पैक किए गए खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों पर पौष्टिक जानकारी प्रदर्शित करने से उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद मिल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए मसौदा दिशानिर्देश इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। हालांकि, ये दिशानिर्देश सख्त चेतावनी लेबलिंग की सिफ़ारिश करने से थोड़ा पीछे हटते हैं। WHO के आंकड़े बताते हैं कि नमक, चीनी और वसा से भरपूर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बढ़ते सेवन से वैश्विक स्तर पर मोटापे का संकट गहरा रहा है। एक अरब से अधिक लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं, और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे मधुमेह और हृदय रोग, के कारण हर साल लगभग आठ मिलियन लोगों की समय से पहले मृत्यु हो जाती है। सरकारें इस महामारी पर अंकुश लगाने के लिए नीतियां लागू करने में संघर्ष कर रही हैं। वर्तमान में, केवल 43 WHO सदस्य देशों में ही किसी भी प्रकार की फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबलिंग (या तो अनिवार्य या स्वैच्छिक) है।
पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर पौष्टिक जानकारी का महत्व
स्पष्ट और सरल जानकारी की आवश्यकता
WHO के मसौदा दिशानिर्देशों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को स्वस्थ खाद्य संबंधी निर्णय लेने में सहायता करना है। ये दिशानिर्देश “व्याख्यात्मक” लेबल को लागू करने की सिफारिश करते हैं, जिसमें पौष्टिक जानकारी के साथ-साथ उस उत्पाद की स्वास्थ्यवर्धकता के बारे में कुछ स्पष्टीकरण भी शामिल हो। NutriScore, जो फ्रांस में विकसित किया गया है और कई यूरोपीय देशों में उपयोग किया जाता है, इसका एक उदाहरण है। यह खाद्य पदार्थों को A (हरा, जिसमें आवश्यक पोषक तत्व होते हैं) से E (लाल, जिसमें उच्च मात्रा में अतिरिक्त नमक, चीनी, वसा या कैलोरी होती हैं) तक रैंक करता है। चिली और लैटिन अमेरिका के कई अन्य देश एक कठोर प्रणाली का उपयोग करते हैं, जिसमें पैकेज के सामने एक काले अष्टकोण में “उच्च चीनी”, नमक या वसा जैसी चेतावनियाँ दी जाती हैं।
विभिन्न देशों में लेबलिंग के तरीके
संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में उपयोग किए जाने वाले लेबल, पौष्टिक जानकारी तो देते हैं, परन्तु यह समझने के लिए कोई मार्गदर्शन नहीं देते कि इसका क्या मतलब है। विभिन्न देशों में लेबलिंग के तरीके अलग-अलग हैं, और कुछ देशों में कठोर चेतावनी लेबल का उपयोग किया जाता है, जबकि अन्य देशों में अधिक सौम्य दृष्टिकोण अपनाया जाता है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता लाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। विभिन्न दृष्टिकोणों के लाभों और हानियों पर गहन अध्ययन और अनुसंधान की आवश्यकता है। इससे उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिल सकेगी और वे सही विकल्प चुन पाएंगे।
लेबलिंग नीतियों का प्रभाव
चिली में चेतावनी लेबलों के प्रयोग से चीनी, सोडियम, संतृप्त वसा और कुल कैलोरी के सेवन में कमी आई है। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रभावी लेबलिंग नीतियां उपभोक्ता व्यवहार को बदलने में प्रभावी हो सकती हैं। लेकिन हर देश के संदर्भ में लेबलिंग का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है, इसलिए हर देश की अपनी विशिष्ट परिस्थितियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लेबलिंग की नीतियाँ बनानी चाहिए। WHO के दिशा-निर्देशों का उद्देश्य एक ऐसा वैश्विक ढांचा तैयार करना है जो सभी देशों में एक समान प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
खाद्य उद्योग का रुख और वैश्विक सहयोग
उद्योग का विरोध और वैश्विक मानकों की आवश्यकता
