Shocking:- नवाबो के शहर लखनऊ की नवाबी पूरे विश्व में चर्चित है। यहां कि इमारतो की शोभा अवर्णनीय है। एक ऐसी ही इमारत है लखनऊ की भूल भुलैया। भूल भुलैया अन्य इमारतो से एकदम विचित्र है। माना जाता है कि यहीं जो कोई भी जाता है वह रास्ता भटक जाता है। और उसी भूल भुलैया में घूमता रहता है।
एक कहावत है कि ” दीवारो के भी कान होते है “। इसका साक्षात उदाहरण हैं भूल भुलैया। भूल भुलैया की दीवारे, सुरंगे, घुमावदार रास्ते, पुरातन कलाकारी को साफ दर्शाते हैं। बताया जाता है कि इतिहास में शासक आसफउद्दौला ने शत्रुओ से बचने के लिए इसका निर्माण करवाया था।
प्रायः किसी भी इमारत को बनाने के लिए सीमेंट सरिया का प्रयोग किया जाता है। किंतु भूल भुलैया की दीवारो का निर्माण चूना, गन्ने का रस, सिंघाड़े का आटा, उड़द की दाल, चने की दाल, लाल मिट्टी, गोंद शहद, लखौरी ईंट इत्यादि के इस्तेमाल से किया गया था। इन दीवारो के सबसे खास बात यह है कि दीवार के दूसरी तरफ की आवाज को भी सुना जा सकता है। यदि एक मच्छर भी भिनभिना रहा हो तब भी पता हो जाता है।
इमामबाड़े के बीचो बीच में एक पॉर्शियल हॉल बना हुआ है। जिसकी लंबाई 165 फीट है। जिसमें काली सफेद खोखली लाइने बनी हुई हैं। इसके एक कोने पर का आवाज दूसरे कोने पर आसानी से सुनी जा सकती है। भूल भुलैया को किस तरह से बनाया गया यह सिर्फ एक रहस्य बनकर ही रह गया है।
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