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करवा चौथ: व्रत, पूजन और पौराणिक कथाएँ

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करवा चौथ: व्रत, पूजन और पौराणिक कथाएँ
करवा चौथ: व्रत, पूजन और पौराणिक कथाएँ

कारवा चौथ का व्रत: पूजन विधि और महत्व

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। यह व्रत, महिलाओं के समर्पण और पति के प्रति प्रेम का प्रतीक है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर, रविवार को है। इस व्रत के साथ जुड़े कई अनुष्ठान हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है करवा पूजन। इस पूजन में करवा का विशेष महत्व है, जिसके बिना पूजन अधूरा माना जाता है। आइए, इस लेख में हम करवा चौथ के व्रत, पूजन विधि और करवा में रखी जाने वाली सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

करवा में रखी जाने वाली सामग्री

करवा एक छोटा सा घड़ा होता है, जो पारंपरिक रूप से मिट्टी का बना होता है, हालाँकि अब यह पीतल या ताँबे का भी मिलता है। यह करवा माता का प्रतीक माना जाता है, अतः इसमें रखी जाने वाली सभी सामग्री शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए।

मुख्य सामग्री:

  • गेहूँ: करवा में रखी जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण सामग्री गेहूँ है। यह अत्यंत शुभ माना जाता है और समृद्धि का प्रतीक है।
  • चीनी: करवा के ढक्कन पर चीनी रखी जाती है, जो पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री में से एक है।
  • गंगाजल या दूध: आप करवा में गंगाजल या दूध भी भर सकते हैं। यह पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है। ध्यान रहे कि अर्ध्य के लिए अलग से पात्र होना चाहिए।
  • अक्षत: अक्षत यानी साबुत चावल भी करवा में रखे जाते हैं। यह शुभता का प्रतीक है और पूजन में आवश्यक सामग्री है।
  • खील या चांदी का सिक्का: खील (फूला हुआ चावल) या एक चांदी का सिक्का भी करवा में रखा जाता है। चाँद के प्रति आस्था को दर्शाता है, और ऐसा माना जाता है की गेहूं, चावल और चांदी से चाँद का प्रभाव बढ़ता है।

करवा चौथ पूजन मुहूर्त और व्रत का समय

करवा चौथ का पूजन मुहूर्त शाम 5:46 से 7:02 तक है, जो 1 घंटे 16 मिनट का है। व्रत का समय सुबह 6:25 से शाम 7:54 तक (13 घंटे 29 मिनट) है। करवा चौथ पर चाँद उदय का समय शाम 7:54 पर है। यह समय क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकता है, इसलिए अपने स्थानीय पंचांग का संदर्भ लेना आवश्यक है।

करवा चौथ की पौराणिक कथाएँ

करवा चौथ व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा है वीरावती रानी की। वीरावती ने अपने पहले करवा चौथ का व्रत रखा और भूख से बेहोश हो गईं। उनके भाइयों ने उन्हें चाँद दिखाकर धोखा दिया और उन्होंने अपना व्रत तोड़ दिया। यह कथा व्रत की आस्था और समर्पण को दर्शाती है। कई अन्य कहानियां भी इस त्यौहार से जुड़ी हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं को व्रत रखने के लिए प्रेरित करती हैं।

करवा चौथ के महत्व और निष्कर्ष

करवा चौथ का व्रत सिर्फ एक व्रत नहीं बल्कि पति और पत्नी के बीच के प्रेम और आस्था का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं के समर्पण और उनके पति के प्रति प्रेम को दर्शाता है। करवा में रखी जाने वाली सामग्रियां इस व्रत को और भी खास और पवित्र बनाती हैं। इस पूजा के दौरान सभी विधि विधान से पूजा करने का महत्व बताया गया है ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके।

टेकअवे पॉइंट्स:

  • करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है।
  • करवा पूजन में गेहूँ, चीनी, गंगाजल, अक्षत, खील आदि महत्वपूर्ण सामग्रियाँ हैं।
  • व्रत का समय और पूजन मुहूर्त क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकता है।
  • करवा चौथ से जुड़ी कई रोचक पौराणिक कथाएँ हैं जो व्रत की महत्ता को दर्शाती हैं।
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