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महिलाओं का Periods छुआछूत या प्राकृतिक

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हमारे भारत की संस्कृति में आज भी कुछ हिस्सों में छुआछूत के रूप में जानी जाती है यह ऐसा दर्द है जिसे हर महीने एक औरत अपने शरीर में महसूस करती है यह कोई बीमारी नहीं है यह तो एक प्राकृतिक दर्द हैं जो हर महीने एक अनोखे अंदाज़ से आता हैं और तकलीफ देके चला जाता है इसका नाम है periods ( मासिक धर्म ) 

Periods होता क्या है ? 

हर महीने महिलाओं के अंडाशय से एक अंडा निकलता है। इस प्रक्रिया को ओव्यूलेशन कहते हैं। इस दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है और गर्भाशय प्रेगनेंसी के लिए तैयार होता है। ओव्यूलेशन के समय जब अंडा फर्टिलाइज नहीं होता है गर्भाशय की परत योनि से बहकर बाहर निकलने लगती है। इसे पीरियड या मासिक धर्म कहते हैं। वैसे तो यह 2 से 7 दिनों तक रहता है जब तक महिला प्रेग्नेंट नहीं हो जाती हैं यह हर 28 से 35 दिनों में आता है । जब लड़की 13 से 14 साल की हो जाती है तब उसका periods आना शुरू हो जाता है ।

इन 7 दिनों में महिलाओं को जो तकलीफ से गुज़ारना पड़ता है आज उसपे रोशिनी डालने की कोशिश कर रहा हूँ ।

Periods से कैसी तकलीफ होना ?

अगर एक इंसान का हाथ पे चाक़ू से कट हो जाये तो उसकी तकलीफ एक periods के दर्द से काफी कम होती है मतलब पहले दो दिन में जितना दर्द एक औरत के शरीर में होता है उसकी कल्पना भी नही कर सकते, इसके साथ उनको चिड़चिड़ापन जैसा भी लगता है, खाने का मन भी नहीं करता है, जब शरीर में खून का रसाव होता है, चक्कर आना और उलटी जैसा लगना परंतु यह सब चीज़ तो वो हर दिन बर्दाश्त करती है इस 1 महीने की Menstrual cycle में लेकिन उनकी तकलीफ तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब उनको यह कहके रोका जाता हैं कि मंदिर में पूजा ना करो, सबसे दूर रह के खाना खाओ, घर वालो के सामने बात ना करो इस बात पे, अगर दर्द हो तो अपने घर के मर्दों को इस बात से दूर रखो और ऐसी तमाम बातें जो महिलाओं को और दर्द देती है, एक तो उनको पहले से इतना दर्द और असहय महसूस होता है ऊपर से जब एक औरत को सबसे ज्यादा किसी अपने की साथ की जरुरत होती है तब आप उसको दूर कर देते हो यह कह के की तुम्हे periods है ।

तकलीफ से बचाव के उपाय 

Periods में दर्द से बचाव के लिए कई डॉक्टरों की राय अलग अलग है पर कुछ चीज़े करने से थोड़ा आराम मिलता है :

1-2 कप चाय या दूध का सेवन जरूर करे और जितना हो सके गरम खाना खाये ताकि आपके शरीर में जो दर्द हो रहा हैं इस गरमाहट से थोड़ा आराम मिले ।

योग करने से शरीर में आराम मिलेगा अगर आप थोड़ी सी मात्रा में ज्यादा नहीं बस 10-15 मिनट अपने शरीर को योगा में लीन करेगी तो आराम मिल सकता है । 

ठंडी चीज़ों से दूरी बनाये रखे जितना हो सके ठंडा पानी, सॉस, रेड मीट, मिठाई और आचार से दूरी बनाये रखना सेहत के लिए ठीक रहेगा, कहते है की ठंडे पानी से नहीं नहाना चाहिए पर इसमें मैं इतना ही कहूंगा की ठंडा पानी से नहाना सेहत के लिए वैसे भी अच्छा नहीं होता हैं तो महिलाएं 2-3 दिन गुनगुने पानी का इस्तेमाल कर सकती है ।

1 चम्मच हल्दी दूध में डाल के उसका सेवन करने से शरीर, पेट और थकान से आराम मिल सकता हैं ।

भरपूर खाना खाये और जितना हो सके हरी सब्ज़िया, फल, और ताज़ा गरम खाने का उपयोग करे, यही नहीं अगर दिल नहीं कर रहा हैं खाने का जो अक्सर इस periods में होता हैं तो आप खाने में हलकी चीज़ जैसे पानी वाली Meggie या फिर Cornflakes का सेवन भी कर सकती है, अंडे खाना भी सेहत के लिए ठीक होता हैं ।

