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नकली कैंसर विरोधी दवाओं से सावधान: क्यूआर कोड लाएगा क्रांति

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नकली कैंसर विरोधी दवाओं से सावधान: क्यूआर कोड लाएगा क्रांति
नकली कैंसर विरोधी दवाओं से सावधान: क्यूआर कोड लाएगा क्रांति

कैंसर विरोधी दवाओं की जालीकरण की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार जल्द ही एक कड़े कदम की तैयारी कर रही है। यह कदम क्यूआर कोड (QR Code) के अनिवार्य उपयोग से जुड़ा है, जिससे हर शीशी और दवा की पट्टी की प्रामाणिकता जांची जा सकेगी। यह पहल मरीज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इस लेख में हम कैंसर विरोधी दवाओं में हो रहे जालसाजी और सरकार के द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

क्यूआर कोड: कैंसर विरोधी दवाओं की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका

जाली दवाओं से बढ़ता खतरा

हाल ही में हुई ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) की बैठक में पता चला है कि कई अस्पतालों की फार्मेसियों के साथ मिलकर अपराधी महंगी कैंसर रोधी दवाओं की खाली शीशियों को नकली दवाओं से भर रहे हैं। यह नकली दवाएं असली दवाओं में मिलाकर बेची जा रही हैं, जिससे मरीज़ों के जीवन को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है। यह एक गंभीर अपराध है जिससे न केवल आर्थिक क्षति होती है, बल्कि मरीज़ की जान भी जोखिम में पड़ सकती है। इसलिए, इस समस्या से निपटना बेहद आवश्यक है।

QR कोड तंत्र की आवश्यकता

कैंसर की चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कीमत बहुत ज़्यादा होती है, एक कोर्स का खर्च एक से चार लाख रुपये तक पहुँच सकता है। इस उच्च लागत के कारण नकली दवाओं का कारोबार और अधिक आकर्षक बन जाता है। क्यूआर कोड के ज़रिए हर दवा की पूरी जानकारी और उसके उत्पादन की पूरी प्रक्रिया का पता लगाना संभव होगा। इससे नकली दवाओं की पहचान आसानी से की जा सकती है और जालसाजों पर अंकुश लगाया जा सकता है। इस प्रणाली में दवाओं की उत्पत्ति, वितरण और बिक्री तक की पूरी यात्रा को ट्रैक किया जा सकता है।

कानूनी बदलाव और क्रियान्वयन

सरकार ड्रग्स नियम 1945 की अनुसूची H2 में संशोधन करने की योजना बना रही है, ताकि सभी कैंसर विरोधी दवाओं पर QR कोड लगाना अनिवार्य हो सके। इससे सभी दवाओं की पारदर्शिता बढ़ेगी और मरीजों को सुरक्षित दवाएं मिलना सुनिश्चित होगा। यह कानूनी बदलाव इस समस्या के निराकरण में एक बड़ा कदम साबित होगा। सरकार द्वारा इस नियम को लागू करने के लिए व्यापक योजना बनाई जा रही है।

अन्य दवाओं की गुणवत्ता और स्रोतों पर चिंताएँ

गुणवत्ताहीन दवाओं का मामला

हाल ही में सीडीएससीओ की रिपोर्ट में 50 से अधिक दवाओं के नमूनों को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाया गया है। इन दवाओं में पैरासिटामोल, पैन-डी, कैल्शियम और विटामिन डी3 सप्लीमेंट जैसी सामान्य दवाएं भी शामिल हैं। इससे आम जनता के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगते हैं। यह रिपोर्ट दिखाती है कि जाली दवाओं का कारोबार सिर्फ़ महंगी दवाओं तक सीमित नहीं है।

भरोसेमंद स्रोतों से दवाएँ खरीदना ज़रूरी

ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स ने सभी हितधारकों को दवाओं के मानक बनाए रखने की चेतावनी दी है। उन्होंने लोगों से अनजान विक्रेताओं से दवाएँ न खरीदने की सलाह दी है, भले ही वे अतिरिक्त लाभ या छूट दें। मरीज़ों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही दवाएँ खरीद रहे हैं।

सरकार के प्रयास और आगे का रास्ता

संकट निवारण और रणनीतियाँ

भारत सरकार कैंसर विरोधी दवाओं की गुणवत्ता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है। QR कोड सिस्टम के अलावा, सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि दवा कंपनियां उच्च गुणवत्ता के मानकों का पालन करें और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी सज़ा सुनिश्चित की जायेगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो।

जन जागरूकता का महत्व

सरकार के प्रयासों के साथ-साथ जन जागरूकता भी बेहद महत्वपूर्ण है। लोगों को जागरूक होना होगा कि वे कहाँ से और किससे दवा खरीद रहे हैं। उन्हें नकली दवाओं के संकेतों के बारे में भी पता होना चाहिए। इसके लिए सरकार को जन जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।

निष्कर्ष:

कैंसर विरोधी दवाओं में जालसाजी एक गंभीर समस्या है, जिससे न केवल मरीज़ों का जीवन खतरे में पड़ता है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। QR कोड सिस्टम एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार और जनता दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। सरकार को कानूनों को सख्ती से लागू करना होगा और लोगों को सुरक्षित और प्रभावी दवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही जनता को भी सावधानी बरतनी होगी और दवाएँ केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही खरीदनी होंगी।

मुख्य बिन्दु:

  • कैंसर विरोधी दवाओं में जालसाजी एक बढ़ती हुई समस्या है।
  • सरकार QR कोड सिस्टम लागू करने की योजना बना रही है।
  • दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कानूनी बदलाव किए जा रहे हैं।
  • लोगों को भरोसेमंद स्रोतों से ही दवाएँ खरीदनी चाहिए।
  • जन जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
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