भारत में पशुधन की सही जानकारी जुटाने और पशुधन से जुड़े नीतियों को बेहतर बनाने के लिए हर पाँच साल में पशुधन गणना की जाती है। इसी क्रम में, 21वीं पशुधन गणना केरल के कोल्लम से शुरू हुई है। यह गणना एक व्यापक सर्वेक्षण है जो घर-घर जाकर जानकारी एकत्रित करता है और इसकी शुरुआत कोल्लम के बिशप हाउस से हुई। इस महत्वपूर्ण पहल के बारे में विस्तृत जानकारी इस लेख में दी गई है।
21वीं पशुधन गणना: एक व्यापक सर्वेक्षण
यह पशुधन गणना पांच साल में एक बार की जाने वाली एक बड़ी पहल है जिसका उद्देश्य देश के पशुधन का सही आंकलन करना और इससे जुड़ी कई जानकारियां इकट्ठा करना है। इस गणना में पशुओं की संख्या, नस्ल, आयु, लिंग जैसी बुनियादी जानकारियों के अलावा किसानों की संख्या, महिला उद्यमियों, उद्यमों और पशुधन क्षेत्र में संस्थानों से जुड़ी जानकारी भी जुटाई जाएगी। इसमें कसाईखाने और मांस प्रसंस्करण संयंत्रों की जानकारी भी शामिल है। इस बार की गणना में सबसे खास बात यह है कि जानकारी गूगल मैप्स के माध्यम से एकत्रित की जाएगी, जो कि डाटा संग्रहण को अधिक कुशल और सटीक बनाने में मदद करेगा। यह तकनीकी उन्नति पशुधन के आँकड़ों के विश्लेषण और व्याख्या को आसान बनाएगी।
गणना का तरीका और तकनीक
21वीं पशुधन गणना में, कुड़ुम्बश्री योजना के अंतर्गत काम कर रही लगभग 299 पशु सक्तियां (पशुधन क्षेत्र की सामुदायिक संसाधन व्यक्ति) घर-घर जाकर जानकारी एकत्रित करेंगी। इसके लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे डाटा संग्रहण और प्रबंधन आसान हो सकेगा। यह प्रक्रिया चार महीने तक चलेगी। इस डिजिटल दृष्टिकोण से डेटा की सटीकता बढ़ेगी और प्रक्रिया तेज़ी से पूरी हो सकेगी। गूगल मैप्स का उपयोग करके स्थानिक डेटा का मिलान भी आसानी से किया जा सकेगा, जिससे अधिक सटीकता सुनिश्चित होगी।
गणना में शामिल जानकारियाँ
इस सर्वेक्षण में केवल पशुओं की संख्या ही नहीं बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी एकत्रित की जाएंगी। इसमें पालतू जानवरों और पक्षियों की जानकारी भी शामिल है। इसके अलावा, पशुधन क्षेत्र में किसानों, महिला उद्यमियों और संस्थानों की संख्या, उनकी गतिविधियाँ और पशुधन से जुड़े व्यवसायों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी भी एकत्रित की जाएगी। कसाईखानों और मांस प्रसंस्करण संयंत्रों से जुड़ी जानकारी भी इस सर्वेक्षण का हिस्सा है। इससे पशुधन से जुड़े पूरे उद्योग का एक संपूर्ण चित्र प्राप्त होगा।
डेटा का महत्व और उपयोग
एकत्रित किया गया डेटा सरकार को पशुधन नीतियों को बनाने और सुधारने, पशुधन क्षेत्र में संसाधन आवंटित करने और पशुधन से जुड़ी समस्याओं को हल करने में मदद करेगा। यह आंकड़े पशु रोगों के प्रबंधन, पशु चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने, पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और पशुधन से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस डेटा का उपयोग कृषि क्षेत्र की योजनाओं के क्रियान्वयन और निगरानी में भी किया जाएगा।
गणना की शुरुआत और आगे की योजनाएँ
21वीं पशुधन गणना की शुरुआत कोल्लम के बिशप हाउस से की गई, जहाँ कोल्लम के बिशप पॉल एंथोनी मुलासेरी, फादर जॉली और जिला पशुपालन अधिकारी डी. शाइन कुमार सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे। यह आयोजन इस महत्वपूर्ण सर्वेक्षण की शुरुआत की घोषणा करने और इसमें शामिल लोगों को प्रोत्साहित करने का अवसर था। आगे चार महीनों तक यह गणना पूरे राज्य में चलेगी।
भविष्य के निष्कर्ष
इस गणना से मिलने वाले आँकड़े भविष्य के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे। इससे सरकार पशुधन क्षेत्र में बेहतर नीतियाँ बना पाएगी। इसके साथ ही किसानों और पशुधन से जुड़े व्यवसायों को बेहतर सहयोग और सहायता प्रदान की जा सकेगी।
निष्कर्ष: महत्वपूर्ण बिन्दु
- 21वीं पशुधन गणना पशुधन क्षेत्र का एक व्यापक आकलन प्रदान करती है।
- गूगल मैप्स का इस्तेमाल गणना को और अधिक प्रभावी बनाता है।
- चार महीने तक चलने वाली इस गणना में कुड़ुम्बश्री की पशु सक्तियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- एकत्रित डेटा सरकारी नीतियों को निर्धारित करने और पशुधन क्षेत्र में सुधार करने में मदद करेगा।
- यह गणना भारत के पशुधन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करेगी।
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