Home स्वास्थ्य-जीवनशैली ग़ज़ा में पोलियो से लड़ाई: युद्ध के बीच उम्मीद की किरण

ग़ज़ा में पोलियो से लड़ाई: युद्ध के बीच उम्मीद की किरण

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ग़ज़ा में पोलियो से लड़ाई: युद्ध के बीच उम्मीद की किरण
ग़ज़ा में पोलियो से लड़ाई: युद्ध के बीच उम्मीद की किरण

ग़ज़ा में जारी युद्ध के बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने केंद्रीय ग़ज़ा में एक महत्वपूर्ण पोलियो अभियान शुरू करने में सफलता हासिल की है। इस अभियान के तहत, हज़ारों बच्चों को पोलियो के टीके लगाये जा चुके हैं, हालाँकि इस क्षेत्र में घोषित सुरक्षित क्षेत्र में इस्राएली हमले कुछ ही घंटों पहले हुए थे। ग़ज़ा में चल रहे एक वर्षीय युद्ध के दौरान, मानवीय राहत पहुँचाने के लिए इस्राएली सेना और हमास के बीच हुए एक समझौते के तहत, सोमवार की सुबह से कई घंटों तक मानवीय कार्यक्रम के लिए युद्धरत क्षेत्र में रोक लगाने की बात तय हुई थी, जिसके ज़रिए हज़ारों बच्चों तक पहुँचने की योजना थी। लेकिन इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र मानवीय कार्य कार्यालय ने बताया कि इस्राएली बलों ने अल-अक्सा अस्पताल के पास, सुरक्षित क्षेत्र में स्थित तंबूओं पर हमला किया, जिसमें चार लोगों की ज़िंदा जलकर मृत्यु हो गई। संयुक्त राष्ट्र के फ़िलिस्तीनी शरणार्थी एजेंसी, यूएनआरडब्ल्यूए, ने बताया कि उनके नूसरैरात शहर के एक स्कूल पर रविवार और सोमवार की रात के बीच हमला हुआ, जो पोलियो टीकाकरण केंद्र के रूप में इस्तेमाल होने वाला था। इस हमले में कम से कम 22 लोगों की मौत हुई।

पोलियो टीकाकरण का कार्यक्रम जारी रहा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता, तारिक जाशेरेविच ने जिनेवा में एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि सोमवार को लगभग 92,000 बच्चों, यानी केंद्रीय ग़ज़ा में पोलियो के टीके लगाये जाने वाले बच्चों की आधी संख्या, को टीकाकरण दिया गया। उन्होंने कहा, “हमारे साथियों से जो सूचना मिली है, उससे पता चलता है कि कल टीकाकरण अभियान बिना किसी बड़ी समस्या के पूरा हुआ, और हमें उम्मीद है कि आगे भी ऐसा ही जारी रहेगा।”

ग़ज़ा के उत्तर में चुनौतियाँ

अन्य मानवीय एजेंसियों ने पहले ही ग़ज़ा के उत्तरी हिस्से में पोलियो अभियान की सफलता के बारे में चिंताएँ व्यक्त की हैं, जहां इस्राएली सेना का आक्रमण जारी है। अगस्त में एक शिशु को पोलियो के प्रकार 2 वायरस के संक्रमण के कारण आंशिक रूप से लकवा मार गया था, जो 25 वर्षों में ग़ज़ा में पहला मामला था। इसके बाद, सहायता संगठनों ने पिछले महीने टीकाकरण का पहला दौर किया था।

सुरक्षा में चुनौतियाँ

इस्राएली सेना द्वारा ग़ज़ा पर नियंत्रण होने के बावजूद, मानवीय सहायता संगठनों को पोलियो के टीके लगाने के लिए पहुँचाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों और स्कूलों में सुरक्षा स्थिति अस्थिर होने के कारण, कई संभावित टीकाकरण केंद्रों पर खतरा मंडरा रहा है।

रोग की व्यापकता का खतरा

ग़ज़ा में पहले ही रोगों का प्रकोप बढ़ गया है, क्योंकि स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था लड़ाई में क्षतिग्रस्त हो गई है, और खाद्य और पानी की आपूर्ति में कमी आई है। यदि ग़ज़ा में पोलियो व्यापक रूप से फैल जाता है, तो इसका प्रभाव ग़ज़ा के लिए विनाशकारी हो सकता है, और पड़ोसी क्षेत्रों के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।

मानवीय सहायता में रुकावटें

ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने में लगातार बाधाएं पैदा हो रही हैं। युद्ध की वजह से कई सहायता संगठनों को ग़ज़ा में काम करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस्‍राएली सेना के प्रतिबंधों और रसद की कमी मानवीय कार्यों को जटिल बना रही हैं।

राजनीतिक दबाव का प्रभाव

ग़ज़ा में युद्ध के बीच, पोलियो अभियान पर राजनीतिक दबाव का प्रभाव भी देखा जा रहा है। कई देश अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अभियान में हस्तक्षेप करने से झिझक रहे हैं, जबकि मानवीय सहायता का मांग करने वालों का दबाव भी बढ़ रहा है।

निष्कर्ष

ग़ज़ा में चल रहे युद्ध के बीच मानवीय सहायता संगठनों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमे स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना भी शामिल है। पोलियो जैसे संक्रामक रोगों के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है। युद्ध समाप्त होने के बाद भी, ग़ज़ा को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए उचित स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होगी।

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