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भारतीय संस्कृति में माँ बाप की एहम भूमिका

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हम जहाँ रहते है वो भारत देश संस्कृति से परिपक्व है। यहाँ हर धर्म, हर जाति, हर इंसान को सामान दर्जा दिया जाता है, और इसी भारत देश में दो ऐसे इंसान भी है जिनको भगवान् से ऊपर का दर्जा दिया गया है वो नाम है माँ-बाप । भारत की संस्कृति ही नहीं पूरे विश्व में माँ बाप की हमारी ज़िंदगी में एहम भूमिका होती है परंतु भारत देश में माँ बाप को लोग पूजते है और क्यों ना सम्मान दे उनकी उंगली पकड़ के चलना सीखते है हम, उनके आदर्श भरे जीवन से प्रेरित होके खुद का जीवन जीते है हम लोग । 

पुरानी सदी में माँ बाप को एक ऐसा दर्जा दिया जाता था की खाने की टेबल पर भी बिना उनके बैठे और अन्न का दाना बिना माँ बाप के खायें आप खाने को शुरू नहीं कर सकते थे, उस ज़माने में माता पिता के पैरो में ही दुनिया और माँ के आँचल में ही सारा संसार बस्ता था, वक्त चाहे जितना भी हो माता पिता से बात किये बिना हमारी ना ही सुबह होती थी और और ना ही शाम ढलती थी । पहले बच्चों को बस यहीं लगता था माँ बाप जो कहेगे जो सीखायेगे सब सच्च है और सही है उनकी सिखाये हुए आदर्शों से जीवन व्यापन करना आसान हो जायेगा, आज भी हम 21वी सदी में माँ बाप के आदर्श और सत्य वचन से ही जीवन की रूप रेखा जी रहे है । उनके सिखाये हुए रास्तों पर ही चल रहे है और क्यों ना चले ? उन्होंने हमसे ज्यादा दुनिया देखी है हमसे ज्यादा संसार के कठिन दौर से गुज़र के हमारा पालन पोषण किया है ।

 

20वी और 21वी सदी में क्या बदलाव हुए है 

आज दुनिया में लोग सफलता के पीछे भाग रहे है नौजवानों के लिए उनका करियर ही सब कुछ है इसका कारण यह भी है की हर चीज़ अब महंगी हो चुकी है और लोगो की जरुरत अब वक्त के चलते और ज्यादा हो चुकी है, आजकल नौजवानों का सपना विदेश में पैसा कमाने से ले कर बड़ी कंपनियों में नौकरी करने से ज्यादा कुछ नहीं है और यह जरुरी भी है आजकल की भाग दौड़ वाली ज़िंदगी को देखते हुए ताकि आप इस 21वी सदी में सफलतापूर्वक बने रहे । नये ज़माने में Social sites का भी एक एहम भूमिका बन चुकी है, 3 साल का बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्गों तक यह एंटरटेनमेंट का एक ज़रिया बन चुका है । 

नए ज़माने की वजह से माता पिता की एहमियत में कमी होना 

यह एक चर्चा है पर यह हमारे जीवन की सच्चाई भी है की कल तक जो माँ बाप हमारे जीवन में इतनी एहमियत रखते थे आज वहीँ लोग इस ज़माने में हमारी नज़रों में कही खो से गए हैं, आजकल बच्चों पे social sites का इतना खुमार चढ़ गया है की उनको सही और गलत की समझ तक नहीं रह गयी है, जिन उंगली को पकड़ के चलना सीखा आज वहीँ हाथ कही पीछे छूट गए है यही नहीं जीवन की इस भाग दौड़ में हम इतना आगे निकल गए की हम भूल गए की हमारे माता पिता बहुत पीछे रह गए, क्या हमारी ज़िंदगी इतनी कमजोर हो गयी है की मोबाइल और दोस्तों के बिना रहना मुश्किल हो गया है ?  क्या हमारे लिए करियर इतना जरुरी हो गया है की कल तक जो शब्दों की माला बना के हम जीवन जीते थे आज वहीँ सत्य की माला पुरानी हो गयी हैं ? क्या हमारी ज़िंदगी अब इतनी आगे बढ़ चुकी है की माँ बाप को एक शुरुआती सीढ़ी समझ के इस्तिमाल किया और जब वो सीढ़ी पुरानी होगयी तो किसी कोने में रख के छोड़ दिया ? 

