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पुंगनूर गाय: विलुप्त होने के कगार पर एक अनोखी प्रजाति

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पुंगनूर गाय: विलुप्त होने के कगार पर एक अनोखी प्रजाति
पुंगनूर गाय: विलुप्त होने के कगार पर एक अनोखी प्रजाति

पुंगनूर गाय – विलुप्त होने के कगार पर एक अनोखी प्रजाति

पुंगनूर गाय, जो दुनिया की सबसे छोटी गायों की प्रजातियों में से एक है, एक समय आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में बड़ी संख्या में पाई जाती थी। आज, केवल 50 से भी कम पुंगनूर गायें जीवित हैं। इन गायों की सीमित व्यावसायिक क्षमता और लोकप्रिय धारणाओं के बावजूद, इन प्राणियों का अस्तित्व संकट में है।

पुंगनूर गाय की अनोखी पहचान

पुंगनूर गाय अपनी छोटी कद-काठी और सुंदरता के लिए जानी जाती है। ये गायें केवल 80-90 सेमी ऊंची होती हैं और उनके शरीर का रंग भूरा, सफ़ेद या ग्रे होता है। उनकी गोल और काली आँखें और चुस्त-दुरुस्त शरीर उन्हें छोटे पालतू कुत्तों से मिलता-जुलता बनाते हैं। पुंगनूर गायें अपनी अद्वितीय चरित्र विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं, वे मानवीय स्नेह के लिए जानी जाती हैं और अपने मालिकों से गहरा नाता जोड़ती हैं।

पुंगनूर गाय की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

यह माना जाता है कि पुंगनूर गायें देवी लक्ष्मी और कामधेनु का अवतार हैं। सदियों पहले, विजयनगर साम्राज्य के राजा और ज़मींदार इन गायों का पालन पोषण करते थे और उन्हें विशेष भोजन जैसे खजूर, काजू, बादाम और शहद-मिश्रित सब्ज़ियों और फलों के रस से खिलाते थे। यह उनकी धार्मिक महत्ता और आध्यात्मिक महत्व का प्रमाण है।

व्यावसायिक संभावनाएं

हालाँकि, व्यावसायिक रूप से, पुंगनूर गाय की प्रतिष्ठा कुछ अलग है।

दूध उत्पादन

यह देखा गया है कि ये गायें प्रतिदिन एक से डेढ़ लीटर दूध ही दे पाती हैं, जो अधिकतर एक छोटे परिवार की ज़रूरतें पूरी कर पाती हैं। इसलिए, इन गायों का व्यावसायिक दूध उत्पादन के लिए उपयोग सीमित है।

अन्य उत्पादों की मांग

दूसरी ओर, पुंगनूर गाय के गोबर और मूत्र की मांग काफी अधिक है। इनका उपयोग जैविक खाद और आयुर्वेदिक औषधियों के लिए किया जाता है। यह मांग उन आश्रमों से भी आती है जो हिमालय के तराई इलाकों में स्थित हैं।

संकट और संरक्षण प्रयास

गायों के अस्तित्व को खतरा

पुंगनूर गाय की अत्यधिक पालाऊपन प्रकृति, उनका रोग प्रतिरोधक क्षमता, और कम दूध उत्पादन व्यावसायिक रूप से इसे लाभहीन बनाते हैं। इन कारणों से, कई किसान इन गायों को पालने से बचते हैं, जो उनकी संख्या में कमी का प्रमुख कारण है।

सरकार द्वारा संरक्षण

हालाँकि, केंद्र और राज्य सरकारों ने पुंगनूर गाय की इस दुर्लभ प्रजाति को संरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं। वे गायों को टीकाकरण और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करते हैं। लेकिन, इन प्रयासों के बावजूद, उनकी संख्या में वृद्धि न के बराबर है।

सीखने के बिंदु

  • पुंगनूर गाय, एक अनोखी और सुंदर प्रजाति, दुर्लभ होती जा रही है।
  • इन गायों का पालन करना उनकी अत्यधिक पालाऊपन प्रकृति और सीमित दूध उत्पादन के कारण व्यावसायिक रूप से कम लाभदायक है।
  • गोबर और मूत्र की बढ़ती मांग एक बड़ा अवसर प्रदान करती है।
  • सरकारी संरक्षण और जनजागरूकता इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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