डेस्क। हमारे देश में अलग-अलग संस्कृति,विचारों एवं मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं। भारत को हर पायदान पर विविधताओं से भरपूर है कहा जाता है। और इतना ही नहीं यहां के हर गांव, हर कस्बे और हर शहर एवं हर प्रदेश के रहन-सहन, वेशभूषा यहां तक कि खान-पान में भी विविधता मिल ही जाती है।यही वजह है कि जो हमें पूरी दुनिया में खास बना देती है।
इसी कड़ी में बता दें कि हमारे देश में तमाम तरह की मान्यताएं और परंपराएं है। ऐसी ही एक मान्यता के बारे में आज हम चर्चा करेंगे। यह मान्यता कद्दू को लेकर है। सब्जियों में कद्दू जिसे कहीं कद्दू,कहीं काशीफल,कहीं कुम्हड़ा तो कहीं मखना और भतवा के नाम से जाना जाता है।
इसके औषधीय महत्व से संबंधित एक खास मान्यता है कि महिलाएं सब्जी बनाने के लिए इसे पहले खुद नहीं काटती हैं। क्या आप जानते हैं कि आखिर इससे जुड़ी इस मान्यता के पीछे क्या वजह है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में इसके पीछे का कारण बताएंगे-
कद्दू काटने के लिए क्यों ली जाती है पुरुष की मदद-
बहुत से घरों में महिलाएं कद्दू पर सबसे पहले चाकू नहीं चलाती वह इसके लिए पुरुष की मदद लेती हैं। अगर आपके यहाँ पर ऐसा होता है तो आप जानते होंगे कि जब पुरुष कद्दू पर एक बार चाकू चलाकर उसे काट देता है उसके बाद महिलाएं कद्दू काटती हैं।
कद्दू को माना जाता है सबसे बड़ा बेटा-
कद्दू सिर्फ एक आम सब्जी नहीं है इसका हिंदू धर्म मे विशेष महत्व भी रहा है। ऐसे अनुष्ठान जहां पशु की बलि दी जानी होती है, वहां अगर कद्दू काटा जाता है तो उसे भी पशु बलि के बराबर ही माना जाता है।
बता दें कि देश के कई हिस्सों में अलग-अलग समुदायों में इस बात की मान्यता है कि कद्दू बड़े बेटे के समान होता है और अगर महिलाएं उसे काटती हैं तो यह बेटे की बलि देने के जैसा होता है।
भले ही कद्दू काटने को लेकर यह मान्यता है वो अंधविश्वास हो पर धार्मिक रूप से भी इससे लेकर तमाम मान्यतायें प्रचिलित हैं और यह भारतीयों के भावनात्मक पक्ष को प्रदर्शित करती हैं।
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