देवी महापुराण के अनुसार महादेव परमेश्वर शिव की आदिशक्तिपरमेश्वरी जगदंबे के साँतवे स्वरूप माँ कालरात्री हैं, इन्ही का रौद्र स्वरूप अत्यंत विकराल भयंकर और रौद्र है इनका वर्ण घोर अंधकार युक्त काला है केश घुंगराले और चमकते हुए काले रंग के हैं मस्तक पर तीसरा नेत्र शुशोभित है और दो नेत्र चहरे पर हैं ,जोकि बहुत ही विशाल कांति वाले और रक्त वर्ण वाले है ।
दोनो नेत्रो से अग्नि निकल रही है नासिका उठी हुई हैं और इनके नथुनों से धुंआ निकल रहा है । चहरे पर अभय प्रदान करने वाली मुस्कान हैं इनके ओष्ठ बिम्बा फल के समान सुन्दर व गहरे लाल रंग के हैं। और उनकी प्रथम दाहिनी भुजा क्रमशः अभय मुद्रा और दूसरी भुजा वरद मुद्रा मे हैं। बायीं प्रथम भुजा में आयुध- खड्ग एवं द्वितीय भुजा मे लौह कीलों से युक्त पाश हैं जो की गले मे विद्युत की माला धारण किये हैं । शरीर पर वस्त्रों के स्थान पर चर्म धारण किये हुए हैं ।
और गदर्भ (गधे) पर आरूणी महादेवी का स्वरूप अत्यंत भयभीत करने वाला हैं काल अर्थात म्रत्यु भी इनके भय से काँप जाती हो, फिर दैत्यों और राक्षस की क्या बिसात ये केवल इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं । परन्तु देवी समस्त मनुष्यो और देवताओ साधु , संत स्वभाव वालो एवं प्रक्रति के समस्त जीवों को काल और म्रत्यु के भय से अभय प्रदान करने वाली है।
समस्त प्रकार की महामारी भयंकर रोगों और दुःख को हारने वाली है । कतिपय ये संदेह नही है की जिस प्रकार परमेश्वरशिव का स्वरूप शांत अवस्था मे शिव है ,और संहारक रौद्र रूप शंकर अथवा महाकाल कहलाता उसी प्रकार शिव की रौद्र शक्ति देवी कालरात्रि हैं । उनकी सौम्य शक्ति देवी कालान्तर कथाओं स्कन्द पुराण मे माँ शीतला कहलाती है ।
उनका स्वरूप लक्षण कालरात्रि से भिन्न नही मालूम पड़ता अपितु बस सौम्य हो कर शीतल हो जाता है, देवी गदर्भ पर आरुण हैं देवी का स्वरूप निर्मल श्वेत हो जाता है ,त्रिनेत्री देवी के उनके दो नेत्र खुले हुए हैं जिनसे म्मत्रत्व करूणा प्रेम का संमस्त अनंत ब्रह्माण्ड रूपी दर्शन अनायाश हो रहा हो , मुख पर अनन्त आदित्यों का तेज़ शोभायमान प्रतीत हो रहा है । देवी चौसठ प्रकार के अत्यंत भयानक रोंगो, महामारियों , और रक्त, मज्जा ,द्रव, एवं त्वचा, सम्बन्धित रोंगो को नाश करके , अरोगी काया प्रदान करने के साथ साथ मन को शीतल और पवित्र करने वाली हैं।
प्रक्रति को शुद्ध करते हुए अत्यंत भयानक सूक्ष्म जीवो को नष्ट करके जातको को अभय प्रदान करने वाली हैं । और साथ ही साथ समस्त प्रकार के अभ्युदय को प्रदान करने वाली हैं। विश्व मंगलम्। समस्त प्रणियों का कल्याण हो । परमेश्वरी आपको सहस्त्र कोटि प्रणाम।
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