डेस्क। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक मीटिंग में जब ये कहा कि मुस्लिमों में भी सोशल इंजीनियरिंग की खासा आवश्यकता है। उन्होंने पसमांदा मुस्लिमों के विकास पर फोकस की बात कही तो देश में मुस्लिमों के इस तबके को लेकर भी एक बहस छिड़ चुकी है।
इस घोषणा के बाद से ही भाजपा मोदी की इस लाईन पर काम करने की रणनीति बनाने में लगी है। लेकिन विपक्ष के लिए ये एक बड़ी ही चिंता की बात है।
विपक्ष के लिए खतरा हैं भाजपा का ये प्लान
विपक्ष के लिए पीएम की ये बात एक खतरे की घंटी की तरह है। खासकर यूपी व बिहार के हिस्सों में, क्योंकि यहां पर ज्यादातर मुस्लिम तबका बीजेपी के खिलाफ वोट करता है। अगर बीजेपी सोशल इंजीनियरिंग करके पसमांदा यानि पिछड़े मुस्लिमों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है तो विपक्ष के पास कुछ नहीं बचेगा। बता दें कि यूपी के एक मंत्री कहते हैं कि उन्हें यकीन है की पसमांदा मुसलमान बीजेपी को समर्थन देंगे। उन्होंने यह दावा भी पेश किया है कि हाल के असेंबली चुनाव में तकरीबन 8 प्रतिशत पसमांदा मुस्लिमों ने सीएम योगी के लिए भाजपा को वोट किया था।
पसमांदा मुसलमान कौन?
भारतीय मुसलमान भी जाति व्यवस्था के शिकार हैं। हिन्दू की तरह ही वोभी सैकड़ों बिरादरियों में बंटे हुए हैं। उच्च जाति के मुस्लिमों को अशरफ कहा जाता है। इनका ओरिजिन पश्चिम या मध्य एशिया से बताया जाता है।
जहां एक ओर मुस्लिमों आबादी में 15 फीसदी उच्च वर्ग माने जाते हैं। वहीं बाकी के 85 फीसदी अरजाल और अजलाफ दलित और बैकवर्ड कहे जाते हैं। बता दें ये मुसलमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक हर तरह से पिछड़े और दबे हुए हैं। ऐसे में भाजपा का ये कदम एक साथ पूरे आधे से ज्यादा मुसलमानो को अपनी ओर करने का है।
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