Home राष्ट्रीय हिमाचल प्रदेश का कर्ज: राज्य की आर्थिक सेहत पर गंभीर खतरा

हिमाचल प्रदेश का कर्ज: राज्य की आर्थिक सेहत पर गंभीर खतरा

13
0
हिमाचल प्रदेश का कर्ज: राज्य की आर्थिक सेहत पर गंभीर खतरा
हिमाचल प्रदेश का कर्ज: राज्य की आर्थिक सेहत पर गंभीर खतरा

हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स को समय पर सैलरी और पेंशन न मिलने की समस्या राज्य के बढ़ते कर्ज और वित्तीय संकट का एक गंभीर प्रतीक है। 1 तारीख को, राज्य के लगभग 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को उनका भुगतान नहीं मिल पाया, जिसके कारण उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह स्थिति राज्य की वित्तीय स्थिति की चिंताजनक स्थिति को उजागर करती है।

राज्य का बढ़ता कर्ज

हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में लगभग 94,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति को अत्यधिक कमजोर बना रहा है। यह कर्ज बोझ इतना भारी है कि राज्य सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। इस वित्तीय संकट का सबसे बड़ा शिकार राज्य के कर्मचारी और पेंशनर्स हैं, जिनके लिए सरकार पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं।

कर्ज के प्रमुख कारण

  • राज्य सरकार के अत्यधिक खर्च ने कर्ज में वृद्धि की है।
  • राज्य की राजस्व आय अपर्याप्त है, जिससे खर्च को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ता है।
  • केंद्र सरकार ने कर्ज सीमा को 5 फीसदी से घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है, जिससे राज्य सरकार को कम धनराशि कर्ज के रूप में जुटाने की अनुमति मिलती है।
  • केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए वित्तीय सहायता में कमी भी राज्य की वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर रही है।

कर्ज का असर

  • राज्य सरकार के विकास कार्यक्रमों को कमजोर करना।
  • सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट।
  • राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए वेतन और पेंशन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना कठिन।
  • अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की आशंका।

सरकार द्वारा किए गए प्रयास

राज्य सरकार ने इस वित्तीय संकट का सामना करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को एलान किया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन दो महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे। उन्होंने सभी विधायकों से भी वेतन-भत्ता दो महीने के लिए छोड़ने की मांग रखी थी।

समस्या समाधान के लिए क्या आवश्यक?

  • राज्य के राजस्व को बढ़ाने के लिए नई रणनीतियाँ बनाना।
  • सरकारी खर्च में कमी लाना और बजट का अधिक कुशलता से प्रबंधन करना।
  • केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने के प्रयास करना।
  • राज्य के आर्थिक विकास के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाना।

बीजेपी पर लगाए गए आरोप

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि उन्हें पिछली बीजेपी सरकार द्वारा छोड़ा गया कर्ज विरासत में मिला है, जो राज्य को फाइनेंशियल इमरजेंसी में धकेलने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राजस्व प्राप्तियों में सुधार कर रही है और राज्य की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्या हैं टेकअवे पॉइंट?

  • हिमाचल प्रदेश का बढ़ता कर्ज राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है।
  • राज्य सरकार को कर्ज को कम करने और अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए कदम उठाने होंगे।
  • कर्मचारियों और पेंशनर्स को समय पर वेतन और पेंशन न मिल पाने से राज्य के लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
  • राजनीतिक पार्टियां अपने आलोचनाओं से परे इस मुद्दे को राष्ट्रीय हित के रूप में देखे और इसे हल करने के लिए सामूहिक रूप से काम करें।
Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह [email protected] पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।