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हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो इन गलतियों को करने से बचें

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बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार घ्
हनुमान चालीसा की इस पंक्ति से आश्य है कि मनुष्य बुद्धिहीन है और वह ज्ञान प्राप्ति के लिए हनुमान जी की शरण में आया है। हिन्दू मान्यताओं में भक्त ने हमेशा खुद को भगवान से बुद्धि और ज्ञान एमं कम या ‘तुच्छ’ ही माना है और परमात्या (भगवान) सभी ज्ञानियों के ज्ञानी हैं ऐसा माना जाता है।
इसलिए भक्त अपने भगवान की शरण में जाकर उनसे ज्ञान प्राप्त करने की प्रार्थना करता है, भगवान उसे बुद्धि दें एवं सही मार्ग दिखाएं इसकी विनती करता है। हनुमान चालीसा की उपरोक्त पंक्ति इस बात का एक बड़ा उदाहरण है।
हनुमान चालीसा एक ऐसा माध्यम है जिसे पढ़कर एक भक्त हनुमानजी से ज्ञान, बल एवं बुद्धि की प्राप्ति करता है। किंतु यह सब तभी संभव है जब भक्त बिना किसी भूल के हनुमान चालीसा को पढ़ता है। लेकिन यहां ‘भूल’ से तात्पर्य केवल उच्चारण नहीं है, इसके अलावा भी कई गलतियां हैं जो भक्त जाने-अनजाने में कर देता है, आइए जानते हैं उनके बारे में…..
हनुमान चालीसा हमें नहाकर, साफ कपड़े पहनकर करें।

चालीसा पढ़ने से पहले हनुमान जी को गंगाजल से स्नान कराएं।
लाल रंग के आसन पर बैठकर हनुमान चालीस पढ़ें।
चालीसा उपरांत यदि हनुमान जी को भोग लगा रहे हैं तो उस प्रसाद में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें।
हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल और जनेउ अर्पित करें।
हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा मंगलवार या शनिवार से प्रारंभ करें, इसके बाद रोजाना कर सकते हैं। किंतु एक बार शुरू करने के बाद कम से कम 40 दिनों तक इस पाठ को करें, बीच में एक भी दिन ना छोड़ें।

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