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तिरुमला ब्रह्मोत्सव: भक्ति, धर्म और संस्कृति का संगम

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तिरुमला ब्रह्मोत्सव: भक्ति, धर्म और संस्कृति का संगम
तिरुमला ब्रह्मोत्सव: भक्ति, धर्म और संस्कृति का संगम

तिरुमला में चल रहे वार्षिक ब्रह्मोत्सव के सातवें दिन, 10 अक्टूबर (गुरुवार) को भगवान मलयप्पा स्वामी को सूर्यप्रभा वाहनम पर एक भव्य जुलूस में निकाला गया। बादरी नारायण के वस्त्रों में सज्जित भगवान मलयप्पा, सूर्यप्रभा वाहनम के ऊपर विराजमान होकर, मंदिर शहर की सड़कों पर घूमते रहे, और उनके दर्शन हेतु बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित हुए। इस जुलूस से पहले कई सांस्कृतिक और भजन मंडलियों ने अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। विभिन्न राज्यों के लगभग 405 कलाकारों ने इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें TTD के श्री वेंकटेश्वरा संगीत नृत्य कलाशाला के छात्रों द्वारा भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी प्रदर्शन के अलावा, असम, पंजाब, बेंगलुरु और विशाखापत्तनम के कलाकारों द्वारा बिहू, दांडिया आदि शामिल थे। शाम को, कल्याणकट्टा मिरासिदर्स ने सुनहरे छतरी को विशेष पूजा की और बाद में इसे TTD के अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी च. वीरैया चौधरी को सौंप दिया। यह सुनहरा छतरी 11 अक्टूबर (शुक्रवार) को होने वाले रथोत्सव के दौरान विशाल लकड़ी के रथ के ऊपर सजाया जाएगा। TTD के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पुष्करणी (मंदिर का तालाब) का निरीक्षण किया और 12 अक्टूबर (शनिवार) को होने वाले ‘चक्रस्नानम’ के लिए की जा रही व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को विशेषज्ञ तैराकों को तैनात करने और तालाब पर सख्त निगरानी बनाए रखने के लिए कहा क्योंकि भक्त पूरे दिन तालाब में पवित्र स्नान करते हैं। दिन भर के उत्सवों का समापन रात में चंद्रप्रभा वाहनम के जुलूस के साथ हुआ।

तिरुमला ब्रह्मोत्सव: एक भव्य आयोजन

तिरुमला ब्रह्मोत्सव दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। यह त्योहार सालाना आयोजित किया जाता है और इसमें कई धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य जुलूस शामिल होते हैं। इस वर्ष का ब्रह्मोत्सव अपने विशाल पैमाने और भव्यता के लिए उल्लेखनीय रहा। लोगों की विशाल भीड़ ने इस त्योहार में उत्साह से भाग लिया और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। प्रत्येक दिन भगवान के विभिन्न वाहनों पर विराजमान होने के साथ भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यक्रम और जुलूसों का आयोजन किया गया, जिससे भक्तों में अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव का संचार हुआ।

सूर्यप्रभा वाहनम जुलूस की भव्यता

10 अक्टूबर को हुए सूर्यप्रभा वाहनम जुलूस ने ब्रह्मोत्सव की भव्यता को और बढ़ा दिया। भगवान मलयप्पा स्वामी, बादरी नारायण के भव्य वस्त्रों में सजे हुए, सूर्यप्रभा वाहनम पर विराजमान थे। जुलूस के रास्ते पर भक्तों की विशाल भीड़ ने भगवान के दर्शन किए और उनके जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो गया। इस जुलूस में विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया जिसमे भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी, बिहू और दांडिया जैसे नृत्य शामिल थे। इसने ब्रह्मोत्सव में एक बहुरंगी और समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव जोड़ा।

धार्मिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक प्रदर्शन

ब्रह्मोत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। कल्याणकट्टा मिरासिदर्स ने स्वर्ण छत्र को विशेष पूजा अर्पित की जिसे बाद में रथोत्सव के लिए रथ पर स्थापित किया गया। यह दर्शाता है की त्योहार सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें संस्कृति और परम्परा का भी बड़ा योगदान है। टीटीडी के अधिकारियों द्वारा पुष्करणी तालाब के निरीक्षण और चक्रस्नानम की व्यवस्था पर ध्यान देने से त्योहार के व्यवस्थित संचालन का प्रमाण मिलता है। भक्तों की सुरक्षा और सुगमता सुनिश्चित करने हेतु उठाए गए कदमों से त्योहार की व्यवस्था के प्रति प्रशासन की गम्भीरता झलकती है। इसके अलावा शाम को हुए चंद्रप्रभा वाहनम का जुलूस ब्रह्मोत्सव में आकर्षण का केन्द्र था।

कला और संस्कृति का समावेश

ब्रह्मोत्सव केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं था, इसमें विभिन्न सांस्कृतिक प्रदर्शनों ने इस त्योहार में एक अतिरिक्त आकर्षण जोड़ा है। विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने अपने-अपने नृत्यों और प्रदर्शन के द्वारा अपनी प्रतिभा दिखाई और इस तरह से यह त्योहार एक सांस्कृतिक संगम भी बन गया। यह एकता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।

सुरक्षा और व्यवस्था

किसी भी धार्मिक आयोजन की सफलता के लिए व्यवस्था और सुरक्षा का होना बेहद जरुरी है। इस त्योहार के आयोजकों ने भक्तों की सुरक्षा और सुगमता पर विशेष ध्यान दिया। टीटीडी के अधिकारियों द्वारा पुष्करणी तालाब का निरीक्षण और चक्रस्नानम के लिए की जा रही व्यवस्थाओं का जायजा लेना इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए पूरी तरह तत्पर है। विशेषज्ञ तैराकों को तैनात करके और सख्त निगरानी बनाए रखकर उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भक्त सुरक्षित और सुचारू ढंग से पवित्र स्नान कर सकें। यह एक कुशल आयोजन का उदाहरण है जहा आध्यात्मिक अनुभव के साथ साथ सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है।

त्योहार के व्यवस्थित संचालन का प्रमाण

विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों को संचालित करने में टीटीडी द्वारा दिखाई गई दक्षता और व्यवस्थित तरीका कई अन्य आयोजनों के लिए एक प्रमाण है। सुरक्षा के प्रबंध, कलाकारों का समन्वय और भक्तों की सुविधा पर ध्यान देना एक उत्कृष्ट कार्य था।

निष्कर्ष

तिरुमला ब्रह्मोत्सव एक भव्य और अविस्मरणीय धार्मिक आयोजन था जिसने धर्म, संस्कृति और एकता का एक अनोखा सम्मिश्रण प्रदर्शित किया। यह त्योहार केवल धार्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का भी एक प्रमाण है।

मुख्य बातें:

  • तिरुमला ब्रह्मोत्सव भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित एक बड़ा धार्मिक उत्सव है।
  • इस त्योहार में धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य जुलूस शामिल हैं।
  • सूर्यप्रभा और चंद्रप्रभा वाहनम के जुलूस ब्रह्मोत्सव के मुख्य आकर्षण रहे।
  • त्योहार के दौरान भक्तों की सुरक्षा और सुगमता पर विशेष ध्यान दिया गया।
  • ब्रह्मोत्सव भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का प्रमाण है।
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