शायद यह कठोर शब्दों की आग आप सुन ना पा रहे हो पर सच्चाई यही है की कल तक जो माँ बाप हमारी जीवन की जरुरी कड़ी हुआ करते थे आज वहीँ किसी वृद्धाश्रम में अपना बचा हुआ जीवन गुज़ार रहे है, गलती किसी करियर की नहीं है और ना ही social sites की है यहाँ गलतियां सिर्फ एक इंसान की है और वो Hum है । बच्चों पे उतनी समझ नहीं होती है पर नौजवानों को समझना होगा की माँ बाप की एहमियत हमारी ज़िंदगी में कितनी है। पिछले कुछ सालों में वृद्धाश्रम और माँ बाप से जुडी कई अत्याचारों की खबर आयी है यही नहीं माँ बाप को तब तक रखा जा रहा है जब तक आपके काम के हो, उनके बुजुर्ग होते ही उनको या तो घर से बाहर निकाल दिया जाता है या फिर किसी वृद्धाश्रम में डाल दिया जाता है। हम कर क्या रहे है एक बार भी हमारे दिल में ख्याल नहीं आता है की जीवन के उस दौर में जब हम बोल नहीं पाते थे तब हमारे माता पिता ने साथ देकर हमको काबिल बनाया और आज जब वो अपने बुजुर्ग वाले वक्त में जी रहे है तो हम उन्हें निकाल रहे है अपने जीवन से यह कहाँ का इंसाफ है, भारत जहाँ भगवान् का दर्जा दिया जाता है उन्हें हम दूध की मक्खी की तरह निकाल के फेंक रहे है ।

कुछ उदाहरण है जो आजकल हर जगह चल रहा है छोटे बच्चे जो बिना मोबाइल के खाना तक नही खाते है अगर उनसे मोबाइल मांग लो तो गुस्से में चीज़े तक तोड़ देते है, यही नहीं अगर कुछ बड़े बच्चों पे थोडा रोकथाम करने की कोशिश करते है माँ बाप तो उनको उल्टा सीधा सूना के बच्चे चले जाते है, नौजवान भी कल तक जो उनकी सलाह लिया करते थे आज वहीँ लोग अपने माता पिता को यह कह के शर्मिंदा कर देते है की आप तो पुराने ज़माने के हो गए हो आप क्या जानो नए ज़माने की रफ़्तार पर नौजवान यह भूल जाते है की कल आपके माँ बाप भी जवान थे उन्होंने दुनिया आपसे ज्यादा देखी है तो उनको समझ ज्यादा है आपसे । व्वहीँ बच्चे यह भूल गए की जिन चीज़ों पे गुस्सा निकाल के तोड़ रहे हो वो उनके माँ बाप की मेहनत की कमाई है यही नहीं रोकथाम करना उनका हक़ है क्योंकि वो माँ बाप आपकी चिंता करते है अगर देर रात तक घर नही आते हो तो दिल बैठ जाता है माता पिता का तो इन छोटे कारणों से आप माता पिता की एहिमयत को अनदेखा नहीं कर सकते है ।

मैं यह नहीं कहता की वृद्धाश्रम गलत होते हे वो उन माँ बाप के लिए होता है जो अपनी ज़िन्दगी में कुछ नहीं कर सकते, जिनका जीवन में कोई नहीं है, जिनके बच्चे उनसे दूर विदेश में रह रहे हो, इस आश्रम में उन्हीं माता पिता के सेवा करने के लिए यह वृद्धाश्रम बनाया गया है परंतु यह तब गलत साबित हो जाता है जब आप अपने माँ बाप को ज़बरदस्ती इस अकेलेपन में धकेल कर खुद अपनी ज़िंदगी ख़ुशहाली से जी रहे हो । Social sites भी आपको ख़ुशी देने का एक जरिया है पर इतना व्यस्त रह के आप बुजुर्गों को भूल जाओ यह सही बात नहीं, शायद हम यह भूल जाते है पुराने ज़माने में फ़ोन तक नहीं होते थे फिर भी माँ बाप ने अपनी ख़ुशियों को कुर्बान करके आपकी हर जरुरत पूरी की है । 

आज मैं यह लेख लिख कर बस यही बताना चाहता हूँ की माँ बाप कोई कटपुतली नहीं है जो आपको मनोरंजन देने के लिए इस दुनिया में है जब आपका दिल किया आप आये और जब चाहा तो छोड़ के चले गए, माँ बाप तो वो पेड़ है जिसकी जड़ ज़मीन से जुडी है और हम उस जड़ पे लगे फल है जो हमेशा उस पेड़ को सम्मान और ख़ुशी दे, हमारा फ़र्ज़ है माँ बाप की सेवा करना उनको ख़ुशी देना उनके साथ अपनी आखिरी सांस तक रहना । अगर हम अपने करियर को तवज्जो दे रहे है तो उनकी सलाह लेते हुए ही अपने जीवन को आगे बढ़ाये, अगर हम उनको पहले की तरह वहीँ मान और सम्मान दे तो क्या इसमें हमारा कोई नुकसान होगा शायद इसका जवाब आप अब तक समझ चुके होंगे । 

एक बुजुर्ग के दिल की बात जो शायरी के रूप में कहना चाहता हूँ कि, ” वक्त बदल गया हालात बदल गए नहीं बदला मेरे देखने का नज़रिया आज भी यह झुके हुए कंधे और धुंदली आँखों की यह प्यार भरी चाहत मुझसे यही कहती है की मेरी औलाद ठीक रहे और खुश रहे और जहाँ भी रहे मेरा नाम रौशन करे, क्योंकि यह दौर तुम्हारा है यह वक्त तुम्हारा है यह सारी दुनिया तुम्हारी है पर मेरे बच्चे हमारे लिए तो तुम ही मेरी दुनिया हो, मेरा गुरूर हो, सम्मान हो, मुझे अपने से दूर मत करना मत करना मत करना…….”

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