खाद्य उद्योग ने चेतावनी लेबलिंग का विरोध किया है और “गैर-व्याख्यात्मक” लेबल को तरजीह दी है, जो पौष्टिक जानकारी तो देते हैं, लेकिन यह समझने के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं देते हैं कि इसका क्या मतलब है। अंतरराष्ट्रीय खाद्य और पेय गठबंधन (IFBA), जिसके सदस्यों में कोका-कोला और मोंडेलेज़ इंटरनेशनल शामिल हैं, ने कहा है कि इसके सदस्य पहले से ही न्यूनतम वैश्विक मानकों का पालन करते हैं, जिसमें पैकेजों के पीछे पोषक तत्वों की सूची बनाना और जहां तक संभव हो, ऊर्जा सामग्री पर फ्रंट-ऑफ-पैक विवरण शामिल है, जो अंतर्राष्ट्रीय कोडेक्स एलीमेंटेरियस प्रणाली के अनुरूप है। हालाँकि, ये प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि कई देशों में स्थानीय उत्पादक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
WHO दिशानिर्देशों पर उद्योग की प्रतिक्रिया और भविष्य के कदम
IFBA ने WHO के दिशानिर्देशों और पोषक तत्व-आधारित लेबलों का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने उन दृष्टिकोणों का विरोध किया है जो किसी विशेष उत्पाद को नीचा दिखाते हैं। उनका मानना है कि स्वास्थ्य चेतावनी प्रकार के लेबल उन खाद्य उत्पादों पर नहीं होने चाहिए जिन्हें सुरक्षित, स्वीकृत और बाजार में मौजूद माना जाता है और उपभोक्ताओं द्वारा पसंद किए जाते हैं। WHO के मसौदा दिशानिर्देशों पर जनता की राय लेने के बाद, अंतिम संस्करण 2025 की शुरुआत में जारी किया जाएगा। इससे भविष्य में पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की लेबलिंग के बारे में स्पष्टता आयेगी और इससे उपभोक्ताओं को अधिक सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी। वैश्विक सहयोग और संवाद इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं ताकि सभी हितधारकों के विचारों को शामिल करते हुए एक ऐसा व्यापक ढांचा तैयार किया जा सके जो सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करे।
सम्पूर्ण जनसंख्या के लिए स्वस्थ खाद्य विकल्प
पौष्टिक लेबलिंग के दूरगामी प्रभाव
पौष्टिक लेबलिंग, विशेष रूप से स्पष्ट और आसानी से समझने योग्य लेबलिंग, जन स्वास्थ्य में सुधार के लिए आवश्यक है। इससे उपभोक्ताओं को अधिक सूचित विकल्प चुनने और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। स्वस्थ आहार के लिए जागरूकता फैलाना और पौष्टिक लेबलिंग के बारे में शिक्षा देना भी आवश्यक है, ताकि लोग लेबल की जानकारी को समझ सकें और उनका प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें। यह काम केवल सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और खाद्य उद्योग के समन्वित प्रयासों से ही पूरा किया जा सकता है।
भविष्य के लिए मार्गदर्शन
WHO के दिशा-निर्देश और उनके अंतिम रूप सभी के लिए बेहतर खाद्य विकल्प बनाने के लिए एक कदम हैं। उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना, उद्योग के साथ साझेदारी और सरकारी नीतियों को लागू करने की दिशा में समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि स्वस्थ आहार के विकल्प एक व्यक्तिगत प्रयास के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर प्रयासों पर भी निर्भर करते हैं। इसलिए, व्यापक सामाजिक परिवर्तन और स्वस्थ खाद्य विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसमें मीडिया द्वारा जागरूकता फैलाना, शैक्षिक अभियान चलाना और बेहतर पौष्टिक खाद्य पदार्थों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम चलाना शामिल हैं।
निष्कर्ष:
- WHO के दिशानिर्देश पैक किए गए खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों पर पौष्टिक जानकारी की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
- “व्याख्यात्मक” लेबल, जैसे कि NutriScore, उपभोक्ताओं के लिए बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- खाद्य उद्योग ने चेतावनी लेबल का विरोध किया है, जबकि WHO ने इस मामले पर कोई स्पष्ट सिफ़ारिश नहीं की है।
- चिली में चेतावनी लेबलों के सकारात्मक प्रभाव का उल्लेख किया गया है।
- वैश्विक स्तर पर एक समान लेबलिंग प्रणाली की आवश्यकता है।
- पौष्टिक लेबलिंग और शिक्षा के द्वारा जन स्वास्थ्य को सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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