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झारखंड पुलिस भर्ती: सपना या मौत का खेल?

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झारखंड पुलिस भर्ती: सपना या मौत का खेल?
झारखंड पुलिस भर्ती: सपना या मौत का खेल?

झारखंड पुलिस में सिपाही भर्ती के लिए आयोजित फिजिकल टेस्ट एक दर्दनाक त्रासदी में बदल गया है। दौड़ के दौरान गर्म मौसम में लापरवाही और अत्यधिक भीड़ के कारण 11 अभ्यर्थियों की जान चली गई। यह घटना एक गंभीर चिंता का विषय है और यह सरकार और अधिकारियों की जिम्मेदारी की ओर इशारा करता है कि भर्ती प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित कैसे बनाया जाए।

गर्मी और लापरवाही का खतरनाक मेल

झारखंड में सिपाही भर्ती के लिए दौड़ में शामिल होने वाले युवाओं का उत्साह उनके सपनों को पूरा करने की तीव्र इच्छा से प्रेरित था। लेकिन, यह सपना कई लोगों के लिए भयानक वास्तविकता में बदल गया। 28 अगस्त को गिरिडीह में आयोजित दौड़ के दौरान तेज धूप के साथ-साथ लापरवाही के कारण गंभीर दुर्घटना हुई।

प्रारंभिक लापरवाही

प्रारंभिक तौर पर 5:00 बजे निर्धारित दौड़ की शुरुआत 11:00 बजे की गई। इस देरी के कारण अभ्यर्थी तेज धूप में कई घंटों तक लाइन में खड़े रहे, जिससे उनकी थकावट बढ़ गई। इतनी लंबी देरी का उचित कारण स्पष्ट नहीं है। ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने अभ्यर्थियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की अनदेखी की, जो भर्ती प्रक्रिया में लापरवाही का एक गंभीर संकेत है।

भीषण गर्मी का कहर

कड़ी धूप के कारण बहुत से अभ्यर्थी दौड़ के दौरान ही बेहोश हो गए। गर्मी की अधिकता और थकावट की स्थिति में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता भी एक प्रमुख कारण रही।
दौड़ के दौरान ड्यूटी पर तैनात मेडिकल टीम की संख्या पर्याप्त नहीं होने की शिकायतें आ रही हैं। यह दर्शाता है कि प्रशासन ने अभ्यर्थियों की सेहत को लेकर जरूरी सावधानी नहीं बरती।

एक भाई का जुनून और दूसरे का दर्द

बिहार के जमुई जिले से आए दो भाइयों, गोविंद कुमार और निर्मित की कहानी इस त्रासदी का दर्दनाक वर्णन करती है। गोविंद अपने सपनों को पूरा करने के जुनून से प्रेरित था जबकि निर्मित अपने भाई की सुरक्षा को लेकर चिंतित था। दौड़ के दौरान गर्मी का प्रभाव स्पष्ट था और निर्मित ने दो चक्कर पूरा करने के बाद दौड़ को छोड़ दिया था।
हालाँकि गोविंद नौकरी पाने के अपने जुनून के कारण दौड़ जारी रखे हुए था। लेकिन किस्मत कुछ और ही चाहती थी।

एक भाई की मौत और दूसरा टूटे सपनों के साथ

गोविंद की दौड़ के दौरान ही तबीयत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। हालांकि पहले उसे गिरिडीह के अस्पताल में भर्ती कर दिया गया लेकिन उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे धनबाद रेफर कर दिया गया। लेकिन उसके परिवार की दुर्भाग्य का बिगड़ते ही जा रहा था। गोविंद को धनबाद से रांची के रिम्स में भर्ती करना जरूरी था, लेकिन उसकी दर्दनाक मृत्यु रिम्स के गेट पर ही हो गई। गोविंद को दो घंटों तक एडमिट नहीं किया गया और उसने दुनिया को अलविदा कह दिया।
गोविंद की मौत से उसके परिवार और गांव में गम की लहर दौड़ गई। गोविंद गंगरा पंचायत में स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करता था और अपने परिवार का एकमात्र कमाऊ था। उसकी मौत से उसके परिवार का सपना चकनाचूर हो गया।

परिवार की दुखद अपील और सरकार की जिम्मेदारी

गोविंद के पिता और छोटे भाई निर्मित ने सरकार पर अंगुली उठाई है और आरोप लगाया है कि गोविंद की मौत सरकार की लापरवाही से हुई है। उनका कहना है कि सरकार को इस घटना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और मुआवजा के साथ साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी देनी चाहिए।

यह त्रासदी एक गंभीर चिंता का विषय है और यह सरकार और अधिकारियों को भर्ती प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यहाँ कुछ मुख्य बातें जो इस मामले से सामने आई हैं :

टेक-अवे पॉइंट्स

  1. झारखंड में आयोजित सिपाही भर्ती दौड़ में 11 अभ्यर्थियों की मौत एक गंभीर घटना है जो गर्म मौसम और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
  2. दौड़ की शुरुआत में हुई देरी, तेज धूप और थकावट की स्थिति में पर्याप्त मेडिकल सुविधाओं की अनुपलब्धता एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
  3. इस घटना ने अभ्यर्थियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की असंगठित तैयारी और अप्रशिक्षित कार्मिकों को उजागर किया है।
  4. इस त्रासदी से उजागर हुए चिंताजनक बिंदु भर्ती प्रक्रिया को सुधारने और अभ्यर्थियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
  5. गोविंद कुमार की मृत्यु और उसके परिवार की दुखद स्थिति सरकार की जिम्मेदारी को उजागर करती है कि वह भर्ती प्रक्रिया में अधिक सावधानी और सुरक्षा का प्रबंधन करें।
  6. यह घटना सिर्फ़ एक भर्ती दौड़ से ज़्यादा है। यह नौकरी पाने के जुनून से प्रेरित युवाओं की सुरक्षा और सरकार की जिम्मेदारी को लेकर एक गंभीर चिंता है।

झारखंड पुलिस भर्ती प्रक्रिया में घटी यह त्रासदी एक सीख है जिसे सरकार और अधिकारियों को गंभीरता से लेना चाहिए। भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी है। ऐसे दुखद हादसों को रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे और भर्ती प्रक्रिया में ज़्यादा पारदर्शिता और संगठन लाना होगा।

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