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दीर्घायु का राज़: आनुवंशिकी या जीवनशैली?

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दीर्घायु का राज़: आनुवंशिकी या जीवनशैली?
दीर्घायु का राज़: आनुवंशिकी या जीवनशैली?

आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही आयु और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपायों पर चर्चा की जाती रही है। हालांकि, आधुनिक विज्ञान ने आनुवंशिकी और जीवनशैली के बीच जटिल संबंधों को उजागर किया है, खासकर लंबी आयु के संदर्भ में। हाल के एक शोध ने माउस पर किये गए प्रयोगों के माध्यम से इस संबंध को और स्पष्ट किया है। यह शोध बताता है कि क्या आनुवंशिकी या जीवनशैली लंबी उम्र के लिए अधिक महत्वपूर्ण है और दोनों के बीच कैसे परस्पर क्रिया होती है। यह लेख इसी शोध के निष्कर्षों पर विस्तृत चर्चा प्रस्तुत करता है।

आनुवंशिकी का लंबी आयु में योगदान

माउस पर किया गया प्रयोग

हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक शोध ने 960 चूहों पर विभिन्न कैलोरी प्रतिबंध मॉडल का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने क्लासिकल प्रयोगात्मक मॉडल (कंट्रोल चूहों की तुलना में 20% या 40% कम कैलोरी) या एक या दो दिन का उपवास (जैसा कि इंटरमीटेंट फास्टिंग लोगों में लोकप्रिय है) का उपयोग किया। यह प्रयोग आनुवंशिक रूप से विविध चूहों पर किया गया था, जो मानव आबादी की आनुवंशिक विविधता को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करता है।

आनुवंशिक विविधता का महत्व

इस शोध में आनुवंशिक रूप से विविध चूहों का उपयोग करने से शोधकर्ताओं को आहार और आनुवंशिक दोनों चरों के प्रभाव को अलग-अलग समझने में मदद मिली। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश प्रयोगशाला अध्ययन आनुवंशिक रूप से बहुत समान चूहों पर किए जाते हैं, जो मानव आबादी की वास्तविकता को दर्शाते नहीं हैं। विभिन्न आनुवंशिक पृष्ठभूमि वाले चूहों के उपयोग ने जीवनकाल पर आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों कारकों के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद की।

प्रमुख निष्कर्ष

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष से पता चला कि आनुवंशिकी ने आहार संबंधी हस्तक्षेपों की तुलना में जीवनकाल में बड़ी भूमिका निभाई। लंबी आयु वाले चूहों में, भोजन में बदलाव के बावजूद जीवनकाल में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं देखा गया। हालांकि, छोटी आयु वाले चूहों में आहार प्रतिबंधों के सकारात्मक परिणाम देखे गए, परन्तु वे लंबी आयु वाले चूहों के बराबर नहीं पहुँच पाए। यह दर्शाता है कि “अच्छे माता-पिता चुनना” कहानी में कुछ सच्चाई है। अर्थात् आनुवंशिकता लंबे जीवन का महत्वपूर्ण निर्धारक कारक है।

जीवनशैली का प्रभाव: कैलोरी प्रतिबंध और व्यायाम

कैलोरी प्रतिबंध का सकारात्मक प्रभाव

सभी कैलोरी प्रतिबंध मॉडल औसतन चूहों के जीवनकाल को बढ़ाते पाए गए। 40% कैलोरी प्रतिबंध समूह ने 20% समूह की तुलना में औसत और अधिकतम जीवनकाल में सुधार दिखाया। 20% समूह ने नियंत्रण समूह की तुलना में जीवनकाल में सुधार दिखाया। यह दर्शाता है कि कैलोरी प्रतिबंध जीवनकाल बढ़ाने में सहायक होता है, परंतु उसका प्रभाव आनुवंशिक कारकों की तुलना में कम है।

कैलोरी प्रतिबंध के संभावित दुष्प्रभाव

सबसे अधिक कैलोरी प्रतिबंध (40% कम) वाले समूह में कुछ शारीरिक नुकसान देखे गए, जैसे कि प्रतिरक्षा कार्य में कमी और मांसपेशियों में कमी। यह दर्शाता है कि अत्यधिक कैलोरी प्रतिबंध हानिकारक भी हो सकता है। एक नियंत्रित प्रयोगशाला वातावरण से बाहर, ये कारक स्वास्थ्य और दीर्घायु को प्रभावित कर सकते हैं।

व्यायाम का प्रभाव

इस अध्ययन में व्यायाम को नियंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन अधिकतर समूहों ने अपने पिंजरे के पहियों पर समान मात्रा में दौड़ लगाई, सिवाय 40% कैलोरी प्रतिबंध समूह के, जिसने काफी अधिक दौड़ लगाई। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि इस समूह में अतिरिक्त व्यायाम अधिक भोजन की तलाश से संबंधित था। हालांकि, यह भी संभव है कि इस समूह में कैलोरी प्रतिबंध के साथ-साथ व्यायाम के सकारात्मक प्रभाव भी दिखाई दिए हों।

मानव पर अध्ययन की सीमाएँ

यह महत्वपूर्ण है कि यह अध्ययन चूहों पर किया गया था, इसलिए इसके निष्कर्ष मानवों पर सीधे लागू नहीं हो सकते। चूहों में किया गया 20% या 40% कैलोरी प्रतिबंध मानवों के भोजन के पैटर्न को पूरी तरह से नहीं दर्शाता है। साथ ही, इस अध्ययन में व्यायाम के स्तर को नियंत्रित नहीं किया गया था, जो परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष और महत्वपूर्ण बातें

इस अध्ययन से पता चलता है कि आनुवंशिकी लंबी आयु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। “अच्छे माता-पिता” चुनने की बात में सच्चाई है। हालाँकि, जीवनशैली में बदलाव, जैसे आहार और व्यायाम, जीवनकाल में सुधार करने में मददगार साबित हो सकते हैं, चाहे आनुवंशिकी कैसी भी हो।

मुख्य बातें:

  • आनुवंशिकी लंबी आयु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • कैलोरी प्रतिबंध जीवनकाल बढ़ा सकता है, लेकिन इसके अत्यधिक प्रभाव से हानि भी हो सकती है।
  • व्यायाम जीवनकाल में सुधार में सहायक हो सकता है।
  • चूहों पर किए गए अध्ययन के निष्कर्ष मानवों पर पूरी तरह से लागू नहीं हो सकते।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाना दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण है, चाहे आनुवंशिकी कैसी भी हो।
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