पीलीभीत। पीलीभीत में लेखपाल की शिकायत पर उत्तर प्रदेश के पीलीभीत (Pilibhit) में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशा-निर्देश के बाद खेतों में पराली जलाने पर 300 किसानों (Farmers) के खिलाफ मुकदमा (FIR) दर्ज किया गया है।
इसके बाद किसानों में हड़कंप मचा हुआ है। आलम ये है कि किसान अब पुलिस थानों के चक्कर काट रहे हैं। बीसलपुर और पूरनपुर तहसील में तो किसान सड़कों पर उतर आए।
बीसलपुर में बीते दिनों किसानों ने पहले एसडीएम का घेराव किया फिर उन्हें ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि किसानों को धान का वाजिव मूल्य मिल सके, इसके लिए सरकार ने कोई कानून नहीं बनाया, लेकिन पराली जलाने को लेकर फर्जी मुकदमे दर्ज करने के आदेश है।
बता दें कि पीलीभीत के थाना बिलसंडा, न्यूरिया, अमरिया, पूरनपुर, सेरामऊ, माधोटांडा, जहांनाबाद, गजरौला में अब तक 250 से ज्यादा किसानों पर लेखपाल द्वारा पित दर्ज कराई जा चुकी है।
किसानों का कहना है कि किसान पर्यावरण विरोधी नहीं है। उसका खुद का घर खेत में होता है, फिर भी वो पराली जलाता है, क्योंकि इसका खर्च कम आता है। इस मामले में कुलविंदर सिंह नामक एक किसान ने बताया कि सभी सरकारें किसानों को अन्नदाता कहती हैं।
लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं करतीं। पहले हम किसान जानवरों से परेशान थे, अब पराली जलाने पर झूठे मुकदमें दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। किसानों ने फसल पैदा की है, उसे इस फसल का वाजिब मूल्य मिलना चाहिए।
पराली का क्या करना है, ये सोचना सरकार का काम है। उन्होंने कहा पराली से प्रदूषण होता है, बड़े बड़े मेलों में रावण और मेघनाद के पुतले फूंके जा रहे हैं, मिलों में हजारों क्विंटल लकड़ी लगाकर इसी धान को सुखाने के लिए झोंक रहे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
वहीं इस मामले में ऋतु पुनिया, सिटी मजिस्ट्रेट पीलीभीत का कहना है कि पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए छळज् की तरफ से जो गाइड लाइन मिली है, उसका पालन किया जा रहा है।
सभी को आदेश दिए गए हैं कि अगर कोई पराली जलाता है तो FIR दर्ज कराई जाए। मालूम हो कि धान काटने के बाद खेत मे बचे अवशेष को पराली कहते हैं। पराली जलाने से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है।
पीलीभीत में धान बीते 15 दिन से कटने लगा है। खेत को खाली करने के लिए किसान पराली को जला रहे हैं। वहीं NGT के आदेश का निर्देश है कि पराली किसी भी कीमत पर नही जलाई जाएगी।
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