Home स्वास्थ्य-जीवनशैली तपेदिक का नाक से इलाज: एक नई क्रांति

तपेदिक का नाक से इलाज: एक नई क्रांति

11
0
तपेदिक का नाक से इलाज: एक नई क्रांति
तपेदिक का नाक से इलाज: एक नई क्रांति

भारतीय वैज्ञानिकों ने तपेदिक के इलाज की दिशा में एक अभूतपूर्व खोज की है। मोहाली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ़ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी (INST) के वैज्ञानिकों ने नाक से दिमाग तक दवा पहुँचाने का एक नया तरीका ईजाद किया है। यह विधि तपेदिक की दवाओं को सीधे नाक के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचाने में मदद करेगी। इससे तपेदिक के सबसे खतरनाक रूपों में से एक, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तपेदिक (CNS-TB), का भी इलाज संभव हो सकेगा। गंभीर CNS-TB मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड को भी प्रभावित कर सकता है। द टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, राहुल कुमार वर्मा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने, कृष्णा जाधव, अग्रिम झिल्टा, रघुराज सिंह, यूपा रे, विमल कुमार, अवध यादव और अमित कुमार सिंह के साथ मिलकर यह कामयाबी हासिल की है। टीम ने काइटोसान नैनो-एग्रीगेट्स तैयार किए हैं, जो काइटोसान से बने नैनोकणों के छोटे-छोटे समूह हैं। काइटोसान एक जैव-अनुकूल और जैव-अपघट्य पदार्थ है। इन कणों को नाक से आसानी से पहुँचाने के लिए बड़े समूहों, जिन्हें नैनो-एग्रीगेट्स कहते हैं, में बदला गया है। ये आइसोनियाज़िड (INH) और रिफैम्पिसिन (RIF) जैसी टीबी दवाओं को धारण कर सकते हैं।

नाक से मस्तिष्क तक दवा पहुँचाने की क्रांतिकारी तकनीक

नैनो-एग्रीगेट्स का उपयोग

यह तकनीक नाक के रास्ते दवा को सीधे मस्तिष्क में पहुँचाती है जिससे दवा की जैव उपलब्धता में काफी सुधार होता है। काइटोसान के श्लेष्मा से चिपकने वाले गुणों के कारण, नैनो-एग्रीगेट्स नाक के श्लेष्मा झिल्ली पर चिपके रहते हैं और दवा के अवशोषण की अवधि बढ़ाते हैं, जिससे चिकित्सीय प्रभावशीलता बढ़ती है। इस विधि से दवा की बर्बादी कम होती है और रोगी को कम खुराक में भी बेहतर परिणाम मिलते हैं। यह तकनीक न केवल CNS-TB के इलाज में क्रांति ला सकती है बल्कि अन्य मस्तिष्क संक्रमणों, न्यूरोडिजेनरेटिव रोगों (जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन), मस्तिष्क के ट्यूमर और मिर्गी के इलाज में भी अत्यंत कारगर साबित हो सकती है।

तपेदिक: एक वैश्विक चुनौती

तपेदिक का प्रसार और प्रभाव

तपेदिक (TB), एक संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है और बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है। यह हवा के माध्यम से फैलता है और संक्रमित व्यक्तियों के खांसने, छींकने या थूकने से निकलने वाले वायुजनित कणों द्वारा फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, TB एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है और हर साल हजारों लोगों की जान लेती है। विकासशील देशों में इसका प्रसार विशेष रूप से चिंताजनक है जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और गरीबी इसके प्रसार में योगदान करते हैं। यह समझना ज़रूरी है कि केवल CNS-TB ही नहीं, इस बीमारी के कई अन्य रूप भी जानलेवा हो सकते हैं। इसलिए प्रभावी उपचार और निवारक उपायों पर ज़ोर दिया जाना आवश्यक है।

चिकित्सा पद्धतियों में नैनो तकनीक का योगदान

नैनो तकनीक आधारित उपचार

नैनो तकनीक ने कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी है और चिकित्सा क्षेत्र भी इसका अपवाद नहीं है। नैनो-कणों का उपयोग दवा वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने और विभिन्न रोगों के उपचार में मदद करने के लिए किया जा रहा है। इस तकनीक में दवा के अवशोषण और प्रभावशीलता में वृद्धि की संभावना है, साथ ही कम दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। यह विशेष रूप से कठिन-से-पहुँचने वाले स्थानों, जैसे कि मस्तिष्क, में दवा पहुँचाने में सहायक साबित हो रहा है। नैनो तकनीक के जरिये टीबी के इलाज में क्रांति लाने की क्षमता है, क्योंकि यह सीधे संक्रमित क्षेत्रों में दवा को लक्षित करने में मदद करती है और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी भूमिका निभा सकती है।

भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

अनुसंधान और विकास

INST, मोहाली के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह तकनीक तपेदिक के इलाज में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती है। हालांकि, इस तकनीक को व्यापक रूप से इस्तेमाल करने से पहले और शोध और विकास की आवश्यकता है। इसमें तकनीक की सुरक्षा और प्रभावशीलता का बड़े पैमाने पर परीक्षण शामिल है। व्यावसायिक उत्पादन और वितरण के लिए उचित बुनियादी ढांचे का विकास करना भी महत्वपूर्ण होगा। इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि यह तकनीक सभी के लिए सुलभ हो, खासकर उन लोगों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जो सबसे अधिक इस बीमारी के प्रभाव में हैं।

मुख्य बातें:

  • भारतीय वैज्ञानिकों ने नाक से मस्तिष्क तक दवा पहुँचाने की एक क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है।
  • यह तकनीक तपेदिक के सबसे खतरनाक रूप, CNS-TB, के इलाज में सहायक सिद्ध हो सकती है।
  • इस तकनीक का उपयोग अन्य मस्तिष्क संक्रमणों और न्यूरोडिजेनरेटिव रोगों के इलाज में भी किया जा सकता है।
  • नैनो तकनीक का उपयोग करके दवा की प्रभावशीलता और जैव उपलब्धता में वृद्धि की जा सकती है।
  • इस तकनीक को व्यापक रूप से इस्तेमाल करने से पहले और शोध और विकास की आवश्यकता है।
Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।