Home health घर बैठे आँखों का ख्याल: बुजुर्गों की आँखों की देखभाल अब आसान

घर बैठे आँखों का ख्याल: बुजुर्गों की आँखों की देखभाल अब आसान

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घर बैठे आँखों का ख्याल: बुजुर्गों की आँखों की देखभाल अब आसान
घर बैठे आँखों का ख्याल: बुजुर्गों की आँखों की देखभाल अब आसान

आज के समय में, बढ़ती उम्र के साथ आँखों की देखभाल एक बड़ी चुनौती बन गई है। खासकर बुज़ुर्गों के लिए, नियमित आँखों की जाँच करवाना और इलाज पाना कई बार मुश्किल होता है। यात्रा की कठिनाइयाँ, स्वास्थ्य समस्याएँ और अन्य बाधाएँ उन्हें अक्सर आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रखती हैं। लेकिन अब हैदराबाद और सिरसिल्ला (तेलंगाना) के बुजुर्गों के लिए यह चिंता कम हुई है। एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान (LVPEI) और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने मिलकर ‘LVPEI@Home’ पहल शुरू की है, जिससे घर बैठे आँखों की जाँच और इलाज की सुविधा मिल रही है। यह पहल न केवल बुजुर्गों बल्कि सभी के लिए उपलब्ध है, परंतु इसका मुख्य फोकस उन वरिष्ठ नागरिकों पर है जो पारंपरिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में कठिनाई का सामना करते हैं। आइए इस पहल के बारे में विस्तार से जानते हैं।

घर बैठे आँखों की जांच और इलाज

तकनीक और प्रक्रिया

LVPEI@Home पहल के तहत, प्रशिक्षित तकनीशियन घर पर आकर पूरी आँखों की जाँच करते हैं। इसमें पोर्टेबल उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जिसमें रिफ्रैक्शन चेक, एंटीरियर सेगमेंट परीक्षा, इंट्राओकुलर प्रेशर की जांच और फंडस मूल्यांकन (आँख के भीतरी हिस्से की जाँच) शामिल हैं। जाँच के बाद, LVPEI के डॉक्टर के साथ टेली-कंसल्टेशन किया जाता है। रिपोर्ट और आगे के इलाज की योजना मरीज के फोन पर ई-मेडिकल रिपोर्ट के रूप में भेजी जाती है। जरूरत पड़ने पर चश्मे घर पर ही पहुँचा दिए जाते हैं। गरीब बुजुर्गों को मुफ्त चश्मे और मोतियाबिंद सर्जरी की भी सुविधा दी जा रही है।

लागत और पहुँच

शहरी क्षेत्रों में होम विजिट की फीस ₹1,000 है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह ₹400 है। यह पहल देश भर के LVPEI के पाँचों तृतीयक केंद्रों और आंध्र प्रदेश और ओडिशा में दो माध्यमिक केंद्रों के अलावा तेलंगाना के सिरसिल्ला में भी शुरू की गई है। यह पहल सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए एक सराहनीय प्रयास है। यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि लागत भिन्न हो सकती है।

सामाजिक प्रभाव और आवश्यकता

बढ़ती बुज़ुर्ग आबादी और स्वास्थ्य चुनौतियाँ

भारत में बुज़ुर्गों की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की भारत एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार, वर्तमान में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 149 मिलियन लोग हैं, और 2050 तक यह संख्या लगभग दोगुनी होने की उम्मीद है। इस बढ़ती आबादी के साथ, स्वास्थ्य सेवाओं की मांग भी बढ़ रही है। LVPEI@Home जैसी पहल इस बढ़ती मांग को पूरा करने और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर पड़ने वाले बोझ को कम करने में मदद कर सकती है। यह उन बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से मददगार है जो आवागमन और अन्य शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हैं।

पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर दबाव कम करना

यह पहल न केवल बुजुर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करती है बल्कि यह पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भी दबाव कम करती है। अधिकांश बुजुर्गों के लिए अस्पताल जाना या क्लीनिक जाना मुश्किल हो सकता है। यह पहल उन व्यक्तियों के लिए बेहद फायदेमंद है, जिनके पास अपने निजी वाहन नहीं हैं या जो अस्पताल की यात्रा नहीं कर सकते हैं। घर पर जांच से भीड़भाड़ वाले अस्पतालों जाने से बचने में भी मदद मिलती है और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो पाता है।

भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष

LVPEI@Home पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह दर्शाता है कि कैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग करके बुजुर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जा सकती है। इस पहल का विस्तार करने और अन्य क्षेत्रों में भी लागू करने की आवश्यकता है। इस पहल को एक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है, जिसका उपयोग देश के अन्य हिस्सों में और विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं में किया जा सकता है। यह उन कई पहलों में से एक है जिससे आँखों की देखभाल बेहतर ढंग से और प्रभावी तरीके से पहुँच में आती है।

मुख्य बातें:

  • LVPEI@Home पहल घर पर आँखों की जाँच और इलाज की सुविधा प्रदान करती है।
  • यह पहल मुख्य रूप से बुजुर्गों पर केंद्रित है लेकिन सभी के लिए उपलब्ध है।
  • इसमें टेली-कंसल्टेशन और घर पर दवा/चश्मा पहुँचाने की सुविधा शामिल है।
  • यह पहल बढ़ती बुजुर्ग आबादी की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर दबाव कम करने में मददगार है।
  • यह प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवाओं को आपस में जोड़ने का एक सराहनीय उदाहरण है।
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