गरम पानी का बैग ( Hot water बैग ) का इस्तेमाल करे अपने पेट के निचले भाग में इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी सबसे ज्यादा जरुरी यह की इसका इस्तेमाल करते समय शरीर को सीधा रख के ही करे ताकि इसका असर जल्दी हो सके ।

सफ़ेद कपड़ो से थोड़ा दूरी बनाये रखे और dark jeans का इस्तेमाल ज्यादा करे ।

अपने pads को हर दिन 2-3 बार बदले और अगर दर्द ज्यादा हैं तो एक बार डॉक्टर को जरूर दिखवा ले, वैसे दवाई लेना periods में सही नहीं माना जाता है पर फिर भी एक बार डॉक्टर से पूछ के इसका सेवन कर सकते है क्योंकि बिना सलाह के दवाई लेना खतरे से ख़ाली नहीं होता ।

अब सबसे ज्यादा जरुरी हमारा रोल periods में घर की महिलाओं को कम से कम काम करने दे, जितना हो सके उनको इज़्ज़त और सम्मान दे, बाहर जाना चाहें तो अपने साथ लेके जाये, उनके साथ छुआछूत ना करके घर पे उनको comfortable महसूस करवाये, उनके साथ खाना खाये, घर पे उनसे लड़ाई ना करके उनको प्यार दे और उनको समझे क्योंकि इसवक्त बहुत ज्यादा मूड स्विंग होता है लड़कियों का, उनको अच्छा एहसास दिलाने के लिए हलकी आवाज़ में गाना सुनाये, उनको व्यस्त रखे अपनी बातों में ताकि उनको दर्द महसूस ना हो, उनका पूरा ख्याल रखे क्योंकि यह समय उनको आपकी सबसे ज्यादा जरुरत होती है ।

शास्त्रों में लिखा हैं पूजा या मंदिर से महिलाओं को periods के समय दूर रहना चाहिए मैं धर्म को किसी चीज़ से जोड़ना नहीं चाहता पर यह जो नियम और शास्त्रो की बात कर रहे है यह तो हमने बनाये है अगर periods में खून का बहना असशुद्ध है तो जब किसी मर्द को चोट लग जाये या उसका खून निकल जाये लगने पे तो वो पूजा और मंदिर क्यों जा सकता है ? असशुद्ध तो वो भी हुआ एक नज़र में हमने महिलाओं के लिए पाबंदी लगा दी और दूसरी तरफ मर्द अपनी मर्ज़ी से कही भी जा सकते हैं यह कहाँ का इंसाफ हैं ? 

भगवान् हर जगह है आप मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, चर्च में रोक सकते हो पर जो दिल में बसा है जो पूरा संसार में है जिसका वजूद प्यार देना और इंसानियत का रचियता है उसको महसूस करने से कैसे रोक सकते हो ? जिस वक्त हमारे घर की बेटी, बहु, बहन, दोस्त, बीवी, और उन सभी महिलाओं को सबसे ज्यादा जरूरत होती है तब हम उन्हें छुआछूत समझ के अपने से दूर कर देते है । धर्म शास्त्रो को थोड़ा दूर रख के सोचो एक बार उनको कैसा दर्द महसूस होता होगा जब आप यह कह के अपने से दूर कर देते हो आज तुम्हारा periods शुरू हो गया है, जब यह कहते हो की खाना अलग खाना idhar सब के साथ नहीं बैठ सकते, जब वो दर्द से तड़प रही होती है तो उसकी आवाज़ सुन के भी अनसुना कर देते है ।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दिया की पीरियड्स में मंदिर या किसी भी जगह जाने पे रोक करना भेदभाव की निशानी हैं ।  

आज मैं इस लेख से बस यही कहना चाहता हूँ की अब तो उनके पास उनके साथ रह लो उनको सब से ज्यादा जरूरत हमारी होती है । अब बस करो यह छुआछूत का भेदभाव इसमें क्या रखा हैं कल को वो औरत जब एक बच्चे को जन्म देगी तो वो बच्चा इस दुनिया में आके क्या कहेगा की माँ यह दुनिया तो आपको periods हो या प्रेगनेंसी हो हर दर्द में अकेला छोड़ देती है । प्रेगनेंसी के लिए periods का होना काफी एहम है और यह कोई बीमारी नहीं है  यह प्राकृतिक हैं जिसे हर औरत हर महीने बर्दाश्त करती है ।

यह लेखक के अपने विचारों और समाज में होने वाली समस्या पर आधारित है l

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