Home राष्ट्रीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए अब्दुलरजाक गुरनाह को चुना गया

साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए अब्दुलरजाक गुरनाह को चुना गया

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स्टोकहोम(Stockholm):  इस साल के साहित्य के नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Literature) के लिए जांजीबार मूल के उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह (Abdulrazak Gurnah) को चुना गया है. अवार्ड देने वाली संस्था स्वीडिश एकेडमी (Swedish Academy) ने कहा है कि उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह को यह अवार्ड “उपनिवेशवाद के प्रभावों को बिना समझौता किये और करुणा के साथ समझने’’ में उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है. जांजीबार में पैदा होने और बाद में इंगलैंड में बस जाने वाले अब्दुलरजाक केंट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. उन्हें साल 1994 में उनकी रचना “पैराडाइज’’ के लिए उन्हें बुकर पुरस्कार (Booker Prize) से नवाजा जा चुका है. 

 

 

उन्होंने कुल 10 उपन्यास लिखे हैं. साहित्य के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष एंडर्स ओल्सन ने उन्हें ‘दुनिया के उत्तर-औपनिवेशिक काल के सर्व प्रतिष्ठित लेखकों में से एक’ बताया. इस इनाम के साथ उन्हें एक गोल्ड मेडल के साथ 10 मिलियन स्वीडिश मुद्रा दी जाएगी. पिछले साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी कवयित्री लुइस ग्लुक को दिया गया था. इससे पहले स्वीडिश एकेडमी रसायन शास्त्र और मेडिसिन के नोबेल पुरस्कारों का ऐलान कर चुका है.  

शरणार्थी के रूप में आए थे इंग्लैंड

जानकारी के मुताबिक साहित्य में नोबेल प्राइज विनर अब्दुलराजाक गुरनाह ने दस नोवल और ढेर सारी लघु कथाएं प्रकाशित की हैं। उनकी लेखनी में शरणार्थी की समस्याएं प्रधान रही हैं। अब्दुल ने इंग्लिश में 21 वर्ष की उम्र से लिखना शुरू किया, हालांकि शुरुआत में उनकी लिखने की कला सवालों के घेरे में थी। बाद में अब्दुल ने इंग्लिश को अपनी लेखनी का माध्यम बना लिया। 

आपको बता दें कि अब्दुलराजाक गुरनाह का जन्म सन् 1948 में हुआ था। वे जांजीबार द्वीप पर पले-बढ़े किंतु 1960 के दशक के आखिर में एक शरणार्थी के रूप में इंग्लैंड पहुंचे। संन्यास के पहले तक वे केंट यूनिवर्सिटी, कैंटरबरी में इंग्लिश और उत्तर औपनिवेशिक साहित्य के प्रोफेसर थे .

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