Home health दुर्लभ रोग: उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

दुर्लभ रोग: उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

5
0
दुर्लभ रोग: उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
दुर्लभ रोग: उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु निर्धारित 50 लाख रुपये की ऊपरी सीमा पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि समूह 3 श्रेणी में आने वाले कुछ दुर्लभ रोगों के लिए यह सीमा अपर्याप्त है। दुर्लभ रोगों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है: समूह 1 (एकमुश्त इलाज योग्य विकार), समूह 2 (लंबे समय तक या जीवन भर उपचार की आवश्यकता वाले अपेक्षाकृत कम लागत वाले रोग), और समूह 3 (जिनके लिए निश्चित उपचार उपलब्ध है लेकिन बहुत अधिक लागत और जीवन भर चलने वाला उपचार आवश्यक है)। यह फैसला कई याचिकाओं पर सुनाया गया है जिनमें दुर्लभ रोग पीड़ितों और उनके अभिभावकों ने निःशुल्क और निरंतर उपचार की मांग की थी।

दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय कोष की स्थापना

न्यायालय ने केंद्र सरकार को दुर्लभ रोगों के लिए एक राष्ट्रीय कोष (NFRD) स्थापित करने का निर्देश दिया है, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए 974 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएँगे। इसी तरह, अगले दो वित्तीय वर्षों (2026-27 और 2027-28) के लिए भी समान या अधिक राशि आवंटित की जाएगी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कोष का उपयोग कम होने पर भी वह समाप्त नहीं होगा। इस कोष के उपयोग और उपचार प्राप्त करने वाले रोगियों की संख्या की मासिक रिपोर्ट राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समिति (NRDC) को सौंपी जाएगी। यह कोष कंपनियों, विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अपने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) योगदान के रूप में दान स्वीकार करेगा, जिसके लिए कंपनी अधिनियम की अनुसूची VII में संशोधन करने का भी निर्देश दिया गया है।

कोष का प्रशासन और पारदर्शिता

राष्ट्रीय दुर्लभ रोग प्रकोष्ठ (National Rare Diseases’ Cell), जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के एक या अधिक नोडल अधिकारी शामिल होंगे, इस कोष का प्रशासन करेगा। यह प्रकोष्ठ राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति के अनुसार रोगियों के इलाज के लिए धन जारी करेगा। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, कोष के उपयोग और उपचार प्राप्त करने वाले रोगियों की संख्या की मासिक रिपोर्ट NRDC को सौंपी जाएगी। इससे कोष के कुशल और प्रभावी उपयोग पर नजर रखने में मदद मिलेगी।

50 लाख रुपये की सीमा में लचीलापन और सूचना पोर्टल

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021 के तहत दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए निर्धारित 50 लाख रुपये की ऊपरी सीमा समूह 3 श्रेणी के दुर्लभ रोगों (जैसे, DMD, SMA, गौशे रोग आदि) के मामले में NRDC की सिफारिश के अनुसार लचीली होगी। साथ ही, तीन महीने के भीतर एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय दुर्लभ रोग सूचना पोर्टल विकसित करने और संचालित करने का आदेश दिया गया है। इस पोर्टल में रोगी रजिस्ट्री, उपलब्ध उपचार, उपचार के लिए निकटतम उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) और कोष के उपयोग पर अपडेट शामिल होंगे। यह पोर्टल रोगियों, डॉक्टरों और आम जनता के लिए सुलभ होगा।

पोर्टल की उपयोगिता और रोगी डेटाबेस

यह पोर्टल न केवल रोगियों को आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा, बल्कि डॉक्टरों और शोधकर्ताओं को भी दुर्लभ रोगों से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों तक पहुंच प्रदान करेगा। इससे बेहतर उपचार और रोकथाम के तरीकों के विकास में मदद मिलेगी। इसके अलावा, दुर्लभ रोग से पीड़ित रोगियों के एक उचित डेटाबेस के निर्माण की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया है ताकि उनकी पहचान की जा सके और उन्हें निकटतम उत्कृष्टता केंद्रों पर उपचार के लिए रेफर किया जा सके।

क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म और आगे की राह

न्यायालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत दुर्लभ रोगों के लिए क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म का विवरण दो सप्ताह के भीतर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर प्रकाशित करने का भी आदेश दिया है। इस प्लेटफॉर्म पर आने वाले धन को स्वचालित रूप से NDRF में स्थानांतरित किया जाएगा। यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह न केवल दान जुटाने को सुगम बनाएगा बल्कि कोष की पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगा।

भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि उच्च न्यायालय के आदेश दुर्लभ रोग पीड़ितों के लिए एक राहत भरा कदम है, फिर भी कई चुनौतियाँ बरकरार हैं। इनमें से एक बड़ी चुनौती इन रोगों के इलाज की उच्च लागत और उन तक पहुँच है। इसके लिए सरकार को न केवल वित्तीय सहायता बल्कि अवसंरचना और प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। अधिक शोध और जागरूकता अभियान भी इस समस्या से निपटने के लिए ज़रूरी हैं।

मुख्य बिन्दु:

  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए 50 लाख रुपये की ऊपरी सीमा को अपर्याप्त बताया है।
  • दुर्लभ रोगों के लिए एक राष्ट्रीय कोष (NFRD) की स्थापना का आदेश दिया गया है।
  • एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय दुर्लभ रोग सूचना पोर्टल बनाने का आदेश दिया गया है।
  • क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से दान जुटाने पर भी ज़ोर दिया गया है।
Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।