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भारत की ऐतिहासिक जीत: ट्रैकोमा उन्मूलन की कहानी

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भारत की ऐतिहासिक जीत: ट्रैकोमा उन्मूलन की कहानी
भारत की ऐतिहासिक जीत: ट्रैकोमा उन्मूलन की कहानी

भारत ने नेत्र रोग ट्रैकोमा को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने में सफलता प्राप्त की है, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को मान्यता प्रदान की है। यह एक बड़ी सफलता है, जो दशकों के प्रयासों, सरकार की प्रतिबद्धता, चिकित्सा पेशेवरों की कड़ी मेहनत और समुदायों के सहयोग का परिणाम है। ट्रैकोमा एक संक्रामक जीवाणु जनित नेत्र रोग है, जो अंधेपन का एक प्रमुख कारण है और विशेष रूप से गरीब और स्वच्छता की कमी वाले क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैला हुआ है। भारत द्वारा इस बीमारी को नियंत्रित करने में हासिल की गयी इस कामयाबी से सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सुधार की दिशा में एक नयी राह खुलती है और यह विश्व के अन्य देशों के लिए भी एक प्रेरणा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक साईमा वज़ेद ने भारत की इस उपलब्धि की सराहना करते हुए सरकार, चिकित्साकर्मियों और साझेदार संगठनों के योगदान को महत्वपूर्ण बताया है।

ट्रैकोमा उन्मूलन में भारत की सफलता की कहानी

भारत ने ट्रैकोमा उन्मूलन के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाई, जिसमें समुदायों को जागरूक करना, संक्रमण का पता लगाना, उपचार करना और रोग की रोकथाम पर जोर दिया गया। यह रणनीति सरकारी योजनाओं, चिकित्साकर्मियों की प्रशिक्षण, और स्थानीय समुदायों के सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है।

जागरूकता अभियान और समुदाय की भागीदारी

सफलता का एक प्रमुख कारक समुदायों में जागरूकता पैदा करना था। सरकार ने विभिन्न माध्यमों से लोगों को ट्रैकोमा के कारणों, लक्षणों और रोकथाम के तरीकों के बारे में शिक्षित किया। इसमें प्रचार अभियान, शिक्षा कार्यक्रम और स्वास्थ्य शिविर शामिल थे। स्थानीय समुदायों ने भी सक्रिय रूप से भागीदारी की और स्वच्छता और चेहरे की सफाई जैसे निवारक उपायों को अपनाया।

प्रभावी निगरानी और रोग का पता लगाना

ट्रैकोमा के उन्मूलन के लिए संक्रमण का सटीक पता लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत ने नियमित रूप से सर्वेक्षण किए, जिससे संक्रमित लोगों का समय पर पता चल सका और उनका इलाज हो सका। प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों ने दूर-दराज़ के क्षेत्रों में जाकर लोगों की जाँच की और उनको उपचार मुहैया कराया।

सर्जरी और चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार

ट्रैकोमा से प्रभावित अनेक लोगों को ट्राइचीयासिस नामक जटिलता होती है जिसमे पलकों के बाल आँख में घुस जाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर सर्जिकल सेवाएं प्रदान की। प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों ने आँखों की जटिल सर्जरी करके लोगों की दृष्टि बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को ट्रैकोमा उन्मूलन कार्यक्रम में तकनीकी सहायता और वित्तीय सहायता प्रदान की। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और दानदाता एजेंसियों ने भी इस महत्वपूर्ण कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भविष्य की चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

हालांकि भारत ने ट्रैकोमा को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में खत्म करने में सफलता प्राप्त की है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह संकट पूरी तरह से खत्म हो गया है। इस रोग के पुनरुत्थान को रोकने के लिए निरंतर जागरूकता, नियमित सर्वेक्षण और स्वच्छता पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए समुदाय स्तर पर जागरूकता अभियान, स्वास्थ्य प्रशिक्षण और सरकारी समर्थन का निरंतर आवश्यक है। नियमित निगरानी से रोग के पुनरागमन की सम्भावना कम हो सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सफलता को कायम रखने के लिए लंबे समय तक प्रयास करना होगा।

ट्रैकोमा उन्मूलन में प्रमुख पाठ

  • समुदाय की भागीदारी: समुदायों को जागरूक करना और उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • प्रभावी निगरानी: रोग के नियमित सर्वेक्षण और संक्रमण का समय पर पता लगाना आवश्यक है।
  • चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार: उपचार और सर्जिकल सेवाओं की पहुँच सभी लोगों तक होनी चाहिए।
  • स्वच्छता और स्वास्थ्य: स्वच्छता पर ध्यान देना और चेहरे की सफाई करना ट्रैकोमा को रोकने में मदद करता है।
  • निरंतर जागरूकता: रोग के पुनरुत्थान को रोकने के लिए निरंतर जागरूकता बनाए रखना अति आवश्यक है।
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