रोड शो का सीधा प्रसारण किया और इस एक्सप्रेसवे के चालू होने के तमाम फायदे गिनाए गए।
हालांकि जब इसके फायदे बताए जा रहे थे तब चालाकी से यह बात छिपा ली गई कि दिल्ली से मेरठ को जोड़ने वाली इस 82 किलोमीटर परियोजना का लगभग 90 प्रतिशत अभी तक शुरू नहीं हुआ है। मोदी ने 7,500 करोड़ रुपये लगत की इस परियोजना के पहले चरण (लागत 841 करोड़ रुपये) जिसकी लंबाई 8.36 किमी है, का उद्घाटन किया है। यह चरण दिल्ली के निजामुद्दीन पुल से शुरू होकर दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर खत्म हो जाता है। इसके बाद मेरठ का सफर तय करने वाले यात्री नेशनल हाईवे 34 को इस्तेमाल कर रहे हैं जो मात्र चार लेन का है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी दावा किया कि इस परियोजना के पहले चरण को रिकॉर्ड 18 माह में पूरा कर लिया गया जबकि सच्चाई यह कि करीब 30 महीने पहले दिसंबर 2015 में खुद मोदी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था। छह लेन वाले इस एक्सप्रेसवे के तीन चरण-यूपी बॉर्डर से डासना, डासना से हापुड़ और डासना से मेरठ का पूरा होना अभी बाकी है।
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